TIO, नई दिल्ली

देश में भावी जनगणना के दौरान लोगों की जातियों के पहलू को भी शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा, यह फैसला ‘देर आए दुरुस्त आए’ जैसा है। पार्टी ने कहा कि वह लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी। बता दें कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल देश भर में जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दल इसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना रहे हैं। बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्य जाति आधारित सर्वेक्षण कर भी चुके हैं।

कांग्रेस बोली- देर आए दुरुस्त आए
सरकार के बुधवार के फैसले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, पार्टी ने 9 अप्रैल, 2025 को अहमदाबाद में पारित सामाजिक न्याय पर अपने प्रस्ताव में इस मुद्दे का उल्लेख किया था। आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘देर आए दुरुस्त आए।’ रमेश ने कांग्रेस के प्रस्ताव- ‘न्यायपथ’ के स्क्रीनशॉट भी साझा किए। इसमें कांग्रेस पार्टी ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की अपनी पहलों को सूचीबद्ध किया था।

राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना पर कांग्रेस का जोर
रमेश ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का 16 अप्रैल, 2023 का पत्र भी साझा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे इस पत्र में कांग्रेस प्रमुख ने जनगणना के साथ-साथ व्यापक जाति जनगणना की मांग की थी। रमेश ने खरगे के पत्र का उल्लेख करते हुए पूछा, क्या इसके अलावा कुछ और भी कहा जाना चाहिए? अहमदाबाद में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी ने इस बात पर जोर दिया था कि सामाजिक न्याय की सांविधानिक गारंटी वाली नींव को केवल राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना से ही मजबूत की जा सकती है।

गृह मंत्री अमित शाह का बयान
पीएम मोदी की कैबिनेट में हुए फैसले को ऐतिहासिक बताया। गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘CCPA की बैठक में, आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लेकर सामाजिक समानता और हर वर्ग के अधिकारों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का संदेश दिया गया है।’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- फैसला स्वागतयोग्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, जाति जनगणना कराने का फैसला स्वागतयोग्य है। उन्होंने कहा कि ये उनकी पुरानी मांग है। बकौल नीतीश कुमार, जाति जनगणना कराने से अलग-अलग वर्गों के लोगों की संख्या का पता लगाकर उनके उत्थान के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। इससे देश के विकास को भी गति मिलेगी।

‘जनगणना में जाति’ का फैसला कांग्रेस की जीत
कांग्रेस पार्टी के नेता उदित राज ने कहा, मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। यह कांग्रेस की जीत है। आखिरकार मोदी सरकार को जाति जनगणना करानी पड़ रही है।

महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता का दावा- फैसले के पीछे बिहार में विधानसभा चुनाव
जनगणना में जाति के आंकड़ों को शामिल करने पर महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता विजय वाडेट्टीवार ने कहा, ‘हम इस फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि यह हमारी लंबे समय से मांग थी।’ हालांकि, उन्होंने इस फैसले को बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़ा। उन्होंने कहा, इस फैसले के पीछे बिहार चुनाव ही एकमात्र मकसद हो सकता है।

तेजस्वी ने पिता लालू प्रसाद यादव के संघर्षों को रेखांकित किया
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम रह चुके तेजस्वी यादव ने भी जनगणना में जाति को शामिल किए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘यह हमारी 30 साल पुरानी मांग थी। यह हमारी, समाजवादियों और लालू यादव की जीत है… इससे पहले बिहार के सभी दलों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने हमारी मांग को अस्वीकार कर दिया। कई मंत्रियों ने इससे इनकार किया, लेकिन यह हमारी ताकत है कि उन्हें हमारे एजेंडे पर काम करना पड़ रहा है।’

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी CCPA के फैसले जानकारी
राजनीतिक प्रतिक्रियाओं से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा फैसला लिया। सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया है। यह जनगणना मूल जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।’

भाजपा का दावा- जातिगत जनगणना पर कांग्रेस ने महज खानापूर्ति की
जनगणना में जाति को भी शामिल करने के पीछे सरकार की सोच स्पष्ट करते हुए केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, कांग्रेस कर पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा से ही जातिगत जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद से ही जाति को जनगणना की किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया कि जातिगत जनगणना को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। इसक बाद एक मंत्रिमंडल समूह का गठन किया गया। इसमें ज्यादातर राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की संस्तुति की। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने महज खानापूर्ति का ही काम किया। उसने महज सर्वे कराना ही उचित समझा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER