TIO, नई दिल्ली

बांग्लादेश में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के ऐतिहासिक आवास को बुधवार देर रात प्रदर्शनकारियों ने जला दिया। इस पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तानी सेना का हवाला दिया है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री और शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना ने कहा कि ढाका स्थित धनमंडी 32 आवास हमारे संस्थापक राष्ट्रपिता की निशानी था। इसी आवास से शेख मुजीबुर्रहमान ने आजादी का बिगुल बजाया था।

पीएम शेख हसीना ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने उन्हें (शेख मुजीबुर्रहमान) इसी घर से गिरफ्तार किया था। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने ना तो इस आवास को ढहाया और ना ही इसे आग के हवाले किया। इसे छुआ तक नहीं गया। जब शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश लौटे तो उन्होंने इसी घर से देश की नींव खड़ी की। शेख हसीना ने कहा कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद ना तो कभी प्रेसिडेंशियल पैलेस में शिफ्ट हुए और ना ही प्रधानमंत्री आवास में रहे। इसी घर में उनकी मेरे पूरे परिवार के साथ हत्या कर दी गई।

बता दें कि इससे पहले शेख हसीना ने फेसबुक लाइव के जरिए पार्टी के संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर अल्लाह ने मुझे इन हमलों के बावजूद भी जिंदा रखा है तो कुछ जरूर कुछ काम करना होगा। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं इतनी बार मौत को कैसे मात दे देती? शेख हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ बांग्लादेश में शुरू किया गया आंदोलन दरअसल उनकी हत्या के लिए है। मोहम्मद यूनुस में मुझे और मेरी बहन को मारने की योजना बनाई थी।

उन्होंने अपने संबोधन में अपने आवास पर हुए हमले पर सवाल उठाते हुए कहा कि घर को आग क्यों लगाई? मैं बांग्लादेश के लोगों से इंसाफ मांगती हूं। क्या मैंने अपने मुल्क के लिए कुछ नहीं किया? तो इतना अपमान क्यों? इस हमले पर दुख जताते हुए हसीना ने कहा कि मेरी और मेरी बहन की जो यादें बची थी, वो अब मिट चुकी हैं। घर जलाया जा सकता है लेकिन इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता।

बता दें कि बांग्लादेश में बुधवार आधी रात को जमकर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के धनमंडी-32 स्थित आवास को आग लगा दी गई। उनके घर को बुलडोजर से ढहा दिया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने संबोधन में कहा कि उनके पास अभी भी इतनी ताकत नहीं है कि वे राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस आजादी को बुलडोजर से नष्ट कर सकें, जिसे हमने लाखों शहीदों के जीवन की कीमत पर हासिल किया है। वे घर को ढहा सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है। बुलडोजर से इतिहास नहीं मिटा करता।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER