नई दिल्ली। इस बार गणतंत्र दिवस परेड का आगाज भारतीय सेना का मार्चिंग दस्ता नहीं करेगा। 75वें गणतंत्र दिवस पर पहली बार परेड का उद्घोष 100 महिला कलाकार आह्वान (युद्ध का आह्वान)थीम पर पारंपरिक वाद्ययंत्र, संगीत, शंख, नागड़ा, ढोल, ताशा, तुतारी बजाते हुए करेंगी। प्राचीन काल में युद्ध शुरू होने और युद्ध के दौरान जैसे शंखनाद होता था, उसी तर्ज पर कर्तव्य पथ पर शंखनाद होगा। यही नहीं, देश के इतिहास में पहली बार परेड की शुरूआत रक्षा मंत्रालय की जगह संस्कृति मंत्रालय करेगा। परेड में हजारों साल पुरानी संस्कृति, कला, लोकतंत्र के साथ-साथ वर्ष 2047 में नये भारत की झलक भी दिखेगी।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदुरी और संंगीत नाटक अकादमी की सचिव डॉ. संध्या पुरेचा ने बताया कि 75वां गणतंत्र दिवस समारोह सबसे अलग होगा। सालों से 26 जनवरी की परेड की शुरूआत सैन्य बैंड के साथ की जाती रही है, लेकिन इस बार कर्तव्य पथ पर महिला कलाकार पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ परेड का आगाज लोक और पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र बजाते हुए करेंगी। यह महिलाएं दैवीय नारी शक्ति का प्रतीक होगी।
चतुश्राम पर आधारित प्रस्तुति में 20 महिला कलाकार महाराष्ट्र का पारंपरिक ढोल और ताशा, तेलगांना की 16 कलाकार डप्पू, पश्चिम बंगाल की 16 कलाकार ढाक व ढोल पर थाप तो आठ कलाकार शंख व 10 और चेंडा बजाएंगे । वहीं, कर्नाटक के 30 कलाकार ढोलू कुनिथा, चार-चार कलाकार नादस्वरम, तुतारी और झांझ के साथ ताल मिलाएंगी। इसकी संकल्पना संगीत नाट्य अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा, कोरियोग्राफी देवेन्द्र शेलार,संगीत रंजीत बारोट,वॉयस ओवर हरीश भिमानी और गीतकार सुभाष सहगल ने की है।
150 साल पुरानी साड़ी में गोटापट्टी देखें
कर्तव्य पथ पर अनंत सूत्र -द एंडलेस थ्रेड में 1900 प्राचीन पारंपरिक साड़ियों के बारे में जानने का मौका मिलेगा। दर्शक दीर्घा में सीटों के पीछे क्यूआर कोड के साथ साड़ियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें देशभर की पारंपरिक पहचान को दशार्तीं साड़ियों को देखने और जानने का मौका मिलेगा। विदेशी मेहमानों की दीर्घा में दो साड़ी होंगी। इसमें एक 150 साल पुरानी कश्मीर-पंजाब बार्डर पर पारंपरिक गोटापट्टी पर आधारित साड़ी का डिस्प्ले होगा। जबकि दूसरी बच्चों द्वारा तैयार पेंटिंग वाली साड़ी होगी।