शशी कुमार केसवानी

“रिवायत” जो परंपरा सालों पहले कही खो गई थी भोपाल के खाने की होटल जहांनुमा पैलेस में फिर से शुरू किया है। इसमें खूबी यह है जो असली स्वाद पहले होता था उसी स्वाद उन्हीं मसालों के साथ रिवायत फूड फेस्टीवल का आयोजन 14 जुलाई से 17 जुलाई तक किया जा रहा है।

साथ ही साथ भोपाल में जिस तरह से हांडियों में खाना बनता था उसी तरह से खूब सूरत हांडियों में परोसा गया है। जहां से खाना लेने में लोगों को एक अलग ही फील आता है। वैसे भी जहानुमां हमेशा ही असली स्वाद का हिमायती रहा है। इस बार भी उसी स्वाद के साथ फूड फेस्टीवल का आयोजन किया है। जिसका स्वाद हमेशा जुबान पर और दिल में छाया रहे।


इसमें खास तौर पर पालक से बनी सब्जियां, सूप खास तौर से भोपाली मुर्ग रजाला जो भोपाल की परंपरागत पहचान है उसके स्वाद का क्या कहना। साथ में आचारी गोश्त जो आम तौर पर होटल में नहीं मिलता इसी तरह के कई और व्यंजन जिनका आपने शायद कभी नाम ही नहीं सुना हो।

जैसे भोपाली माश की दाल, गुलबटी मसाले दाल, बैगन का रायता, पालक का रायता, लौकी मुसल्लम, खुंभ हरा प्याज सालन, गोश्त के कबाब विथ उलटा, तवा रोटी, मछली का सालन, गिजा ए गोश्त इसी तरह से तरह-तरह की चटनियां व आचार भी, काले तिल की चटनी, हरी मिर्च की चटनी, लाल मिर्च की चटनी, होम मेड हरी मिर्च का आचार, होम मेड लहसुन का आचार साथ ही साथ मीठे में भी एक अलग स्वाद है।

कई तरह के पुलाव, खीर, फिरनी, बालूशाही, लड्डू, केसर की जलेबी का तो स्वाद अलग था साथ में होम मेड आईस्क्रीम भी एक अलग मजा दे रही थी और भी अनेकों मीठे ऐसे व्यंजनों से पुराने खानों की परंपरा बनी रहती है। जो रीत-रिवाज पुराने है वो याद आ जाते है। मैंने तो सभी चीजों का स्वाद चख लिया है अब आपकी बारी है भोपाल के होटल जहानुमां पैलेस में। आप इनका स्वाद चखकर अपने पुराने खानों की रिवायत को जिंदा रखे।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER