TIO, सिडनी

आॅस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है। यह कदम सोशल मीडिया के युवाओं की मानसिक सेहत पर पड़ने वाले असर को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया और यह सब कुछ एक राजनीतिज्ञ की पत्नी की संजीदगी से संभव हो पाया। दरअसल, दक्षिण आॅस्ट्रेलिया के प्रीमियर (प्रधान) पीटर मलिनॉस्कस ने अपनी पत्नी के सुझाव पर इस मुद्दे पर कार्रवाई की।

उनकी पत्नी ने अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जोनाथन हैड्ट की 2024 की बेस्टसेलर्स किताब द एंग्शियस जेनरेशन पढ़ने के बाद उन्हें इस पर कदम उठाने के लिए कहा था। नतीजन, महज छह महीनों में देश के दूसरे सबसे छोटे राज्य मलिनॉस्कस की राज्य स्तर की नीति राष्ट्रीय कानून में बदल गई। खुद देश 2.7 करोड़ की आबादी की महज सात फीसदी आबादी का नेतृत्व करने वाले मलिनॉस्कस को इस पर यकीन नहीं हुआ। मलिनॉस्कस ने शुक्रवार को एडिलेड में मीडिया से कहा कि उन्होंने नहीं सोचा था कि यह इतना जल्दी लागू हो जाएगा। दुनिया के सबसे छोटे महाद्वीप की सरकार का लिया गया यह फैसला बताता है कि बड़े पैमाने पर जनता के समर्थन से क्या किया जा सकता है।

अल्बनीज को मिला देश की 77 फीसदी आबादी का साथ
आॅस्ट्रेलिया के सरकारी यू गवर्नमेंट सर्वेक्षण के मुताबिक, 77 फीसदी आॅस्ट्रेलियाई नागरिकों ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के कदम का समर्थन किया। दक्षिण आॅस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय में राजनीति और सार्वजनिक नीति के प्रोफेसर रोड्रिगो प्रेनो के मुताबिक, देश में 2025 की शुरूआत में संघीय चुनाव होने हैं। ऐसे में पीएम एंथनी अल्बनीज सहित संघीय सरकार ने माना कि यह एक ऐसी परेशानी है जिसका पूरे देश के लिए समाधान होना चाहिए।

रूपर्ट मर्डोक के लेट देम बी किड्स अभियान ने चेताया
आॅस्ट्रेलिया में हाई-प्रोफाइल घटनाओं व रूपर्ट मर्डोक के न्यूज कॉर्प के नेतृत्व में लेट देम बी किड्स (उन्हें बच्चे ही रहने दें) अभियान ने इस मुद्दे को उभारा। न्यूज कॉर्प ने टिक टॉक को बैन करने के अभियान का समर्थन किया।

विरोध के बावजूद बन गया कानून
सितंबर में दक्षिण आॅस्ट्रेलिया के प्रीमियर (प्रधान) पीटर मलिनॉस्कस ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की नीति पेश की। पीएम अल्बनीज ने तुरंत इसका समर्थन किया और नवंबर में उन्होंने इसे संसद में पेश किया। वामपंथी ग्रीन पार्टी ने इस कानून को जल्दी बनाया गया और युवाओं के लिए अन्यायपूर्ण बताया। वहीं, कुछ दक्षिणपंथी सांसदों ने अपनी पार्टी के समर्थन से अलग होकर इस कानून का विरोध किया। फिर भी यह कानून द्विदलीय समर्थन के साथ संसद के आखिरी दिन पारित हो गया। कानून 2025 के आखिर तक लागू होगा। अगले साल उम्र सत्यापन तकनीक का परीक्षण किया जाएगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER