TIO, संभल।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व प्रियंका गांधी के करीबियों में शामिल आचार्य प्रमोद कृष्णम का कांग्रेस से साथ छूट गया। कई महीने से कांग्रेस छोड़ने की अटकलों पर भी शनिवार को विराम लग गया है। उनकी अब भाजपा के साथ राजनीतिक पारी की नई शुरूआत हो सकती है। हालांकि अभी तक भाजपा में जाने की बात पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने स्पष्ट नहीं किया है लेकिन अब उम्मीद है कि वह खुलकर सामने आ सकते हैं। छात्र जीवन से ही कांग्रेस का दामन आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पकड़ लिया था। 1993 में संभल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भी किया था लेकिन किसी कारण नामांकन वापस लेना पड़ा था।
फिर संभल के कौसर खां को कांग्रेस ने टिकट दिया था। जिसमें आचार्य प्रमोद कृष्णम ने चुनाव लड़ाया था। हालांकि कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के प्रत्याशी सत्यप्रकाश गुप्ता को जीत मिली थी। कहा जाता है कि कांग्रेस की सक्रिय राजनीति तो 1985 के बाद ही आचार्य ने शुरू कर दी थी। यूथ कांग्रेस में भी जिम्मेदारी निभाई थी। वर्ष 2014 में संभल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था। वर्ष 2019 में लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। प्रियंका गांधी के करीबियों में शामिल होने की चर्चा रहती थी। पिछले कुछ समय से कांग्रेस की नीतियों का काफी विरोध कर रहे थे।
इसको ही कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता माना है। अब शिलान्यास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल होना और भाजपा के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात कर शिलान्यास का न्यौता देना भी कांग्रेस से दूरी बनाने का संकेत आचार्य प्रमोद कृष्णम दे चुके थे। वर्षों से ऐंचोड़ा कंबोह में श्री कल्कि धाम का महोत्सव आयोजित होता है। कांग्रेस पार्टी के कई मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेताओं का सभी महोत्सव में आना-जाना रहा है। लेकिन शिलान्यास कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र इन नेताओं को दिया गया या नहीं इस पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खुलकर बात नहीं की। ऐसी भी कोई जानकारी सामने नहीं आई जिससे यह जानकारी मिल पाती कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को निमंत्रण पत्र दिया गया है या नहीं।
आचार्य प्रमोद कृष्णम के निष्कासन का पत्र मिला है। वह छात्र जीवन से ही कांग्रेस के साथ जुड़े थे। पार्टी की ओर से कार्रवाई की गई है। इसमें मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है।-विजय शर्मा, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस, संभल आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के नेताओं पर लगातार निशाना साध रहे थे। वह उनके बयानों से खफा थे और इसलिए ही उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं को हिंदू विरोधी भी बताया था। अयोध्या में श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र ठुकराने वाले नेताओं पर भी भड़के थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के बाद भी अपनी ही पार्टी का खुलकर विरोध शुरू किया तो कयास लगाए जाने लगे थे कि अब वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा में शामिल होने से धमार्चार्य जीवन का भी पालन होगा और राजनीतिक सफर की नई शुरूआत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों से आचार्य काफी प्रभावित हैं और उन्होंने कहा भी है कि वह प्रधानमंत्री के विचारों की खुलकर प्रशंसा करते हैं। 19 फरवरी को प्रधानमंत्री शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि शिलान्यास कार्यक्रम में ही भाजपा में शामिल होने की घोषणा हो सकती है। कांग्रेस पार्टी की कार्रवाई के बाद शामिल होने के लिए राह आसान हो गई है। अभी तक चर्चा थी कि शिलान्यास कार्यक्रम के बाद वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन अब चर्चा शिलान्यास कार्यक्रम में ही घोषणा किए जाने की है।