TIO, जनकपुर

नेपाल में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रमुख चंपत राय उन पांच लाख बारातियों में शामिल होंगे जो विवाह पंचमी के लिए जनकपुर में जुटेंगे। जनकपुर में जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास ने बताया कि जनकपुर में विवाह पंचमी के लिए लगभग पांच लाख बारातियों के आने की उम्मीद है। इसमें चंपत राय और राजेंद्र पंकज सहित राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिकारी शामिल हैं, जो टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। बड़ी संख्या में संत भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

दास ने बताया कि अकेले दक्षिण भारत से लगभग 150 अतिथि आ रहे हैं, जिनकी संख्या निश्चित रूप से पांच सौ से अधिक होगी और जनकपुर शहर स्वागत के लिए उत्सुक है और तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हर पांच साल में एक भव्य जुलूस के साथ मनाया जाने वाला यह समारोह एक विशेष तिलकोत्सव के साथ शुरू होगा, जो जनकपुर धाम में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कार्यक्रम का प्रतीक होगा। न केवल जनकपुर के निवासी, बल्कि सीमा पार से लेकर धनुषा-महोत्तरी तक के लोग भी इसे भव्य बनाने की तैयारी कर रहे हैं। भारत से लगभग 600 विशिष्ट अतिथियों सहित लगभग पांच लाख मेहमानों के आने के साथ, बृहत्तर जनकपुर विकास परिषद ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। इस साल बारात के साथ 600 विशेष मेहमानों का स्वागत किया जाएगा।

तिलक लेकर अयोध्या जाएंगे
इस वर्ष पहली बार, भगवान राम के ससुराल जनकपुर धाम से 251 तिलक-हर (तिलक समारोह करने वाले) 501 प्रकार के प्रसाद लेकर तिलक करने के लिए अयोध्या भेजे जाएंगे। उन प्रसादों में कपड़े, आभूषण, विभिन्न मिठाइयाँ, सूखे मेवे, फल और अन्य वस्तुएं शामिल होंगी। तिलक-हर 16 नवंबर को जनकपुर से प्रस्थान करेंगे और 17 नवंबर को अयोध्या पहुंचेंगे। इसके बाद 18 नवंबर को तिलकोत्सव समारोह होगा।

हिंदू-राजपूत वास्तुकला पर आधारित है जानकी मंदिर
सीता माता को समर्पित यह मंदिर हिंदू-राजपूत वास्तुकला पर आधारित है। नेपाल में इसे सबसे महत्त्वपूर्ण राजपूत स्थापत्यशैली माना जाता है। 4860 वर्ग फीट क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण भारत के टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुमारी ने 1911 ईसवी में करवाया था।

इस मंदिर की तत्कालीन लागत नौ लाख रुपये थी। इस कारण से स्थानीय लोग इसे नौलखा मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर में सीता जी की एक प्रतिमा रखी हुई है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा मंदिर के निर्माण से पहले की है। इस प्रतिमा से जुड़ी कहानी बताई जाती है कि 1657 में संन्यासी शुरकिशोरदास को इस जगह पर सीता माता की प्रतिमा मिली थी। शुरकिशोरदास ही आधुनिक जनकपुर के संस्थापक भी थे।

मंदिर परिसर और इसके आसपास 115 सरोवर एवं कुण्ड हैं जो मंदिर आए श्रद्धालुओ के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। इस मंदिर की एक बड़ी खासियत यह है कि 15-16 पुजारियों की टीम यहां 24 घंटे कीर्तन करती हैं। पिछले 56 सालों से यहां 24 घंटे भजन-कीर्तन हो रहा है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER