TIO, वॉशिंगटन।

अमेरिका के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि बाइडन सरकार ने 7 अक्तूबर से शुरू हुए गाजा युद्ध के बाद से अब तक इस्राइल को हजारों विनाशकारी बम और गोला-बारूद भेजे हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका द्वारा इस्राइल को भेजी गई हथियारों की खेप में 14 हजार दो हजार पाउंड वजनी एमके-84 विनाशकारी बम, 6,500 पांच सौ पाउंड के बम, तीन हजार हेलफायर मिसाइल, एक हजार बंकर तबाह करने वाले बम, 2600 हवा से जमीन पर मार करने वाले छोटे बम और अन्य गोला बारूद शामिल हैं। अमेरिका ने अभी तक इस्राइल को भेजे हथियारों की सूची सार्वजनिक नहीं की थी।

अमेरिका द्वारा इस्राइल को हथियार भेजने में अभी भी खासी कमी नहीं आई है
अमेरिकी अधिकारियों ने इस्राइल को हथियार भेजने की समयसीमा का खुलासा नहीं किया है और ये भी बताया कि अभी भी अमेरिका द्वारा इस्राइल को हथियार भेजने में खासी कमी नहीं आई है। यह जानकारी ऐसे समय सामने आई है, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस्राइल को हथियार न भेजने की अपील कर रहा है और खुद अमेरिका ने भी इस्राइल को बड़े और विनाशकारी हथियारों को भेजने पर बीते दिनों रोक लगा दी थी। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के हथियार विशेषज्ञ टॉम कराको ने बताया कि, हथियारों की यह सूची स्पष्ट रूप से हमारे इस्राइली सहयोगियों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन को दशार्ती है।

कंक्रीट की मोटी परत और धातु को भी चीर सकता है दो हजार पाउंड का बम
गाजा युद्ध की शुरूआत से ही इस्राइल और ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के बीच गोलीबारी जारी है, और चिंता है कि इस्राइल और हिजबुल्ला में पूर्ण युद्ध छिड़ सकता है। बुधवार को बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया कि वाशिंगटन ने 7 अक्टूबर से इस्राइल को 6.5 बिलियन डॉलर के हथियार भेजे हैं। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल के हफ्तों में दावा किया कि वाशिंगटन हथियार रोक रहा है। हालांकि अमेरिका ने इससे इनकार किया, लेकिन कुछ अड़चनों की बात स्वीकार की थी। दरअसल गाजा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत पर बाइडन सरकार ने चिंता जताई थी और इसी का हवाला देते हुए 2000 पाउंड वाले बड़े बमों की खेप रोक दी थी। हालांकि अन्य हथियारों की खेप सामान्य रूप से जारी है। गौरतलब है कि दो हजार पाउंड का बम मोटे कंक्रीट और धातु को भी चीर सकता है, जिससे विस्फोट का दायरा काफी बड़ा हो जाता है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER