राघवेंद्र सिंह

… रोते-रोते हंसना सीखो,
हंसते-हंसते रोना
जितनी चाबी भरी राम ने
उतना चले खिलौना…
अयोध्या में 22 जनवरी में राम लला विराज रहे हैं इसी के साथ भारतीय जनमानस और राजनीति में चढ़ उतर रहे नेताओ के लिए रामजी फिर बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। जो राम सेना में हैं वे जीत के जश्न के साथ भविष्य में रामराज लाने की आस में अनन्तकाल तक सिंहासन पर बैठे रहने का सपना पाले हैं। ये उम्मीदें तो उन्हें भी रही होगी जो सत्ता से विदा कर दिए गए हैं। सिंहासन पर विराजित और राजप्रसादों में भाग्यविधाता बने ब्रह्माओं को भी कभी ऐसा ही गुमान रहा होगा। मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता से छिटके हुए नेताओं की नियति सबके लिए सबक है। लेकिन सिंहासन पर विराजते ही नेताजी गति – दुर्गति को भूल जाते है या भूलने के लिए श्रापित हैं।

सियासत के धंधे में जो अपना कारोबार दिन दूना रात चौगुना बढ़ा रहे हैं और जो धंधे के उतार पर आने से उसके चढ़ाव के लिए चढ़ावे के इंतज़ार या फिर इंतजाम में जुट रहे हैं उनके लिए 1983 की अंधा कानून फ़िल्म का यह गाना चालीस बरस बाद भी सबक और सब्र के तौर पर एकदम फिट फाट है। गीतकार आनंद बख्शी के लिखे इस गाने जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना…में लक्ष्मी कांत प्यारे लाल की मशहूर जोड़ी ने संगीत दिया था और सुर दिया था किशोर दा ने। राजनीति में भी स्क्रिप्ट कोई भी लिखे लेकिन वह होती है अंधे कानून की तरह।

मसलन साढ़े तीन साल पहले कमलनाथ सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस खलनायक मानती थी भाजपा उन्हें शिवराज सरकार बनाने के कारण हीरो मानती थी। खेल देखिए सरकार गिराने और बनाने वाले सिंधिया न तो साढ़े तीन साल पहले सीएम बने और न आज। सरकार गिराई सिंधिया ने और सीएम बन गए शिवराज। आज चौथी बार के सीएम शिवराज ने 163 विधायक जिताए और सीएम बन गए डॉ मोहन यादव। सिंधिया जी फिर प्रतीक्षा करते रह गए। ऐसे में तो यही कहेंगे- रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे… राजनीति के रंगों में भाजपा और कांग्रेस में जो दिखाई दे रहा है ताकतवर बने चाचा चौधरी के साबूओं के लिए सतर्क करने के लिए पर्याप्त है। भाजपा कांग्रेस के दिग्गज अपने जूनियर के मातहत काम करने को मजबूर है। यह संकेत है उन्हें भविष्य में होने वाली विदाई का।

खबर है कि भाजपा के कुछ दिग्गज दिल्ली दरबार में अंधा कानून फ़िल्म के संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सामने यह गाना गाने गए थे कि वे सरकार में शामिल नहीं होना चाहते हैं लेकिन प्रतिष्ठापूर्ण विदाई के लिए निर्माता निर्देशक ने उन्हें सरकार में शामिल कर ही दिया अब उनका आचरण और व्यवहार इज्जतदार विदाई का रास्ता तय करेगा। अफवाहें तो यह भी उड़ रही है कि यदि वरिष्ठों ने ठीक तरह से काम नहीं किया तो उनके महकमे में ऐसे अधिकारी बैठा दिए जाएंगे जो उन्हें नियंत्रित करेंगे। इस बीच खबर यह भी है की मध्य प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं को राज्यपालों के पद से भी नवाजा जा सकता है। इधर कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के दोनों पुत्रों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महत्व दिया जा रहा है। यह सब इस बात के संकेत है कि मुख्य धारा में नाथ और दिग्विजय सिंह को कितना भी दूर किया जाए प्रदेश कांग्रेस उनके बिना रस और गंधहीन है। अंत में फिर इसी बात को दोहराएंगे की राजनीति से लेकर समाज के हर क्षेत्र में काम करने वाले आम और खास के लिए यह समझना जरूरी है कि वह उतना ही चल पाएंगे जितनी चाबी राम ने भर दी है या उनके लिए भी है जिन में चाबी भरी हुई है और अभी भी चल रहे हैं क्योंकि आज नहीं तो कल उनकी भी चाबी खत्म होगी और मुख्य धारा से वे भी किनारे कर दिए जाएंगे। इसलिए अच्छे समय में बेहतर काम करें ताकि बुरे वक्त में लोग आपके साथ रहें।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER