TIO, पटना।
हरियाणा के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी हार के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खुलता नजर आ रहा। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताने के बाद कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस की घेरेबंदी में जुट गए हैं। सपा, वाम दल और एनसीपी के बाद अब राजद ने इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व के सवाल पर बैठक करने और सर्वसम्मति से नेता का चयन करने की मांग की है।
राजद के अध्यक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि कोई वरिष्ठ नेता यदि इस गठबंधन का नेतृत्व करता है तो पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने ममता की इच्छा के संदर्भ में कहा कि पार्टी को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। ब्लॉक में शामिल सभी दलों को सर्वसम्मति से नेता चुनना चाहिए। इसके लिए इस ब्लॉक में शामिल सभी दलों की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से निर्णय लेना चाहिए। गौरतलब है कि सपा ने महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी से नाता तोड़ने के बाद ममता बनर्जी की इच्छा का सौ फीसदी समर्थन किया था।
संसद में दिख रहा टकराव
विपक्षी ब्लॉक में सरकार को घेरने के सवाल पर मतभेद साफ नजर आ रहे हैं। कांग्रेस अदाणी समूह पर अमेरिका की अदालत में लगाए गए अभियोग को पहली प्राथमिकता देना चाहती है। सपा चाहती है कि विपक्षी ब्लॉक संभल हिंसा को प्राथमिकता दे। टीएमसी का कहना है कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों के हित का ध्यान रखना चाहिए। गौरतलब है कि इस टकराव के कारण सपा और टीएमसी कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठकों और रणनीति से खुद को दूर रख रही हैं।
एनसीपी-सपा पहले ही साथ
कांग्रेस से नाराज चल रही सपा ने ममता बनर्जी की इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा को सौ फीसदी समर्थन और सहयोग की बात कही है। पार्टी प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा कि बनर्जी की इच्छा को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। इससे विपक्षी गठबंधन मजबूत होगा। एनसीपी एसपी प्रमुख शरद पवार भी कह चुके हैं कि बनर्जी मे नेतृत्व देने की क्षमता है। कई नेताओं को तैयार कर चुकीं बनर्जी को इस तरह की बात कहने का अधिकार है।
भाकपा ने हरियाणा-महाराष्ट्र के नतीजे के बाद उठाए थे सवाल
भाकपा महासचिव डी राजा ने हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि परिणाम के बाद कांग्रेस को आत्ममंथन की जरूरत है। उसने हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में सहयोगी दलों को शामिल नहीं किया। अगर सहयोगियों की बात सुनी गई होती तो नतीजे अलग हो सकते थे।
अदाणी मामले में बनी दूरी
दरअसल, विपक्षी ब्लॉक के कई सहयोगी अदाणी समूह पर अमेरिकी अदालत में लगे अभियोग के मामले में कांग्रेस के आक्रामक रुख से सहमत नहीं हैं। एनसीपी और टीएमसी नहीं चाहती कि इस मुद्दे पर संसद में कांग्रेस आगे बढ़े। सपा लोकसभा में सीटों के प्रबंधन मामले में कांग्रेस के रवैये से नाराज है।