TIO, नई दिल्ली।
तमिलनाडु में सुलूर एयरबेस में भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल एयर एक्सरसाइज तरंग शक्ति चल रही है, जिसका पहला चरण मंगलवार छह अगस्त से शुरू हो चुका है, जो 14 अगस्त तक चलेगा। वहीं पहले चरण के अभ्यास में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन अपने एसेट्स के साथ हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, तमिलनाडु के सुलूर से 200 किमी की दूरी पर स्थित कोच्चि में भारतीय नौसेना के बेस पर रूसी नौसेना के दो युद्धपोत भी पहुंचे हैं। भारतीय क्षेत्र में एक दूसरे से 200 किलोमीटर के भीतर दो अलग-अलग सैन्य गतिविधियां हो रही हैं। लेकिन इन सबके बीच चीन की भी एंट्री हो गई हैं। हालांकि चीन किसी एक्सरसाइज में हिस्सा नहीं ले रहा है, लेकिन चीन ने अपने तीन जासूसी जहाजों को भारत में हो रही इस एक्सरसाइज पर खुफिया नजर रखने के लिए अपने तीन जासूसी जहाजों को हिंद महासागर में भेज दिया है।
एयर एक्सरसाइज पर निगाह रखने के लिए चीन ने भेजे जहाज
चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत की इस सबसे बड़ी एयर एक्सरसाइज पर निगाह रखने के लिए चीन ने अपने तीन जासूसी जहाज हिंद महासागर में भेज दिए हैं। इंटेल लैब में जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस रिसर्चर डेमियन साइमन की तरफ से जारी सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि चीनी निगरानी शिप जियांग यांग होंग 03, झोंग शान दा जू और युआन वांग 7 को बंगाल की खाड़ी के मध्य हिंद महासागर क्षेत्र में एयर फोर्स एक्सरसाइज की निगरानी करने के लिए भेजा गया है। हालांकि चीन के जासूसी जहाज इस इलाके में पहले भी कई बार देखे जा चुके हैं। लेकिन इस बार की टाइमिंग को देखते हुए माना जा रहा है कि ये इस हवाई युद्ध अभ्यास पर नजर रखने के लिए भेजे गए हैं। क्योंकि इस तरंग शक्ति अभ्यास के पहले चरण में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन हिस्सा ले रहे हैं, जो नॉटो का भी हिस्सा हैं।
तरंग शक्ति का दूसरा चरण 29 अगस्त से
वहीं तरंग शक्ति का दूसरा चरण 29 अगस्त से 14 सितंबर तक जोधपुर में आयोजित होगा। दूसरे चरण में आॅस्ट्रेलिया, ग्रीस, यूएई, सिंगापुर और बांग्लादेश को हिस्सा लेना है। अभ्यास के प्रत्येक चरण में 70-80 विमान भाग लेंगे, जिनमें 27 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, चार सी-130 विमान, बीच हवा में ईंधन भरने वाले विमान और हवाई चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली विमान शामिल होंगे। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों में राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, जगुआर और मिग-29 शामिल हैं। जबकि दूसरे देशों के लड़ाकू विमानों में एफ-18, एफ-16, राफेल और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं। वहीं इस अभ्यास में शामिल होने के लिए रूस और इसराइल को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन अपनी डोमेस्टिक परेशानियों के चलते वे इसमें शामिल नहीं हुए।
भारतीय नौसेना रख रही है नजर
सूत्रों का कहना है कि तीन चीनी जासूसी जहाजों का हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में आना चीन की पीएलए नौसेना की विस्तारवादी नीतियों का हिस्सा है, जिसके तहत वह 2025 तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र की मैपिंग करके कैरियर टास्क फोर्स पेट्रोल्स शुरू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चीन के ये जासूसी जहाज भारत में चल रही एक्सरसाइज की निगरानी करने आए हों। वहीं, भारतीय नौसेना के सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र में मौजूद चीनी जासूसी जहाजों की उन्हें पूरी जानकारी है, और वे चीनी जहाजों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि केवल चीनी जहाज ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में आने वाले हर शिप की सैटेलाइट और यूएवी के जरिए मॉनिटरिंग की जाती है और यह मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस का हिस्सा है।
बंगाल की खाड़ी के काफी अंदर तक आ चुका है ये जहाज
सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि उच्च क्षमता वाला चीनी निगरानी पोत जियांग यांग हांग 03 अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में अंडमान द्वीप समूह (बंगाल की खाड़ी के मध्य) के पश्चिम में लंगर डाले खड़ा है। वहीं यह बंगाल की खाड़ी के काफी नजदीक तक दो बार चक्कर भी लगा चुका है। जियांग यांग हांग 03 चीन के रिसर्च और सर्विलांस जहाजों के बेड़े का हिस्सा है। यह तीन महीने तक लगभग 12 किलोमीटर की गहराई पर रहकर समुद्र तल का मैपिंग कर सकता है और भविष्य में पनडुब्बी संचालन के लिए समुद्र संबंधी डाटा जुटा सकता है। चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन का यह जहाज विशेषकर हिंद महासागर में समुद्री निगरानी अन्य अभियानों में शामिल रहा है।
सैन्य निगरानी के लिए कुख्यात हैं ये चीनी जहाज
वहीं, जियांग यांग हांग 03 के अलावा सैटेलाइट तस्वीरों एक अन्य जासूसी जहाज झोंग शान दा जू शिप भी दिखाई दे रहा है। 2019 में निर्मित, झोंग शान दा जू एडवांस रिसर्च शिप है, जिसकी लंबाई 101 मीटर (331 फीट), चौड़ाई 17 मीटर (56 फीट), ड्राफ्ट 6 मीटर (20 फीट) है। वहीं इस शिप पर एडवांस सर्विलांस इक्विपमेंट्स लगे हुए हैं। यह शिप हिंद महासागर इलाके के अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में दिखाई दे रहा है। इसके अलावा, इसी के साथ एक अन्य सर्विलांस शिप युआन वांग 7 भी स्पॉट किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक यह एक ट्रैकिंग शिप है, जिसे चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी आॅपरेट करती है। यह शिप अंतरिक्ष और मिसाइल ट्रैकिंग के साथ-साथ निगरानी और टोही अभियानों के लिए प्रसिद्ध है। इस शिप पर जहाज उपग्रह और मिसाइल प्रक्षेपणों के साथ-साथ अन्य समुद्री और हवाई लक्ष्यों की निगरानी करने के लिए उन्नत सेंसर, संचार प्रणाली और ट्रैकिंग उपकरणों भी लगे हुए हैं। यह अंतरिक्ष यानों और मिसाइलों पर नजर रखने के साथ-साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विदेशी सैन्य गतिविधियों की निगरानी करने सहित कई मिशनों में शामिल रहा है। युआन वांग 7 को हिंद महासागर, दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर समेत पहले भी कई जगह स्पॉट किया जा चुका है।
युआन वांग 7 शिप की मौजूदगी चिंताजनक
वहीं सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र में युआन वांग 7 शिप की मौजूदगी वाकई चिंताजनक है। एक तरफ तो एक्सरसाइज चल रही है, तो दूसरी तरफ बांग्लादेश में भी अनिश्चितता है और ताइवान को लेकर पहले ही टेंशन है। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में होने की वजह से इन जहाजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि इस बात को इनकार नहीं किया जा सकता है कि चीन जिस तरह से इस क्षेत्र मे अपनी नौसैनिक गतिविधियां बढ़ा रहा है, उसका दवाब भारतीय नौसेना को भी झेलना होगा। इसके लिए भारतीय नौसेना को मानव रहित पानी के नीचे काम करने वाले ड्रोन और पानी में लंबे समय तक टिकने वाली पनडुब्बियां हासिल करनी होंगी।
रूस और अमेरिका दोनों के साथ रणनीतिक संबंधों को साध रहा भारत
जहां तक तरफ वायु सेना की एयर एक्सरसाइज चल रही है, तो दूसरी तरफ दो रूसी नौसेना के युद्धपोत भी केरल के कोच्चि में डेरा डाले हुए हैं। भारतीय क्षेत्र में एक दूसरे से 200 किलोमीटर के भीतर दो अलग-अलग सैन्य गतिविधियां हो रही हैं। रूसी नौसेना के वॉरशिप मिसाइल क्रूजर वरयाग और मार्शल शापोशनिकोव बुधवार को ही कोच्चि पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि भारत, रूस और अमेरिका दोनों के साथ रणनीतिक संबंधों को साधने की कोशिश कर रहा है। जहां अमेरिका के नॉटो सहयोगी तरंग शक्ति में हिस्सा ले रहे हैं, तो वहीं कोच्चि में स्थित नौसेना की दक्षिणी कमान रूसी वॉरशिप्स के साथ एक्सरसाइज करेगी। रूस के ये जहाज भारत के बंदरगाह पर अपने स्टॉक पूरा करेंगे और बारतीय नेवी के साथ मैत्रीपूर्ण अभ्यास में हिस्सा लेंगे।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोच्चि बंदरगाह की यात्रा में प्रशांत बेड़े के जहाज शामिल हुए हैं। कुछ दिन पहले ही ये जहाज ओमान के सलालाह बंदरगाह से रवाना हुए थे। प्रशांत बेड़े की टुकड़ी का लंबी दूरी का मिशन 22 जनवरी 2024 को शुरू हुआ। इस दौरान, ये जहाज कई वॉर एक्सरसाइज में भी शामिल हुए हैं।