TIO, हिसार

प्रदेश के दस नगर निगमों में से नौ में कमल खिलाकर शहरी मतदाताओं ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा उनकी सबसे पसंदीदा पार्टी है। इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रोहतक और सोनीपत नगर निगम के मेयर पद पर भी हुड्डा गुट जीत हासिल नहीं कर सका।

टूटे मनोबल और बिना संगठन के चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस का निगम चुनाव में इस बार सूपड़ा ही साफ हो गया। वहीं इस चुनाव में भाजपा पहले से भी मजबूत बनकर उभरी। जीटी बेल्ट और अहीरवाल में उसकी स्थिति और अधिक मजबूत हुई है। मानेसर को छोड़कर सभी निगमों में भाजपा ने जीत हासिल की है। मानेसर में भी निर्दलीय प्रत्याशी की जीत के पीछे कांग्रेस का हाथ नहीं है। वहां निर्दलीय प्रत्याशी को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नाम पर जीत मिली है।

सैलजा-हुड्डा का रंग रहा फीका
लचर प्रबंधन के साथ मैदान में उतरी कांग्रेस कहीं भी एकजुट नजर नहीं आई। कांग्रेस का प्रचार भी बेहद कमजोर रहा। विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ खड़े दिखाई देने वाले जाट और अनुसूचित जाति के मतदाता भी निकाय चुनाव में साथ नहीं दिखे। गढ़ ढहने का बड़ा कारण यह भी रहा।

रोहतक नगर निगम में कांग्रेस ने थोड़ा जोर लगाया था, इसके बावजूद दस साल सीएम रहकर रोहतक को अपना गढ़ बनाने वाले पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां मेयर नहीं जिता सके। सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह सिरसा से सांसद बनकर केंद्रीय मंत्री रहे। सैलजा भी सिरसा से तीसरी बार सांसद बनी हैं। सिरसा को सैलजा का गढ़ माना जाता है, लेकिन सैलजा भी अपने गढ़ में हाथ को जीत नहीं दिला सकीं।

और मजबूत हुई भाजपा, पूरे प्रदेश में खिला कमल
इस निकाय चुनाव में भाजपा ने अपने किले को बरकरार रखते हुए हुड्डा और सैलजा से उनके गढ़ छीन लिए। भाजपा पहले से ही जीटी बेल्ट के जिलों में मजबूत रही है। राव इंद्रजीत के साथ आने के बाद से अहीरवाल भी भाजपा का दुर्ग बन गया है।

भाजपा का प्रदेश कार्यालय होने के बावजूद रोहतक और सोनीपत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी, लेकिन सधी रणनीति, केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयास और सांगठनिक मजबूती के दम पर भाजपा ने कांग्रेस के इस मजबूत किले को ढहा दिया। राजस्थान और पंजाब से सटे सिरसा को भी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। धुआंधार प्रचार और जीतोड़ मेहनत के बावजूद भाजपा यहां से लोकसभा और विधानसभा चुनाव हार गई थी। इस बार भाजपा ने इस सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था।

भाजपा ने की सैलजा के गढ़ में सेंधमारी
सैलजा के गढ़ में सेंधमारी के लिए भाजपा ने भावनात्मक कार्ड भी खेला। वहीं, कांग्रेस से सिरसा में विधायक गोकुल सेतिया लगभग अकेले खड़े दिखे। इस सीट पर अनुसूचित जाति और जाट समाज के मतदाता कांग्रेस को मजबूती प्रदान करते थे। इस चुनाव में भाजपा ने उनमें भी सेंधमारी कर ली। कांडा बंधुओं का भी भाजपा को पूरा सहयोग मिला और एकजुट प्रयास से भाजपा यहां कमल खिलाने में कामयाब रही।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER