TIO, नई दिल्ली।
चार साल के लंबे इंतजार के बाद देश में नागरिकता संशोधन अधियम (सीएए) के नियम लागू हो गए हैं। इस नियम के लागू होते ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। सीएए के नियम लागू होने के बाद एआईएमआईएम प्रवक्ता वारिस पठान ने प्रतिक्रिया दी है। इस नियम को लागू करने में लगे चार साल के इंतजार पर उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया है और सीएए को असंवैधानिक बताया है।
एआईएमआईएम ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
वारिस पठान ने कहा, “आप क्रोनोलॉजी समझिए। नियम को लागू करने के समय को देखिए। तारीख तय हो गई है, लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और सरकार ने अचानक सीएए के नियम लागू करने के बारे में सोचा। वह पिछले पांच वर्षों से क्या कर रहे थे? इसे पहले लागू क्यों नहीं किया गया?”उन्होंने आगे कहा, “इसलिए हम कहते हैं कि चुनाव से पहले सरकार ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है। वे विकास के क्षेत्र में विफल रहे हैं। उनके पास सवालों के जवाब नहीं है। इसलिए वे ये ले आए। हमने पहले भी इसका विरोध किया था और आज भी कहते हैं कि यह कानून असंवैधानिक है। हमें इस पर आपत्ति है।”
कांग्रेस ने बताया असंवैधानिक
असम में कांग्रेस विधायक अब्दुर राशिद मंडल ने सीएए का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा, “इस अधिनियम का संसद के अंदर और बाहर सभी पार्टियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। यह पूरी तरह से भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक कानून है, क्योंकि सरकार यहां जाति के आधार पर नागरिकता दे रही है, जो कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत स्वीकार्य नहीं है। असम के साथ पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है।”