TIO, नई दिल्ली।

अठारहवीं लोकसभा के पहले सत्र का सोमवार से आगाज हो गया है। विशेष सत्र में गुरुवार को नए अध्यक्ष का चुनाव होगा। इस पद के लिए राजग के सहयोगी दलों ने भाजपा को फ्री हैंड दे दिया है। भाजपा इस पद पर किसे बिठाएगी, यह अभी तय नहीं है। विपक्ष को उम्मीद थी कि इस पद को लेकर राजग सहयोगियों में फूट पड़ेगी। हालांकि, ऐसा नहीं होने के बाद अब विपक्ष परंपराओं का हवाला देते हुए उपाध्यक्ष का पद सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को देने की मांग कर रहा है। दूसरी ओर भाजपा ने संकेत दिया है कि यह पद उसके किसी सहयोगी दल को दिया जाएगा। अध्यक्ष के चुनाव के बाद पीएम मोदी सदन से अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों का परिचय कराएंगे।

प्रोटेम स्पीकर का सहयोग नहीं करेंगे विपक्षी सांसद
18वीं लोकसभा के प्रथम सत्र के पहले दिन सोमवार को इंडिया गठबंधन के सांसद संसद परिसर में इकट्ठा होंगे। यहां से विपक्षी गठबंधन के सभी सांसद सदन तक एक साथ मार्च करेंगे। विपक्षी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सांसद पुराने संसद भवन के गेट नंबर 2 के पास एकत्र होंगे, जहां कभी गांधी प्रतिमा हुआ करती थी।राजनेता ने कहा कि कुछ सांसद भारत के संविधान की प्रतियां लेकर संसद भवन तक पैदल चलेंगे। इंडिया गठबंधन का कहाना है कि लोगों ने संविधान बचाने के लिए विपक्षी दलों का समर्थन किया। विपक्षी दलों ने सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान प्रोटेम स्पीकर का सहयोग न करने की बात कही है। एएनआई सूत्रों के मुताबिक विपक्षी गठबंधन- कठऊकअ आठ बार के सांसद के सुरेश को प्रोटेम स्पीकर न बनाए जाने से नाराज है।

प्रोटेम अध्यक्ष पर यह है विपक्ष की आपत्ति 😕
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, महताब लगातार सात बार चुनाव जीते हैं जबकि के.सुरेश 1998 और 2004 में दो चुनाव हारे हैं। ऐसे में उनका रिकॉर्ड लगातार चार चुनाव जीतने का ही है। दूसरी ओर विपक्ष का कहना है कि के.सुरेश आठ बार चुनाव जीते हैं। महताब ने पहली बार 1998 में लोकसभा चुनाव जीता जबकि सुरेश 1989 से ही लोकसभा सदस्य हैं। दो चुनाव हारने से यह तथ्य नहीं बदलता कि वह आठ बार सांसद रहे हैं जो महताब से एक कार्यकाल अधिक है। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने महताब के नामांकन पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, यदि भाजपा का तर्क मान लिया जाए तो आखिर भाजपा के ही लगातार सात बार के सांसद रमेश चंदप्पा जिगजिनागी को प्रोटेम अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया।

अध्यक्षों के पैनल में अपने सदस्य नहीं देगा विपक्ष
विपक्षी दलों ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वे इस पैनल में अपने सदस्य नहीं शामिल करेंगे। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने गतिरोध तोड़ने के लिए टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय से मुलाकात की। सुदीप का नाम राष्ट्रपति ने पैनल में शामिल किया है, लेकिन रिजिजू से मुलाकात में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह विपक्ष के फैसले के साथ रहेंगे और पैनल में शामिल नहीं होंगे। बंद्योपाध्याय से मिलने के बाद रिजिजू ने सोशल मीडिया पर लिखा, तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय से मिला। सुदीप दा का संसद में लंबा कार्यकाल रहा है और वह अब सदन में अपने शांत और गरिमापूर्ण व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। 18वीं लोकसभा उनके अनुभव से लाभान्वित होगी।

राष्ट्रपति नामित करते हैं अध्यक्ष पैनल
स्पीकर के चुनाव से पहले प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए अध्यक्ष पैनल के सदस्यों को राष्ट्रपति की ओर से चुना जाता है। इस बार पैनल में कांग्रेस से के. सुरेश, डीएमके से टीआर बालू, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय और भाजपा से राधामोहन सिंह व फग्गन सिंह कुलस्ते को शामिल किया गया है। हालांकि विपक्ष ने स्पष्ट किया है कि उसके सदस्य इस पैनल में शामिल नहीं होंगे। इस पैनल के सदस्यों के बाद प्रोटेम अध्यक्ष मंत्रिमंडल के सदस्यों को बतौर सांसद शपथ दिलाएंगे और बाद में राज्यों के नाम के वर्णक्रमानुसार सदस्यों का शपथ ग्रहण होगा। वहीं, विपक्ष की रणनीति राष्ट्रपति के अभिभाषण पर होने वाली चर्चा के दौरान आक्रामक रुख अपनाने की है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER