नई दिल्ली। ठंड का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा। पंजाब से दिल्ली-एनसीआर और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक समूचा पूर्वोत्तर भारत भीषण शीत और घने कोहरे की चपेट में है। मौसम विभाग ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी के लिए 23 जनवरी तक ठंड व कोहरे को लेकर रेड व आॅरेंज अलर्ट जारी किया है। इस दौरान पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान 2-10 डिग्री के बीच सिमटा रहेगा। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है। घने कोहरे से सड़क, रेल और हवाई सेवाएं बाधित हुई हैं।

शुक्रवार को मैदानी क्षेत्रों में 2.4 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान के साथ कानपुर और बीकानेर सबसे सर्द रहे। मौसम विभाग के वैज्ञानिक नरेश कुमार ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के अभाव, अल-नीनो के चलते ठंड व घने कोहरे की स्थिति पांच दिन तक रह सकती है। पंजाब, हरियाणा में भी न्यूनतम तापमान 2-5 डिग्री के बीच रहा। पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद हिमाचल प्रदेश के कई जिले शीतलहर की चपेट में हैं। मैदानी क्षेत्रों में कोहरे का यलो अलर्ट है। मौसम में पहली बार कुकुमसेरी में तापमान माइनस 12.4 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। वहीं, कश्मीर घाटी में अगले हफ्ते बर्फबारी की उम्मीद है।

220 उड़ानें, 68 ट्रेनें प्रभावित
कोहरे से आईजीआई एयरपोर्ट पर 220 उड़ानें प्रभावित हुई हैं। सात उड़ानों को रद्द और सात को जयपुर डाइवर्ट किया गया। दो दर्जन उड़ानों में पांच घंटे से अधिक की देरी हुई। दिल्ली पहुंचने वाली 68 ट्रेनें भी कोहरे से प्रभावित हुईं। बनारस वंदे भारत एक्सप्रेस को रद्द करना पड़ा। बिहार संपर्क क्रांति 21:30 घंटे की देरी से शुक्रवार सुबह 10:30 बजे रवाना हुई।

उत्तर भारत में ठिठुरन के लिए पश्चिमी विक्षोभ जिम्मेदार
उत्तर भारत में भीषण सर्दी और घने कोहरे का सबसे बड़ा कारण पश्चिमी विक्षोभ (डब्ल्यूडी) का सक्रिय न होना है।?इसके अलावा अल नीनो और जेट स्ट्रीम भी जिम्मेदार है। इन तीन कारकों को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है। आमतौर पर दिसंबर से जनवरी के बीच पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित करते हैं, लेकिन इस साल सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ की ऐसी कोई भी गतिविधि देखने को नहीं मिली है। इसी का नतीजा था कि दिसंबर 2023 से अब तक पश्चिमी हिमालय के क्षेत्रों में बहुत कम बारिश या हिमपात देखा गया। यह क्षेत्र में सामान्य से करीब 80 फीसदी कम रहा। इसी तरह जनवरी के दौरान 17 तारीख तक क्षेत्र में बारिश करीब न के बराबर रही।

अल नीनो भी बड़ा कारण
मौसम विभाग के अनुसार दूसरे कारक के रूप में कहीं न कहीं अल-नीनो भी जिम्मेदार है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय न होने के लिए भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ऊपर बनी अल-नीनो की परिस्थितियां भी उत्तरदायी हैं।

जेट स्ट्रीम से बदले हालात…
आईएमडी का कहना है कि तीसरे कारक के रूप में मौसम संबंधी वर्तमान परिस्थितियों के लिए लिए जेट स्ट्रीम की भी भूमिका महत्वपूर्ण है। पिछले पांच दिनों से उत्तर भारत में समुद्र तल से करीब 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर 250 से 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली शक्तिशाली जेट स्ट्रीम चल रही है। इन शक्तिशाली हवाओं के प्रभाव से पूरे उत्तर भारत में सर्द हवाएं चल रही हैं, इससे ठंड और शीत लहर का कहर बढ़ रहा है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER