TIO BHOPAL

75 साल पहले भारत को आजादी मिली । गोरे अंग्रेज तो चले गए लेकिन उनकी तरह लूटने के काम अभी भी बदस्तूर जारी है। हमारे काले अंग्रेज (नौकरशाही) पब्लिक सर्वेंट के बजाए गवर्नमेंट सर्वेंट बने हुए हैं। उनमे जनसेवक का नही बल्कि शासकीय सेवक अहंकार कूट कूट कर भरा हुआ है। अंग्रेजो की लूट अब हमारे राजनीतिक और सरकारी तंत्र ने भ्रष्टाचार के मिशन में बदल सा दिया है। इसलिए बांध – पुल, सड़कें टूट रही हैं। घटिया निर्माण और डिफेक्टिव डिजाइन बन रही हैं। अस्पतालों में अग्निकांड हो रहे हैं। मरीज जल रहे हैं। सरकारी अस्पतालों, स्कूल – कॉलेज में समय पर काम नही करना अधिकार में शामिल मान लिया गया है।

देर से दफ्तर जाना और जल्दी ऑफिस छोड़ देना, बिना रिश्वत काम नही होना क्या देश द्रोह नही है..? इसे देशद्रोह की श्रेणी में जितनी जल्दी शामिल किया जाए उतना देश का भला होगा देश के खिलाफ आतंकवाद करना ही देशद्रोही है आतंकवादियों से तो हमारे जवान लड़ सकते हैं लेकिन सरकारी ऑफिस स्कूल अस्पताल नगर निगम से लेकर पंचायतों तक में भ्रष्टाचार करने वाले आतंकवादियों से ज्यादा बड़े देश के दुश्मन हैं इन्हें चिन्हित कर कठोर कार्रवाई की जरूरत है । आजादी की 75 की सालगिरह 15 अगस्त 2022 इसके लिए सबसे सही समय है। भ्रष्टाचारियों से लड़ना अंग्रेजों और आतंकियों से लड़ने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।

एक जुमला चल पड़ा है सरकारी तंत्र काम नही करने का वेतन लेता और काम करने की रिश्वत..! यह खतरनाक है। इसे जितने जल्दी तोड़ने काम होगा उतना ही लोकतंत्र के लिए शुभ रहेगा। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नारे को देश के प्रधान सेवक भी लागू करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं । प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्रियों और अफसरों पर अभी तक भ्रष्टाचार करने की खबर नहीं आई है। लेकिन आईएएस अफसरों से लेकर राज्यों में मुख्यमंत्रियों से लेकर सरपंचों तक के भ्रष्टाचार करने जैसे देशद्रोही पर कोई लगाम नहीं लग पाई है। लगता है प्रधानसेवक भी इसमें अभीतक असरदार कम लाचार ज्यादा लग रहे हैं।

लोकतंत्र में चुनाव के जरिए पंचायत से पार्लियामेंट तक जीतने वाले नेताजी छोटे-छोटे जमीदार,राजा- महाराजा बन गए हैं। यह नए किस्म की राजशाही पुराने राजाओं से भी ज्यादा अय्याशी के साथ ऐशो- आराम में रहने वाली है। नेताओं की जमात और उनके भ्रष्टाचार की कहानी बताती है कि वह जन के शोषक बन भ्रष्टाचार के पोषक ज्यादा बने हुए हैं। अधिसंख्य जगह तो शासकीय तंत्र और नेतागण सेवक बन कर आते हैं और शोषक की भूमिका में चले जाते हैं ।
देशभर में भ्रष्टाचार की खबरें भरी पड़ी हैं लेकिन मध्यप्रदेश के संदर्भ में हाल की तीन घटनाओं का उल्लेख करना जरूरी लगता है। जबलपुर एक प्राइवेट अस्पताल में आग लगने से 8 मरीज जल कर मर गए लेकिन अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई का सबको इंतजार है इसी तरह भोपाल के पास औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप के एक फोर लाइन सड़क पर बने पुल क्षतिग्रस्त होने की घटना ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया है। सड़क बनाने वाली कंपनी पहले भी भोपाल में घटिया निर्माण सामग्री के कारण क्षतिग्रस्त हुए ओवर ब्रिज को लेकर बदनाम हो चुकी थी। अभी यह सब घटना है लोग भूल भी नहीं पाते की धार के पास धामनोद में 304 करोड़ की लागत से बनने वाला कराना बांध पहली बारिश में ही क्षतिग्रस्त हो कई मीटर बह गया घटिया निर्माण गलत डिजाइन और भारी भ्रष्टाचार के कारण हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ गई मध्य प्रदेश सरकार की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई 3 दिन की दिन-रात की मेहनत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सजगता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता आर्मी के बचाव दल का पूरी आपदा में शामिल होना बड़े-बड़े बांध विशेषज्ञों की 24 घंटे सक्रियता के बाद 14 अगस्त की शाम तक हालात को बांध की दीवार तोड़कर पानी निकासी के लिए नहर बनाकर किसी तरह हालात पर काबू पाया गया यह सब कुछ इतना भयावह और चिंताजनक है कि इसको एक सांस में बयां किया जाए तो शायद प्राण निकल जाए।

 

इस तरह के घटनाक्रम देश द्रोह हैं और वैसी ही कठोरता की जरूरत है बलात्कारियों और आतंकियों के साथ की जाती है। कोई माफी नही कोई रियायत नही। जो भ्रष्टाचारियों के हिमायती हैं उनके खिलाफ भी देशद्रोह की कार्रवाई करने की दरकार है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और उनकी टीम की सजगता और विशेषज्ञों को बधाई जिन्होंने बड़े हादसे को डालने में सफलता हासिल की। चिंताजनक बात यह है कि ठेकेदार से लेकर डिजाइन बनाने वाले बांध निर्माण की निगरानी करने वाली एजेंसी उसके इंजीनियर और विभाग के उच्च अधिकारी अभी तक साफ बचे हुए हैं। अंग्रेजों से लड़ कर दो हमारे पुरखों ने देश को बचा लिया लेकिन भ्रष्टाचारियों और काम चोरों से देश को बचाने के लिए वैसे ही कार्रवाई की जरूरत है जैसी देशद्रोहियों के खिलाफ की जाती है सभी देशवासियों को आजादी की सालगिरह की बहुत बधाई और देश स्वराज के बाद सुराज की तरफ तेजी से आगे बढ़े। 2023 में स्वतंत्रता की 76 वीं सालगिरह पर हम महंगाई और बेरोजगारी जैसे तमाम मुद्दों पर बहुत सकारात्मक हो और देश विश्व गुरु बनने के सपने को साकार करता दिखे। जय हिंद… जय भारत

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER