TIO, कोलकाता/दिल्ली।

पश्चिम बंगाल सरकार ने भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा और तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर बातचीत पर नाराजगी जताई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आरोप है कि केंद्र ने पड़ोसी देश के साथ बातचीत में राज्य सरकार को शामिल नहीं किया। जबकि, बंगाल का बांग्लादेश के साथ भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बहुत करीबी रिश्ता है। ममता ने सोमवार (24 जून) को इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा। इसमें उन्होंने बांग्लादेश से जल बंटवारे के मुद्दे पर चर्चा से बंगाल सरकार को बाहर करने पर कड़ी आपत्ति जताई। ममता ने तीन पेज के लेटर में कहा- राज्य सरकार से पूछे बिना इस तरह की एकतरफा बातचीत हमें मंजूर नहीं है।

दरअसल, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 21 जून को दो दिनों के लिए भारत दौरे पर आई थीं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी कई मुद्दों पर बातचीत हुई। दोनों प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय बैठक में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन और 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण पर भी चर्चा की थी।

ममता के लेटर के कुछ प्रमुख अंश…
हाल की में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत आई थीं। मुझे पता चला है कि इस दौरान उनके साथ गंगा और तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर उनसे चर्चा हुई है। पश्चिम बंगाल ने अतीत में बांग्लादेश के साथ कई मुद्दों पर सहयोग किया है। इनमें भारत-बांग्लादेश एनक्लेव के एक्सचेंज पर समझौता, दोनों देशों के बीच रेल-बस कनेक्टिविटी जैसे काम मील के पत्थर साबित हुए हैं।

हालांकि, पानी बहुत कीमती है और लोगों की लाइफलाइन है। हम ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते, जिसका लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। तीस्ता और फरक्का जल बंटवारे को लेकर समझौतों से बंगाल के लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। मुझे पता चला कि भारत सरकार भारत-बांग्लादेश फरक्का संधि (1996) को नवीनीकरण करने की प्रक्रिया में है, जो 2026 में समाप्त होनी है। यह एक संधि है जो बांग्लादेश और भारत के बीच जल बंटवारे के सिद्धांतों को रेखांकित करती है।

इसका पश्चिम बंगाल के लोगों पर उनकी आजीविका बनाए रखने पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। फरक्का बैराज में जो पानी मोड़ा जाता है, वह कोलकाता पोर्ट की नौवहन क्षमता को बनाए रखने में मदद करता है। पिछले कुछ सालों में तीस्ता में पानी का प्रवाह कम हो गया है। अगर बांग्लादेश के साथ पानी साझा किया गया, तो सिंचाई के लिए पानी की कमी होगी। इससे उत्तरी बंगाल के लाखों लोग प्रभावित होंगे। वे लोग पीने के पानी के लिए भी तीस्ता जल पर निर्भर हैं।

मैं बांग्लादेश के लोगों से प्यार और उनका सम्मान करती हूं। मैं हमेशा उनकी भलाई की कामना करती हूं, लेकिन बंगाल सरकार के बिना बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि पर कोई चर्चा नहीं की जानी चाहिए। पश्चिम बंगाल में लोगों का हित सर्वोपरि है, जिससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

केंद्र ने कहा- बंगाल को बांग्लादेश के साथ बातचीत की सूचना दी थी
ममता के आरोपों पर केंद्र सरकार ने भी जवाब दिया और कहा कि तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि को लेकर बांग्लादेश के साथ केंद्र की चर्चा के बारे में पश्चिम बंगाल सरकार को जानकारी दी गई थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने 24 जुलाई 2023 को बंगाल सरकार को लेटर लिखा था। उसने फरक्का में जल बंटवारे पर 1996 की संधि की आंतरिक समीक्षा को लेकर कमेटी के लिए बंगाल सरकार को अपने एक अधिकारी को नॉमिनेट करने को कहा था।

उसी साल 25 अगस्त में बंगाल सरकार ने कमेटी के लिए राज्य के चीफ इंजीनियर (डिजाइन और अनुसंधान), सिंचाई और जलमार्ग को नॉमिनेट करने की सूचना दी। इस साल 5 अप्रैल को बंगाल सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी (कार्य, सिंचाई और जलमार्ग विभाग) ने फरक्का बैराज से अगले 30 सालों के लिए पानी छोड़ने की मांग की थी।

क्या है गंगा और तीस्ता जल बंटवारे का मुद्दा?
दरअसल, भारत ने 1975 में गंगा नदी पर फरक्का बैराज का निर्माण किया था, जिस पर बांग्लादेश ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच 1996 में गंगा जल बंटवारा संधि हुई थी। यह संधि सिर्फ 30 सालों के लिए थी, जो अगले साल खत्म होने वाली है। इसके अलावा बांग्लादेश, भारत से तीस्ता मास्टर प्लान को लेकर भी बातचीत कर सकता है। तीस्ता मास्टर प्लान के तहत बांग्लादेश बाढ़ और मिट्टी के कटाव पर रोक लगाने के साथ गर्मियों में जल संकट की समस्या से निपटना चाहता है।

इसके साथ ही बांग्लादेश तीस्ता नदी पर एक विशाल बैराज का निर्माण कर इसके पानी को एक सीमित इलाके में कैद करना चाहता है। इस प्रोजेक्ट के लिए चीन बांग्लादेश को 1 अरब डॉलर की रकम सस्ते कर्ज पर देने के लिए तैयार हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कि चीन लंबे समय से तीस्ता मास्टर प्लान के लिए बांग्लादेश को कर्ज देने की कोशिश कर रहा है मगर भारत की नाराजगी की वजह से ये डील नहीं हो पाई है। उम्मीद जताई जा रही है कि शेख हसीना इस दौरे पर कोई रास्ता तलाशने की कोशिश करेंगी।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER