TIO, पटियाला।

किसान आंदोलन इस समय नाजुक दौर पर खड़ा है। 21 फरवरी को खनौरी सीमा पर एक युवा किसान की मौत के बाद से आंदोलन में फिलहाल एक ठहराव सा आ गया है। उधर, किसान नेताओं में आपसी मतभेद लगातार बढ़ रहे हैं। इससे आंदोलन में किसानों की आगे की राह आसान नहीं लग रही। यह आंदोलन केवल दो जत्थेबंदियों संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेतृत्व में चलाया जा रहा है, जबकि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इससे दूरी बना रखी है, जिसके बैनर तले साल 2020 में पहला किसान आंदोलन चला था।

हाल ही में एसकेएम ने बैठक करके शंभू व खनौरी सीमा पर किसानों पर हुए अत्याचार के खिलाफ संघर्ष के कार्यक्रमों का एलान किया। इससे लगा कि शायद अब किसान नेता सभी आपसी गिले-शिकवे भुलाकर एक मंच पर आएंगे और मांगों के हल के लिए लड़ेंगे, लेकिन अब भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने तल्ख बयान दिया है। उन्होंने कहा, यह किसान आंदोलन केवल दो जत्थेबंदियों से जुड़ा है। इन जत्थेबंदियों का आंदोलन करने का तरीका सही है या गलत, इसकी जवाबदेही हमारी नहीं बनती।

हमारे संगठन ने जब मानांवाली में मोर्चा लगाया था तो उस समय इन जत्थेबंदियों ने हमारा साथ नहीं दिया था। तब हमने तो नहीं कहा था कि साथ क्यों नहीं दिया। फिर अब हम पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं कि दिल्ली कूच में साथ क्यों नहीं दिया। हमारे बीच कितने ही वैचारिक मतभेद हों, लेकिन फिर भी जब सीमा पर किसानों पर गोले फेंके गए, हमारी जत्थेबंदी ने रेल रोको आंदोलन किया, टोल फ्री कराए और भाजपा नेताओं के घरों के बाहर प्रदर्शन किया।

ऐसे में हम पर अंगुली उठाना सही नहीं है। भारतीय किसान यूनियन एकता (डकौंदा) के प्रदेश महासचिव एवं एसकेएम के नेशनल को-आॅर्डिनेशन मेंबर जगमोहन सिंह ने कहा, इस आंदोलन में जोश के साथ होश की कमी दिख रही है। उन्होंने माना कि अगर पंधेर व डल्लेवाल के संगठन एसकेएम के साथ मिलकर यह आंदोलन आगे बढ़ाते तो केंद्र पर ज्यादा दबाव बनाया जा सकता था। इसलिए एसकेएम की ओर से छह मेंबरी कमेटी बना दी गई है, जो पंधेर व डल्लेवाल के संगठनों के साथ बैठकर चर्चा करेगी।

पंढेर ने बताई पांच दिनों की योजना
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि आज शंभू और खनौरी में मोर्चों का 13वां दिन है। आज हम दोनों सीमाओं पर एक सम्मेलन करेंगे क्योंकि डब्ल्यूटीओ पर चर्चा होगी। हमने मांग की है कि कृषि क्षेत्र को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखा जाए। हम शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। 26 फरवरी की सुबह विरोध स्वरूप डब्ल्यूटीओ, कॉरपोरेट घरानों और सरकारों की अर्थियां जलाई जाएंगी। दोपहर में दोनों बॉर्डर पर 20 फीट से ज्यादा ऊंचे पुतले जलाए जाएंगे। 27 फरवरी को किसान मजदूर मोर्चा, एसकेएम (गैर राजनीतिक) देश भर के अपने सभी नेताओं की बैठक करेगा। 28 फरवरी को दोनों मंच बैठेंगे और चर्चा करेंगे। 29 फरवरी को अगले कदम पर फैसला किया जाएगा। हम पीएम मोदी से किसानों के साथ जो कुछ भी हो रहा है उस पर बोलने के लिए कह रहे हैं।

किसानों से बर्बरता देश के लिए सही नहीं : बजरंग
किसान आंदोलन-2 में दिल्ली कूच के दौरान युवा किसान की मौत और दूसरे के गंभीर रूप से घायल होने को लेकर ओलंपियन पहलवान बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया पर कहा, किसानों के साथ बर्बरता किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए सही नहीं है। विदेश में ओलंपिक की तैयारी में जुटे पहलवान पूनिया ने शनिवार को एक्स पर लिखा, 21 फरवरी को एक नौजवान किसान शहीद हो चुका है और दूसरा गंभीर है। हरियाणा-पंजाब की सीमा पर स्थित दाता सिंह वाला सीमा से दिल्ली कूच के दौरान शुभकरण की मौत हो गई थी और प्रीतपाल सिंह घायल हुए थे।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER