TIO, ताइपे।

चीन और ताइवान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। बीजिंग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर चीनी सेना ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। हालांकि, ताइवान की सेना ने भी इसका जवाब दिया। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के विमान, नौसैनिक पोत और जहाज ताइवान की सीमा के करीब देखे गए।

इतने विमान दिखाई दिए
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने बताया कि सोमवार सुबह छह बजे से मंगलवार सुबह छह बजे ताइवान के आसपास चीनी सात नौसैनिक पोत, एक आधिकारिक जहाज और 17 सैन्य विमान उड़ान भरते देखे गए। सेना ने बताया कि 17 विमानों में से 12 ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया। बता दें चीन और ताइवान के बीच यह जल संधि एक अनौपचारिक सीमा है। इसके जवाब में ताइवान ने चीन की गतिविधि की निगरानी के लिए विमान, नौसैनिक जहाजों और वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों को तैनात किया। एमएनडी ने यह जानकारी सोशल मीडिया मंच एक्स पर दी।

हम स्थिति पर नजर रखे हुए: एमएनडी
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘आज सुबह 17 विमान , सात पोत और एक जहाज ताइवान के आसपास नजर आए। 12 विमानों ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के उत्तरी, मध्य, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणपूर्वी एडीआईजेड में प्रवेश किया। हम स्थिति पर नजर बनाए रखे हुए हैं।’

रविवार को भी घुसे थे विमान
इससे पहले, एमएनडी ने सोमवार को बताया था कि ताइवान के पास रविवार सुबह छह बजे (स्थानीय समयानुसार) से सोमवार सुबह छह बजे (स्थानीय समयानुसार) तक 21 चीनी सैन्य विमानों, सात नौसैनिक जहाजों और एक आधिकारिक जहाज के संचालन का पता चला है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 16 विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में प्रवेश किया।

क्या है ग्रे जोन रणनीति?
गौरतलब है चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। अब तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है, जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है। सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीजें होती रहती हैं, जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। चीन सितंबर 2020 से ‘ग्रे जोन’ रणनीति का अधिक बार उपयोग कर रहा है। जानकारों का कहना है कि ग्रे जोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीका है, जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमजोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER