TIO, इंदौर।

मप्र के धार में भोजशाला का एएसआई सर्वे चल रहा है। सर्वे के 80वें दिन सीढ़ियों के नीचे बंद कमरे से भगवान गणेश, मां वाग्देवी, मां पार्वती, हनुमानजी व अन्य देवी प्रतिमाएं मिली हैं। इसके साथ सनातनी आकृतियों वाले शंख-चक्र, शिखर समेत करीब 79 अवशेष मिले हैं। 8 बाय 10 फीट का यह कमरा दोनों पक्षों की मौजूदगी में खोला गया। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के याचिकाकर्ता ने इसे भोजशाला के प्रमाणित होने की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। वहीं मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि इन सभी चीजों को यहां पर बाद में रखा गया था।

देवी, गणेशजी, हनुमानजी समेत कई मूर्तियां मिली
जीपीआर मशीन की जांच के बाद मिले डाटा के आधार पर सर्वे के लिहाज से इसे खोला गया। जहां एक फर्श हटाने के बाद टीम ने जैसे-जैसे मिट्टी हटाई इसके बाद कमरे से सबसे पहले भगवान गणेश, मां वाग्देवी, पार्वती, महिषासुरमर्दिनी, हनुमानजी की प्रतिमा निकली। कोई प्रतिमा डेढ़ फीट की तो कोई दो से ढाई फीट की है।

यज्ञशाला की मिट्टी हटाई तो मिली पुरातन चीजें
उत्तरी हिस्से में भी मिट्टी की लेवलिंग के दौरान पिलर के बेस, बीच के हिस्से समेत करीब 6 अवशेष निकले हैं। यज्ञशाला के समीप मिट्टी हटाने के दौरान छह बड़े सनातनी अवशेष मिले हैं। इन्हें एएसआई ने जांच में शामिल किया। हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने बताया बारिश के चलते भोजशाला के आसपास बनाई गई ट्रेंच को भी मिट्टी भरकर बंद कर रहे हैं। जो अवशेष मिले वह प्रमाणित हैं और अब तक हुए सर्वे में एक दिन में सबसे ज्यादा मिले हैं। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के सदस्य व याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया है कि भोजशाला के भीतर बंद कमरा एएसआई के अधीन होकर सालों से बंद पड़ा है।

मुस्लिम पक्ष दर्ज करवाएगा आपत्ति
मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद का कहना है यह सर्वे पूरी तरह से हाई कोर्ट के आदेश पर गोपनीय तरीके से हो रहा है। मिट्टी हटाने के साथ परिसर में लेवलिंग का भी काम चला है। जो अवशेष सफाई में मिले वह बाद में रखे गए थे। इन अवशेषों के सूचीबद्ध करने पर इनके रखे जाने वाले वर्ष को शामिल कराने की आपत्ति एएसआई को दर्ज कराई जाएगी।

क्या है भोजशाला विवाद
धार जिले की आॅफिशियल वेबसाइट के मुताबिक भोजशाला मंदिर को राजा भोज ने बनवाया था। राजा भोज परमार वंश के महान राजा थे जिन्होंने 1000 से 1055 ईस्वी तक राज किया। बताया जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया था और 1401 ईस्वी में दिलवार खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में और 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में मस्जिद को बनवाया था। 19वीं शताब्दी में यहां पर खुदाई हुई तो सरस्वती देवी की प्रतिमा मिली जिसे अंग्रेज अपने साथ ले गए। यह प्रतिमा अभी लंदन के संग्रहालय में है। इस प्रतिमा को वापस भारत लाने के लिए भी विवाद चल रहा है। देश की आजादी के बाद भोजशाला में पूजा और नमाज को लेकर विवाद बढ़ने लगा। कोर्ट ने अभी यहां पर हिंदुओं को मंगलवार को प्रवेश के साथ पूजा की मंजूरी दी है और मुस्लिम समाज को शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करने की मंजूरी दी है। जब भी शुक्रवार को बसंत पंचमी आती है तो विवाद बढ़ जाता है। दोनों पक्ष अपनी पूजा और नमाज के लिए विवाद करते हैं। अब कोर्ट के आदेश पर ही यहां एएसआई का सर्वे चल रहा है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER