TIO, वॉशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने विदाई संबोधन में देश की जनता को सुपर रिच (दौलतमंद) के लोगों के बढ़ते प्रभाव के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में दौलतमंद, शक्ति और सत्ता पर प्रभाव डालने वाला एक ओलिगार्की (कुलीन तंत्र) आकार ले रहा है। यह हमारे लोकतंत्र, मूल अधिकारों, स्वतंत्रता और सभी के आगे बढ़ने के निष्पक्ष अवसर को खतरे में डाल रहा है। ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता का होना खतरनाक है।
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता सौंपने से पहले ओवल कार्यालय से बात करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन ने कुछ लोगों के पास शक्ति और पैसे को इकट्ठा किए जाने पर चिंता जाहिर की। बाइडन ने कहा कि अगर सत्ता को अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो इसके खतरनाक परिणाम होंगे। उन्होंने तकनीकी औद्योगिक परिसर के प्रभाव पर भी चिंता जताई। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं एक तकनीकी औद्योगिक परिसर के संभावित उदय के बारे में भी चिंतित हूं जो हमारे देश के लिए भी वास्तविक खतरे पैदा कर सकता है।
राष्ट्रपति बाइडन ने व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले अपने कार्यकाल में अमेरिकियों के विचारों को आकार देने पर बात की। बाइडन ने कहा कि हमने साथ मिलकर जो कुछ किया है उसका प्रभाव महसूस करने में समय लगेगा। लेकिन बीज बोए गए हैं और वे बड़े होंगे और आने वाले दशकों तक खिलते रहेंगे। राष्ट्रपति बाइडन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भी समर्थन किया।
वादे अधूरे रह गए
राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को एक पत्र जारी किया। इसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उनके वादे अधूरे रह गए। उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ा क्योंकि मेरा मानना था कि अमेरिका की आत्मा दांव पर थी। हम कौन हैं उसकी प्रकृति ही खतरे में थी। अभी भी यही स्थिति है। इसके अलावा उन्होंने उपलब्धियों पर भी जोर दिया। उन्होंने पत्र में लिखा कि पृथ्वी पर कहीं और ऐसा नहीं हो सकता। स्क्रैंटन, पेंसिल्वेनिया और क्लेमोंट, डेलावेयर में मामूली शुरूआत से हकलाने वाला बच्चा एक दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में ओवल कार्यालय में रेसोल्यूट डेस्क के पीछे बैठ सकता है। मैंने अपना दिल और अपनी आत्मा हमारे देश को दे दी है। बदले में मुझे अमेरिकी लोगों के प्यार और समर्थन से लाखों बार आशीर्वाद मिला है।
क्या होता है ‘ओलिगार्की’ का मतलब?
‘ओलिगार्की’ सामाज के ऐसे लोगों के संगठन को कहा जाता है, जहां राजनीतिक शक्ति मुख्य रूप से गिनेचुने धनवान लोगों के पास होती है। यह दौलतमंद वर्ग पूरी आबादी का एक छोटा सा हिस्सा होता है। ऐसे लोग इस राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल अपने ही वर्ग के फायदे और हितों की रक्षा के लिए करते हैं।