राघवेंद्र सिंह

आज़ाद भारत के इतिहास में तेईस नबंवर की तारीख़ कई मायने में बेहद अहम है। कल तक जिस भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों और उनके रहनुमाओं ने मुसलमानों को जो डर दिखा कर एकजुट रक्खा था उसी फार्मूले से भाजपा ने बहुसंख्यक हिंदुओं को अपने हक़ में खड़ा करने का करिश्मा कर डाला है।’बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’… इस के साथ ही वक़्फ़ बोर्ड के असीमित अधिकारों को लेकर जेपीसी की बैठकों में जिस तरह के विवाद और एक किसिम की हुल्लड़बाजी की खबरें और बयानबाजी हुई उसने भाजपा की राह महाराष्ट्र में आसान कर दी । आगे इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के व्यवहार पर देश के जनमानस की पैनी नज़र रहेगी ।

बहरहाल बहुसंख्यक वर्ग को भाजपा से अधिक विपक्ष के रवैए ने यह समझाने में सहयोग किया कि अल्पसंख्यक की भाँति एक नहीं हुए तो तुम्हारे हितों को काट कर उनको दिया जाएगा जो एकमुश्त वोट करते हैं । विपक्ष ने संतुलन की रणनीति पर काम नही किया तो महाराष्ट्र जैसे नतीजे आगे भी आते रहेंगे । इसे लेकर भाजपा मारे खुशी के फूल कर कुप्पा हुई जा रही है।

नतीजतन महाराष्ट्र सरीखे अहम सूबे में कांग्रेस की लीडरशिप में चुनाव लड़ रही महा आगाड़ी विकास पार्टी की धोबी घाट वाली धुलाई हो गई । राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बनाने मराठा सरदार शरद पवार और पूर्व सीएम उद्दव ठाकरे का कांग्रेस के माईबाप राहुल गांधी जी का विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बैण्ड बाजा जुलूस निकाल दिया है । दो सौ अठ्ठासी सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने दो सो तीस विधायकों की जीत के साथ जो धमाका किया उसकी गूंज देर तक और बहुत दूर तक सुनाई देगी । लेकिन दूसरी तरफ़ झारखंड राज्य ने हेमंत सोरेन वाले इंडी ब्लाक को एक तरफा बहुमत देकर विपक्ष के दिए की लौ को भी ठंडी नही होने दिया । इसलिए देश के चतुर सुजान मतदाताओं को साष्टांग दण्डवत प्रणाम…क्योंकि वह लोकसभा चुनाव में दो सौ चालीस सीट पर भाजपा के अश्वमेघ यज्ञ को रोक कर नियंत्रित और नियोजित होने का निर्देश देता है तो दो सौ बहत्तर के स्थान पर केवल निन्यानवे सीटें जिताकर क़ायदे में रहने की नसीहत देता है । इसके बाद भी जब एनडीए के बहुमत वाली मोदी सरकार गिराने की धमकी देकर बांग्लादेश जैसी अराजकता फैलाने की बातें करने वाली कांग्रेस और उनके साथियों का कई राज्यों में बोरिया बिस्तर बांध कर साफ़ कर दिया है कि मतदाताओं को यह पसंद नही है।

खैर , राज्यों के चुनावी नतीजों पर आते हैं-महाराष्ट्र में अट्ठत्तर विधायकों वाला जो अगाड़ी गठबंधन फिर से सरकार बनाने का दावा कर रहा था उसके मात्र अड़तालीस प्रत्याशी ही विधायक बन पाए । जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना से और एनसीपी से अजीत पवार की बगावत के पहले उद्दव ठाकरे के नेतृत्व में महा अगाड़ी गठबंधन सरकार चला रहा था।
यूपी और राजस्थान में उप चुनाव में भाजपा को पहले से ज्यादा कामयाबी देकर लोकसभा चुनाव में जो झटका दिया था उस पर मरहम लगाने का काम मतदाता माइबाप ने कर दिया है।

एमपी में विजयपुर और बुदनी ने चौंकाया

एमपी में दो विधानसभा के उपचुनाव के नतीजों ने सबको हैरत मे डाल दिया है । हालांकि परिणाम को देखें तो विजयपुर सीट कांग्रेस के पास थी और दलबदल कर भाजपा में जाकर मंत्री बने रामनिवास रावत को जनता ने नकार कर दलबदल के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया है । इसे राजनीति में शुभ संकेत भी माना जा सकता है बशर्ते यह लाइन आगे भी चले । लैकिन भाजपा छोड़कर विजयपुर में कांग्रेस से चुनाव जीतने वाले मुकेश मल्होत्रा पर मतदाता थोड़ा मेहरबान दिखा ।
दूसरी तरफ़ बुदनी को भाजपा का गढ़ बनाने वाले केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुण्यकर्म यहां से भाजपा प्रत्याशी के लिए फलदाई साबित हुए । एक लाख हजार से ज़्यादा वोट से जीते शिवराज सिंह चौहान आपनी पसंद के प्रत्याशी रमाकांत भार्गव को करीब चौदह हजार वोट से ही जिता पाने में सफल हो पाए । कांग्रेस के राजकुमार पटेल ने भाजपा की आंतरिक कलह और असंतोष का लाभ उठाते हुए लगभग बानवे हजार की लीड कवर कर करीब तेरह हजार नौ सौ वोट से ही भाजपा को जीतने दिया । विधानसभा चुनाव में इतनी लीड कवर करना भी अपने आप में रिकार्ड है । कांग्रेसी इस मुद्दे पर जश्न मना सकते हैं। भाजपा कई बार हार पर जश्न मनाने का काम कर चुकी है। बुदनी में अब एक बात तय सी लगती है आने वाले चुनाव में हारजीत का अंतर पचास-साठ हजार तक भी जाएगा मुश्किल लगता है । बुदनी के हालात बिगड़ से गए हैं…

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER