राकेश अचल
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की छवि व्यवस्थित नहीं है. वे अतीत में मसखरे रहे हैं और वर्तमान में उनकी छवि एक मयनोश आदमी की है लेकिन हकीकत ये भी है कि वे जनादेश लेकर पंजाब जैसे सीमावर्ती संवेदनशील राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं .वे जनादेश से पहले लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं ,लेकिन इन दिनों अपने ही एक मंत्री को भ्र्ष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर उसे जेल भिजवाने की वजह से चर्चा में हैं .
आज के महाभ्रष्ट दौर में भगवंत सिंह मान द्वारा उठाया गया कदम केवल सनक नहीं कहा जा सकता,उसकी तारीफ़ तो करना ही पड़ेगी और लोग तारीफ़ कर रहे हैं. मान जिस पार्टी के सदस्य हैं उसके संस्थापक अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल कर रहे हैं. मान ने भ्र्ष्टाचार के खिलाफ जंग में अपनी पार्टी के अध्यक्ष से भी ज्यादा बड़ी लकीर खींच दी है .हाल के वर्षों में जो मान ने किया है वैसा किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया .कर भी नहीं सकता क्योंकि सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे होते हैं ,यानि हमाम में सबके सब नंगे हैं .मध्यप्रदेश में जरूर एक पूर्व मंत्री को जेल की हवा खाना पड़ी थी लेकिन वो अलग मामला था .
पिछले दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा कदम लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने ही स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंघला को बर्खास्त कर दिया । बर्खास्तगी के बाद ‘एंटी करप्शन ब्रांच’ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। ने स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करने की कार्रवाई भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद की गयी । स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंघला पर ठेके में कमीशन लेने का आरोप था। आरोप के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री अधिकारियों से ठेके पर एक पर्सेंट कमीशन की मांग कर रहे थे । इसकी शिकायत मुख्यमंत्री भगवंत मान से की गई थी जिसके बाद उन्होंने विजय सिंघला को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया।
ये सारा घटनाक्रम हालाँकि नाटकीय लगता है ,लेकिन हकीकत भी ये है कि ऐसा सब हुआ .ऐसी घटनाएं अन्य राज्यों में रोज होती हैं लेकिन किसी मंत्री को मात्र आरोपों के बाद बिना किसी जांच -परख के बर्खास्त नहीं किया जाता .मध्यप्रदेश में तो पिछली कांग्रेस सरकार और वर्तमान की भाजपा सरकार में अनेक मंत्रियों पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगते आये हैं लेकिन किसी को बर्खास्त नहीं किया गया .तय है कि मान ने ये कार्रवाई अपनी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को भरोसे में लेकर की होगी और मुमकिन है कि ऐसा न भी हुआ ,क्योंकि मान तो मान हैं .किन्तु अब पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भगवंत मान की तारीफ करना पड़ रही है है।
केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी कट्टर ईमानदार हैं। उन्होंने कहा, भगवंत मान पर मुझे गर्व है। वह चाहते तो मामले को दबा सकते थे लेकिन आम आदमी पार्टी ईमानदार है।
यकीनन मान चाहते तो अपने स्वास्थ्य मंत्री को बचा सकते थे. सब मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों को बचाते हैं और अंत तक बचाते हैं .आरोप तो दूर सब देखते-जानते हुए अपने मंत्रियों के भ्र्ष्टाचार की और से ऑंखें फेर लेते हैं .,पर पंजाब में ऐसा नहीं हुआ .पंजाब में जो हुआ वो फिलहाल एक नजीर है भ्र्ष्टाचार पर ‘ जीरो टालरेंस ‘ की .सवाल ये है कि केजरीवाल मान पर गर्व क्यों न करें ? केजरीवाल को कहना पड़ रहा है कि आम आदमी पार्टी ने साबित कर दिया है कि चाहे गर्दन कट जाए पर देश से गद्दारी नहीं करेंगे। केजरीवाल कहते हैं कि, ”किसी को भी इस भ्रष्टाचार का पता नहीं था। न ही विपक्ष को और न ही मीडिया को। मान चाहते तो मंत्री से सेटिंग करके अपने लिए एक हिस्सा मांग सकते थे। अब तक तो ऐसा ही होता था। मान चाहते तो मामले को दबा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने खुद अपने मंत्री के खिलाफ एक्शन लिया। भगवंत पूरे पंजाब और पूरे देश को आपके ऊपर गर्व है।”
मुश्किल ये है कि अपने ही स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ कार्रवाई के बाद भी वे अपनी पुरानी छवि से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं .स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि एक प्रतिशत भी भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता ने बहुत उम्मीदों से आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई है, उस उम्मीद पर खरा उतरना हमारा कर्तव्य है। भगवंत मान ने कहा कि जबतक अरविंद केजरीवाल जैसे भारत मां के बेटे है और भगवंत मान जैसे सिपाही, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ महायुद्ध जारी रहेगा। सवाल ये है कि जैसा मान कह रहे हैं ,क्या वैसा हो पायेगा ? भ्र्ष्टाचार के खिलाफ लड़ना कोई आसान काम नहीं है .कहने को सब भ्र्ष्टाचार के खिलाफ लड़ते हैं लेकिन ये एक छाया युद्ध होता है जिसमें भ्र्ष्टाचार का कभी कुछ नहीं बिगड़ता .
भ्र्ष्टाचार के खिलाफ कौन नहीं लड़ता.कांग्रेस लड़ी,लेकिन खुद भ्र्ष्टाचार के आरोपों में फंसी रही .प्रधानमंत्री तक नहीं बचे इन आरोपों में .भाजपा भी लड़ी लेकिन न अपने पार्टी अध्यक्ष को और न अनेक मुख्यमंत्रियों को इन आरोपों से बचा सकी ,कार्रवाई करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता .वामपंथी,समाजवादी,अगड़े-पिछड़े सभी राजनीतिक दल भ्र्ष्टाचार से लड़ते आये हैं लेकिन उनकी लड़ाई जनता की आँखों में धूल झोंकने से ज्यादा कुछ नहीं है .दरअसल नेता भ्र्ष्टाचार का पावडर लगाए बिना रह ही नहीं सकता .भ्र्ष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किसी ने भगवंत सिंह मान बनना स्वीकार नहीं किया .आपको याद होगा कि साल 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने एक मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में किया था बर्खास्त, आज देश में ऐसा दूसरी बार हुआ है .
आने वाले दिनों में मुमकिन है कि जेल से आने के बाद पंजाब के बर्खास्तशुदा स्वास्थ्य मंत्री कोई नया खुलासा करें और पासा पलट जाये ,लेकिन आज तो मान की नजीर ही सुर्ख़ियों में है .मैंने और मुमकिन है कि आपने भी इससे पहले मान को या तो ‘ स्टेंडअप कॉमेडी ‘ करते हुए देखा है या फिर संसद में नीम बेहोशी के हालात में भाषण देते हुए .मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे अपने अंगरक्षकों के सहारे चलते दिखाई दिए हैं इसलिए ये यकीन कर पाना सबके लिए कठिन हो रहा है कि जो कुछ मान ने किये है वो हकीकत है या कोई ‘ कॉमेडी ‘ ? भगवान करे कि मान की कार्रवाई हकीकत ही निकले ,ताकि कहने को हमारे पास कुछ तो हो ,अन्यथा हर प्रदेश में भ्र्ष्ट ही नहीं महाभ्रष्ट मंत्री हैं और उन्हें सब जानते हैं .दुर्भाग्य तो ये है कि सांखला कि तरह कमीशन लेने वाले ऐसे महाभ्रष्ट मंत्रियों को पार्टी का ‘फंड कलेक्टर ‘ कहकर महिमा मंडित किया जाता है आप पार्टी मान को पूरे पांच साल काम करने का मौक़ा दे ताकि वे अपने अभियान को जारी रख सकें ,अन्यथा सभी को आशंका है कि केजरीवाल कभी भी मन को चलता कर सकते हैं ,भले ही वे आज मान पर गर्व करते नजर आ रहे हों.