TIO, नई दिल्ली

मुंबई हमले की साजिश रचने के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की राह साफ हो चुकी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण लगभग तय हो चुका है। अमेरिका के विदेश विभाग ने भी कहा है कि वह अगले कदम की समीक्षा कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा है कि ‘सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मद्देनजर, और अमेरिकी कानून के अनुरूप, विदेश विभाग इस मामले में अगले कदमों का मूल्यांकन कर रहा है।’

एनआईए की टीम जल्द जा सकती है अमेरिका
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए एनआईए की टीम जल्द ही अमेरिका जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चार सदस्यीय एनआईए टीम 30 जनवरी को तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका जा सकती है। साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी तहव्वुर राणा के लिए उच्च सुरक्षा वाला जेल वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। तहव्वुर राणा अमेरिका में विभिन्न कानूनी तरीकों से अपना भारत प्रत्यर्पण रोकने की कोशिश कर चुका है। हालांकि हर जगह से उसे निराशा हाथ लगी है और अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी तहव्वुर राणा की याचिका खारिज कर दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनआईए ने अमेरिका जाने वाले अपने अधिकारियों के नाम केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिए हैं। साथ ही विदेश मंत्रालय को भी अधिकारियों की जानकारी दे दी गई है। अमेरिका जाने वाले अधिकारियों में दो अधिकारी आईजी और डीआईजी और दो जूनियर अधिकारी हैं।

कौन है तहव्वुर राणा
तहव्वुर हुसैन राणा (63 वर्षीय) पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। राणा, पाकिस्तानी सेना में भी काम कर चुका है और पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहा। हालांकि 90 के दशक में राणा कनाडा चला गया और फिर उसने वहीं की नागरिकता ले ली। कनाडा से तहव्वुर राणा अमेरिका पहुंचा और वहां उसने शिकागो में एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म खोली। मुंबई हमले का दोषी डेविड हेडली, तहव्वुर राणा का सहयोगी था। दावा है कि तहव्वुर राणा ने ही डेविड हेडली को अपराध की दुनिया में धकेला। हेडली ने ही 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए रेकी की। हेडली को बाद में अमेरिका से गिरफ्तार किया गया था। हेडली से पूछताछ में ही तहव्वुर राणा की मुंबई हमले में संलिप्तता का खुलासा हुआ था। राणा को साल 2009 में अमेरिकी जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER