TIO, नई दिल्ली।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का परिवार विवादों में आ गया है। बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट को कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड की जमीन के कथित आवंटन पर सवाल उठाए हैं। सिरोया ने खड़गे परिवार से सवाल पूछा कि वे जमीन के पात्र होने के लिए एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गए? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या यह मामला सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव से जुड़ा हुआ है?

सिरोया ने बयान में कहा, एक रिपोर्ट से यह पता चला है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट (सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट) को बेंगलुरु के पास हाईटेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क में एससी कोटे के तहत नागरिक सुविधाओं के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (ङकअऊइ) की 5 एकड़ जमीन (कुल 45।94 एकड़ जमीन) आवंटित की गई है।

‘ट्रस्ट से जुड़ा है खड़गे का पूरा परिवार’
राज्यसभा सांसद सिरोया ने आगे कहा, दिलचस्प बात यह है कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में खुद खड़गे, उनकी पत्नी राधाबाई खड़गे, उनके दामाद और गुलबर्गा के सांसद राधाकृष्ण डोड्डामणि, बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे और एक अन्य बेटे राहुल खड़गे शामिल हैं। उन्होंने सवाल पूछा, क्या यह सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव से जुड़ा मामला है? उन्होंने सवाल किया कि उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने मार्च 2024 में इस आवंटन के लिए सहमति कैसे दी?

‘भूमि आवंटन के लिए कब पात्र बन गया खड़गे परिवार?’
सिरोया ने पूछा, खरगे परिवार ङकअऊइ भूमि का पात्र होने के लिए एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गया? इस कथित अवैध आवंटन का मामला एक आरटीआई कार्यकर्ता के जरिए राजभवन तक भी पहुंच गया है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या खड़गे परिवार को आखिरकार यह जमीन छोड़नी पड़ेगी? जैसे सिद्धारमैया (मुख्यमंत्री) को मैसूरु में विवादास्पद मुडा प्लॉट्स को छोड़ना होगा। क्या इस आवंटन की जांच की जाएगी?

एक्टिविस्ट दिनेश कल्लाहल्ली ने CA  साइट के आवंटन में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के पास शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने राज्यपाल से लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराने की अनुमति देने के लिए मंत्री एमबी पाटिल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का भी अनुरोध किया है। कल्लहल्ली ने सवाल उठाते हुए कहा कि कई योग्य आवेदकों में से राहुल खड़गे को ये साइटें आसानी से क्यों दे दी गईं? उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने चुनिंदा आवेदकों को आमंत्रित किया और उनका पक्ष लिया।

मंत्री बोले- किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है
वहीं, कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को साइट आवंटन की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। साइट को निर्धारित मूल्य पर और बिना किसी छूट के दिया गया है। सोमवार को एक बयान में पाटिल ने कहा, एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे राहुल खड़गे की अध्यक्षता वाले सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को केआईएडीबी के मानदंडों के अनुसार एयरोस्पेस पार्क में एक सीए (नागरिक सुविधाएं) प्लॉट निर्धारित मूल्य पर आवंटित किया गया है। आवंटन की प्रक्रिया में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया। निर्धारित मूल्य पर आवंटन हुआ और कोई छूट नहीं दी गई है।

उद्योग मंत्री ने बताया कि राहुल खड़गे आईआईटी स्नातक हैं और वे आवंटित भूमि पर रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करना चाहते थे। केआईएडीबी मानदंडों के तहत सीए प्लॉट का उपयोग रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर, उत्कृष्टता केंद्र, तकनीकी संस्थान, कौशल विकास केंद्र, सरकारी कार्यालय, बैंक, अस्पताल, होटल, पेट्रोल स्टेशन, कैंटीन और आवासीय सुविधाएं स्थापित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह आवंटन राज्य स्तरीय एकल खिड़की समिति की सिफारिशों पर किया जाता है।

प्रियांक खड़गे बोले- ट्रस्ट को कोई सब्सिडी या छूट नहीं मिली
इस विवाद पर प्रियांक खड़गे ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने लहर सिंह सिरोया पर तंज कसा और कहा, अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। सबसे पहले बताना चाहेंगे कि आवंटित स्थल औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बनाया गया कोई औद्योगिक भूखंड नहीं है। यह शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। ट्रस्ट का इरादा उअ साइट पर मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने का है। क्या यह गलत है? । केआईएडीबी ने सीए साइट के लिए ट्रस्ट को कोई सब्सिडी नहीं दी है या साइट की लागत कम नहीं की है या भुगतान शर्तों में कोई छूट प्रदान नहीं की है। एससी/एसटी संगठनों को आवंटित नागरिक सुविधा प्लॉट के लिए कोई सब्सिडी या रियायती दरें नहीं हैं।

‘ट्रस्ट के बारे में चिंता ना करें’
प्रियांक ने आगे कहा, ट्रस्टियों के पास अच्छी गुणवत्ता और किफायती शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन का बैकग्राउंड है। वैसे ट्रस्ट के अध्यक्ष ने कई वर्षों तक प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में बड़े पैमाने पर काम किया है। इसलिए, साइंस की उसकी समझ के बारे में चिंता ना करें। क्या हमारे ट्रस्ट ऐसे केंद्र स्थापित नहीं कर सकते जो हमारे युवाओं को अधिक रोजगारपरक बना सकें? उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद भी आप बदनाम करने के गलत इरादे से हमें अकेले कैसे चुन लेते हैं? क्या आप जानना चाहेंगे कि आपकी सरकार ने आरएसएस समर्थित राष्ट्रोत्थान और चाणक्य यूनिवर्सिटी को प्रदेशभर में जमीनें कैसे दे दीं? फिर आपकी जुबां क्यों बंधी हुई थी? कृपया खुद को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाए रखने के लिए लोगों को गुमराह करने के बजाय या बेवजह आरोप लगाने के बजाय राज्य के लिए कुछ सार्थक काम करें।

सिद्धारमैया की पत्नी को जमीन के बदले मिला था प्लॉट, जानिए पूरा मामला
इससे पहले कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी को जमीन के बदले प्लॉट आवंटन पर विवाद खड़ा हो गया था। ये पूरा विवाद तीन एकड़ जमीन से जुड़ा है। दरअसल, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें गिफ्ट में दी थी। इस जमीन को मुडा ने विकास के लिए अधिग्रहित किया था और इस जमीन के बदले पार्वती को 2021 में विजयनगर क्षेत्र में कुल 38,283 वर्ग फीट के प्लॉट दिए गए थे। ये प्लॉट दक्षिण मैसूर के एक प्रमुख इलाके में हैं। आरोप है कि विजयनगर के प्लॉट का बाजार मूल्य केसारे में उनकी मूल जमीन से बहुत ज्यादा है, जिसके कारण बीजेपी ने घोटाले का आरोप लगाया है। पार्वती को यह जमीन पूर्ववर्ती बीजेपी शासन के दौरान आवंटित की गई थी। हालांकि, सिद्धारमैया ने दावा किया कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ने उनसे (पत्नी) अवैध रूप से जमीन अधिग्रहित कर ली थी। सिद्धारमैया का कहना था कि उनकी पत्नी मुआवजे की हकदार थीं, इसलिए उन्हें जमीन के बदले दूसरी जगह जमीन दी गई है। अगर बीजेपी को लगता है कि हमें दी गई जमीन ज्यादा महंगी है तो वो जमीन वापस ले ली जाए और हमें हमारा हक दे दिया जाए।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER