भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत दर्ज की है। पर हैरानी की बात यह है कि नतीजों के आठ दिन बाद पार्टी मप्र का मुखिया तय नहीं कर पाई है। इसकी बड़ी यह है कि मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पद को लेकर छाए संकट के बादल आज छंट सकते हैं। क्योंकि भाजपा ने आज सोमवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। यह बैठक दोपहर 3.30 बजे होगी, लेकिन इस बैठक में भी मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होने में संशय है।

सूत्रों की मानें तो नेता के नाम विधायक बंट गए हैं। ऐसे में हंगामा होने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। हालांकि पार्टी भी हर कदम फूंक-फूंककर रख रही है। विधायकों को भेजे गए पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि बैठक से पहले तक कोई भी विधायक मीडिया के सामने प्रतिक्रिया नहीं देगा। इतना ही नहीं, विधायकों को यह भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बैठक में उनका कोई सहायक या अंगरक्षक शामिल नहीं होगा। गौरतलब है कि आज होने वाली विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षक के तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पिछड़ा वर्ग मोर्च के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा भाग लेंगे। जो विधायकों से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। बैठक के अलग से शानदार स्टेज बनाया गया है। सुरक्षा के त्रि स्तरीय इंतजाम किए गए हैं।

एक लाइन का आएगा प्रस्ताव
आलाकमान ने जो नाम तय किया है, उसके आधार पर बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव आएगा। उस पर विधायकों की सहमति ली जाएगी। यदि इससे पहले विधायकों से रायशुमारी हुई तो करीब 50 विधायक शिवराज का नाम ले सकते हैं। एक लाइन के प्रस्ताव पर उनका रुख देखने लायक रहेगा। खासकर बैठकों और मेल-मुलाकातों का दौर तेज हो गया है। रविवार शाम को भी शिवराज ने कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात की।

यह है सीएम पद के दावेदार
शिवराज सिंह चौहान: चार बार के मुख्यमंत्री हैं। लाड़ली बहना योजना को भी भाजपा की जीत का अहम फेक्टर माना जा रहा है, जो शिवराज की महत्वकांक्षी योजना है। लोगों के बीच मामा और भैया के रूप में छवि गढ़ी और जन-नेता बनकर उभरे हैं।

नरेंद्र सिंह तोमर: चुनाव अभियान समिति का नेतृत्व किया। केंद्र में कृषि मंत्री थे। सांसदी और केंद्रीय मंत्री पद छोड़कर आए हैं। सत्ता व संगठन पर पकड़ के लिए जाने जाते हैं।

प्रहलाद पटेल: पार्टी के बड़े ओबीसी चेहरा हैं। लोधी समाज से आते हैं। महाकौशल और बुंदेलखंड में महत्वपूर्ण साबित होंगे। केंद्रीय मंत्री पद और सांसदी छोड़कर आए हैं।

कैलाश विजयवर्गीय: भाजपा संगठन में लंबा अनुभव है। उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री रहे हैं। हरियाणा और पश्चिम बंगाल में पार्टी को अच्छी सफलता दिलाई। केंद्रीय नेतृत्व से नजदीकी है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया: अवसर कम है, लेकिन प्रबल है। राष्ट्रपति से लेकर गृहमंत्री तक का आतिथ्य सत्कार ग्वालियर के अपने महल में कर चुके हैं। ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ में पार्टी को अच्छी सफलता दिलाई। कैम्पेन में पूरी ताकत झोंकी थी।

यह नेता मप्र में अपनी राजनीतिक भूमिका तलाशने हैं तैयार
बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल अपने केंद्र के पद छोड़कर मध्य प्रदेश की राजनीति में अपनी भूमिका तलाशने को तैयार हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी लंबे अरसे के बाद विधानसभा में दिखाई देने वाले हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नतीजों के बाद जिस तरह का संयम दिखाया है, वह भी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। वह पार्टी के 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मिशन-29 पर जुट गए हैं। छिंदवाड़ा, राघौगढ़ समेत तमाम उन जगहों पर गए, जहां कांग्रेस को जीत मिली थी।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER