TIO, सतना

महाकुंभ की भीड़ में मौत की दर्द भरी दास्तां के बीच लापता हुए लोगों के घर पहुंचने पर अब उनके परिजन राहत की सांस ले रहे हैं। सतना के एक ऐसे ही वृद्ध दंपति की महाकुंभ कथा सामने आई है जो हादसे में अपनों से बिछड़ गए थे। लेकिन तीन दिन बाद अचानक घर पहुंच गए। दंपति के घर पहुंचते ही परिजनों और रिश्तोदारों ने राहत की सांस ली।

बुजुर्ग दंपति ने बताया कि भगजड़ के बाद रास्ते बंद होने से करीब 30 किलोमीटर पैदल और फिर सरकारी बस से शुक्रवार को अपने घर पहुंचे हैं। घटना के बाद खबर न मिलने से हैरान परेशान गांव, घर व रिश्तेदार बुजुर्ग दंपति के सकुशल पहुंचने पर हालचाल जानने पहुंच रहे हैं।

घर पहुंचने से परिजनों ने ली राहत की सांस
जानकारी के मुताबिक सतना जिले के किचवरिया गांव के 70 वर्षीय बलिकरण सिंह 60 वर्षीय पत्नी गंगा देवी सिंह महाकुंभ स्पेशल बस से प्रयागराज गए हुए थे। मौनी अमावस्या में स्नान के दौरान संगम में मची भगदड़ में दंपति तो सुरक्षित रहे लेकिन वो अपने बाकी साथियों से बिछड़ गए। साथ ही उनका कपड़ा सहित अन्य सामान भी गुम हो गया। जिसके बाद बलिकरण किसी तरह रात गुजरने के बाद वापस सतना आना चाह रहे थे लेकिन सारे रास्ते बंद हो चुके थे।

इसके बाद बलिकरण अपनी पत्नी को पैदल लेकर चल दिए। 30 किलोमीटर चलने के बाद वह फूलपुर पहुंचे, वहां से सरकारी बस से बॉर्डर चाकघाट पहुंचे। बॉर्डर बंद होने से घर जाने का साधन न होने पर ढाबे में पड़े रहे। वहीं, 24 घंटे बाद बॉर्डर खुलने पर बस से सेमरिया फिर टिकरी, फिर अपने किचवरिया गांव पहुंचे।

हालांकि, मौनी अमावस्या में भगदड़ के बाद बुजुर्ग दंपति के तीन दिन तक घर न पहुंचने और कोई खोज खबर न मिलने पर परिजन रिश्तेदार और गांव वाले बेहद परेशान थे। पग पग में समस्या आने, घटनाक्रम होने, 30 किलोमीटर पैदल चलने और मौत के मुंह से वापस लौटे आस्थावान बुजुर्ग दंपति के चेहरे दहशत गर्द भले है, लेकिन महाकुंभ के मौनी अमावस्या में स्नान करने का सकून भी है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER