TIO, रांची
झारखंड विधानसभा चुनाव की सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। यहां 13 नवंबर को पहले चरण का जबकि 20 नवंबर को दूसरे दौर का चुनाव है। इस चुनाव में तमाम दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं। आॅल झारखंड स्टूडेंट यूनियन यानी आजसू को इस चुनाव में अहम कड़ी मानी जा रही है। पृथक झारखंड आंदोलन से निकली पार्टी राज्य में एक प्रमुख सियासी केंद्र बनकर उभरी। यही कारण है कि आजसू प्रमुख सुदेश महतो झारखंड के उपमुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।
आजसू पार्टी की कहानी क्या है?
1980 के दशक में जब राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड राज्य गठन के बारे में पहली बार विचार सामने आया, तब आॅल असम स्टूडेंट्स यूनियन की तर्ज पर आजसू को झारखंड मुक्ति मोर्चा के यूथ विंग के तौर पर 1986 में स्थापित किया गया। झारखंड राज्य की मांग ने आजसू को एक राज्यस्तरीय पार्टी के रूप में पहचान दी। कभी आजसू में कार्यकर्ता के तौर पर काम करने वाले सुदेश महतो आज इसके मुखिया हैं।
आजसू ने झामुमो से तोड़ा नाता
अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर इनकी प्रतिबद्धता इतनी ज्यादा थी कि इन्होंने 1989 के लोकसभा चुनावों के बहिष्कार करने का फैसला किया। इसके लिए बिहार में हड़ताल और बंद का आह्वान किया गया। शिबू सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आजसू का इस बहिष्कार का समर्थन नहीं किया। यहीं से आजसू ने अपनी राजनीति को झामुमो से अलग कर लिया। आखिरकार 22 जून 1986 को झारखंड आंदोलन में प्रमुख चेहरे और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेता निर्मल महतो ने आजसू की स्थापना की। आजसू की मांग और व्यापक जनसमर्थन के आगे झुकते हुए 1995 में बिहार सरकार ने झारखंड एरिया आॅटोनोमस काउंसिल का गठन कर दिया। 90 सदस्यों वाली इस काउंसिल में झामुमो के 41 जबकि जनता दल 31 सदस्य थे। आजसू ने इसका भी बहिष्कार किया। उसने पूर्ण राज्य के लिए अपने आंदोलन को और तेज कर दिया।
जींस-टीशर्ट पहनने वाले सुदेश 25 साल में बने विधायक
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनते ही झारखंड को अलग राज्य बनाने की कवायद शुरू कर दी गई। साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान संसद ने बिहार पुनर्गठन अधिनियम के जरिए झारखंड का निर्माण किया। लंबे समय तक बिहार का हिस्सा रहा झारखंड आखिरकार 15 नवंबर 2000 को भारत का 28वां राज्य बन गया। उस वर्ष की शुरूआत में बिहार में हुए चुनाव के आधार पर झारखंड की पहली विधानसभा के गठन का आधार बना। इसी चुनाव में आजसू के युवा नेता सुदेश महतो सिल्ली से जीतकर विधायक बने। सुदेश ने 2000 में महज 25 वर्ष की आयु में पहला विधानसभा चुनाव जीता था।
लालू का मंत्री पद का आॅफर ठुकराया
आजसू के नेताओं के अनुसार, झारखंड में हुए पहले चुनाव में लालू लालू प्रसाद यादव ने अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए सुदेश महतो से समर्थन के बदले मंत्री पद देने का वादा किया था पर उन्होंने इनकार कर दिया। इन चुनावों के आधार पर भाजपा ने सहयोगियों के साथ मिलकर राज्य में पहली सरकार बनाई। 15 नवंबर 2000 को बाबूलाल मरांडी ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। महतो ने बाबूलाल मरांडी की सरकार को समर्थन दिया और बदले में उन्हें झारखंड सरकार में सड़क निर्माण मंत्री का पद मिला। साल 2000 में अस्तित्व में आए झारखंड ने अब तक तमाम राजनीतिक अस्थिरताएं देखी हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि कभी भी किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। लिहाजा जितनी सरकारें बनीं उनमें आजसू जैसे क्षेत्रीय दलों की भी भूमिका रही। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए 2005 में राज्य में पहली बार चुनाव हुए। जब नतीजे सामने आए तो आजसू ने 2.81 फीसदी वोट के साथ दो सीटें जीतीं। इनमें सिल्ली से सुदेश महतो जबकि दूसरे – रामगढ़ से चंद्र प्रकाश चौधरी जीतकर विधानसभा पहुंचे।
पांच साल में ही दो बार डिप्टी सीएम बने
2009 में राज्य में दूसरी बार राज्य के विधानसभा चुनाव हुए। इस बार सुदेश महतो की आजसू ने अपना प्रदर्शन बेहतर किया और पांच सीटें जीतीं। आॅल झारखंड स्टूडेंट यूनियन ने 2009 के चुनाव में 5.12% मत हासिल किए। खंडित जनादेश मिलने के बाद झामुमो, भाजपा ने अन्य दलों के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई। दिसंबर 2009 में शिबू सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इसी सरकार में सुदेश महतो ने झारखंड के उपमुख्यमंत्री का पद संभाला। सोरेन का कार्यकाल करीब पांच महीने (दिसंबर 2009-मई 2010) तक चला और भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
कुछ समय तक राष्ट्रपति शासन रहने के बाद सितंबर 2010 में भाजपा के अर्जुन मुंडा तीसरी बार सीएम बने। नई सरकार में भी सुदेश महतो को उपमुख्यमंत्री का पद मिला, लेकिन अर्जुन मुंडा सरकार जनवरी 2013 तक ही रह पाई। 2014 के नवंबर में राज्य में तीसरी बार विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में आजसू के 3.68% वोट के साथ पांच विधायक जीते, लेकिन सिल्ली सीट से सुदेश महतो चुनाव हार गए। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अमित कुमार ने सुदेश कुमार महतो को 29740 मत से चुनाव हरा दिया।