TIO, दुबई
भारत और पाकिस्तान के बीच रविवार को दुबई में महामुकाबला खेला गया। टीम इंडिया ने इस मैच में छह विकेट से आसान जीत दर्ज की। पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान की बल्लेबाजी फिर फ्लॉप रही। टीम को अपने सबसे अनुभवी बल्लेबाज बाबर आजम से काफी उम्मीद थी, लेकिन वह 26 गेंद में 23 रन बनाकर आउट हो गए। बाबर के फैंस उनकी अक्सर विराट कोहली से तुलना करते हैं। विराट के स्टैट से बाबर को जोड़कर देखा जाता है। हालांकि, अब दुबई मैच के बाद विराट ने इस सभी तुलनाओं पर पानी फेर दिया। एक तरह जहां बाबर फेल रहे, वहीं दूसरी तरफ कोहली ने नाबाद शतकीय पारी खेली और भारतीय टीम को जीत दिलाई। बाबर को उनके फैंस ‘किंग’ कहकर बुलाते हैं, लेकिन विराट ने साबित किया है कि ‘क्रिकेट का किंग’ सिर्फ एक है।
125 वनडे पारियों के बाद बाबर v/s विराट
बाबर ने अब तक 128 वनडे खेले हैं। इसकी 125 पारियों में उन्होंने 55.50 की औसत से 6106 रन बनाए हैं। उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी 158 रन की रही है। इस दौरान वह 15 बार नॉटआउट रहे। उनका स्ट्राइक रेट 87.91 का रहा है। बाबर ने अब तक 19 शतक और 35 अर्धशतक समेत कुल 54 पचास से ज्यादा के स्कोर बनाए हैं। उनकी तुलना विराट के 125 पारियों से की जाए तो भारतीय स्टार ने अपनी 125वीं पारी भारत के लिए 132वें मैच में 28 फरवरी 2014 को खेली थी। उन्होंने अपनी 125 वनडे पारी में 52.60 की औसत से 5629 रन बनाए थे। उनका हाईएस्ट स्कोर 183 रन का था और स्ट्राइक रेट 89.94 का रहा था। इस दौरान उन्होंने 19 शतक और 30 अर्धशतक समेत 49 पचास से ज्यादा रन की पारियां खेली थीं। विराट इस दौरान 18 बार नॉटआउट रहे थे।
बाबर के ज्यादातर मैच एसोसिएट देशों के खिलाफ
रन के मामले में विराट भले ही बाबर से कम रहे हों, लेकिन यह भी देखने की जरूरत है कि बाबर ने इस दौरान किन टीमों के खिलाफ ये रन बनाए हैं। बाबर के रन में से काफी रन आईसीसी के सदस्य देशों जैसे नीदरलैंड, जिम्बाब्वे, अफगानिस्तान, नेपाल, हॉन्गकॉन्ग और आयरलैंड के खिलाफ आए हैं। इन देशों के खिलाफ बाबर ने 21 पारियां खेली हैं। जबकि विराट ने अपनी 125 पारियों में से सिर्फ सात पारियां आईसीसी के सदस्य देशों के खिलाफ खेली थीं।
विराट के रहते ज्यादा मैच जीती टीम इंडिया
इतना ही नहीं, यह भी देखने की जरूरत है कि विराट या बाबर जिन मैचों में खेले हैं, उनमें से उनकी टीम कितने मैच जीतने में कामयाब रही है। बाबर ने अब तक 128 वनडे खेले हैं और उसमें से पाकिस्तान की टीम 68 मैच जीतने में कामयाब रही है, जबकि 55 मैचों में पाकिस्तान की टीम को हार मिली है। एक मैच टाई रहा है, जबकि चार मैचों का कोई नतीजा नहीं निकला। वहीं, बाबर ने 125 पारियों के लिए 132 मैच खेले थे। इनमें से टीम इंडिया 77 मैच जीतने में कामयाब रही थी, जबकि 46 में टीम इंडिया को हार मिली थी। चार मैच टाई रहे थे, जबकि पांच मैचों का कोई नतीजा नहीं निकला था। यह दिखाता है कि विराट का प्रभाव कितना ज्यादा रहा है, जबकि बाबर कुछ खास प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे हैं।
विराट परिपक्व होने के बाद बने कप्तान
बाबर अब तक के अपने वनडे करियर में पाकिस्तान की कमान भी संभाल चुके हैं। यह एक ऐसी जिम्मेदारी है जो बाबर को उनके शुरूआती करियर में ही दे दी गई। ऐसा विराट के साथ नहीं था। विराट ने कप्तानी हासिल करने के लिए खुद को साबित किया था। 2008 में डेब्यू करने वाले विराट को 2017 में जाकर सफेद गेंद प्रारूप की कप्तानी मिली थी। ऐसे में वह परिपक्व हुए और अनुभव हासिल किया। जब उन्हें कप्तानी मिली तो भी उन्हें ज्यादा दबाव नहीं लिया और उनके बल्ले से रन निकलना जारी रहा। विराट अपने पूरे वनडे करियर के दौरान कंसिस्टेंट रहे हैं। उन्होंने 299 वनडे की 287 पारियों में 58.20 की औसत से 14085 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 51 शतक और 73 अर्धशतक लगाए हैं।
पाकिस्तान में भी होता है विराट का सम्मान
यही वजह है कि पाकिस्तान में भी विराट का काफी सम्मान होता है। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर्स तक ने बाबर और उनके फैंस को इस बात के लिए लताड़ा है। हफीज, अहमद शहजाद और आमिर समेत कई पाकिस्तानी क्रिकेटर्स यह कह चुके हैं कि असली किंग विराट कोहली ही हैं। बाबर उनकी तुलना में कहीं नहीं हैं। रविवार को मैच के बाद भी हफीज ने इस पर बयान दिया। उन्होंने कहा- हकीकत में अगर कोई किंग कहलाने का हकदार है, तो वह विराट कोहली हैं, न कि बाबर आजम। कोहली के प्रदर्शन को देखिए। उन्होंने दुनिया भर में प्रदर्शन किया है, पीआर लगाकर किंग नहीं बने हैं।
हफीज ने विराट को असली किंग बताया
हफीज ने कहा, ‘विराट बड़े मंच पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी हैं। वह बड़े मौकों की तलाश में रहते हैं और प्रदर्शन करते हैं। जब भी भारत पाकिस्तान के खिलाफ खेलता है, तो आपको उन मैचों में स्टार बनने का मौका मिलता है। शोएब मलिक ने भारत के खिलाफ अच्छी गेंदबाजी की, यहीं से वह स्टार बन गए, शाहिद अफरीदी स्टार बन गए जब उन्होंने भारत के खिलाफ छक्के लगाए। विराट कोहली उन मौकों का इंतजार करते रहते हैं, वो उन मौकों को भुनाने का इंतजार करते हैं। वह सकारात्मक मानसिकता रखते हैं, वह सोचते हैं कि ‘मैं भारत के लिए मैच जीतूंगा। मैं सिर्फ खेलूंगा ही नहीं, बल्कि अपने देश के लिए मैच जीतूंगा। और यही कारण है कि वह दुनिया के सबसे महान बल्लेबाज हैं।’