TIO, प्रयागराज
प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 19 में श्रीकरपात्र धाम वाराणसी और गीता प्रेस गोरखपुर के शिविर में आग लगने से फूस और बांस के बने 280 कॉटेज जलकर राख हो गए। इन कॉटेजों में रखे 13 एलपीजी सिलिंडर भी आग की चपेट में आकर फट गए और अफरातफरी मच गई। इस दौरान पांच बाइकें और पांच लाख रुपये की नकदी भी जल गई। हरियाणा, सिलीगुड़ी और प्रतापगढ़ के तीन श्रद्धालु झुलस गए जबकि दो लोग भगदड़ में जख्मी हो गए।
आग बुझने के बाद मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ भी तीन मंत्रियों के साथ पहुंचे। उधर, मेला प्रशासन ने 40 झोपड़ियां और छह टेंट जलने की बात कही है। घटना में 2.5 करोड़ से अधिक के नुकसान का अनुमान है। उधर, मेला प्रशासन ने 40 झोपड़ियां और छह टेंट जलने की ही बात कही है। सेक्टर 19 में पीपा पुल नंबर 12 के पास मोरी मार्ग पर नए और पुराने रेल पुल के बीच में अखिल भारतीय धर्म संघ, श्रीकरपात्र धाम वाराणसी और गीता प्रेस गोरखपुर का शिविर है। लगभग पांच हजार स्क्वॉयर फीट में फैले इस शिविर के आधे हिस्से में श्रीकरपात्र धाम और शेष हिस्से में गीता प्रेस से जुड़े श्रद्धालु लगभग 300 कॉटेज में ठहरे हुए थे।
कॉटेजों में रखे 13 एलपीजी सिलिंडर भी फटते रहे
रविवार को दोपहर बाद करीब चार बजे श्रीकरपात्र धाम के श्रद्धालु पवन त्रिपाठी के कॉटेज से धुआं उठने लगा। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही कॉटेज से लपटें उठने लगीं। शिविर में मौजूद लोगों ने देखा तो शोर मचाना शुरू कर दिया। आग बुझाने के लिए लोग पानी लेकर भी दौड़ पड़े। देखते ही देखते आग फैल गई और अन्य कॉटेजों को भी चपेट में ले लिया। कुछ ही मिनट में 280 कॉटेज जलने लगे और ऊंची-ऊंची लपटें उठने लगीं। इन्हीं कॉटेजों में रखे 13 एलपीजी सिलिंडर भी फटते रहे।
इस दौरान कॉटेज में जो लोग थे, वह चीखते पुकारते हुए बाहर की ओर भागे। सूचना पर सबसे पहले सेक्टर 19 और फिर अन्य सेक्टरों में स्थित फायर स्टेशनों से एक के बाद एक छोटी-बड़ी 35 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। फायर सर्विस और पुलिस के साथ ही एनडीआरएफ ने भी पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका लेकिन तब तक 280 कॉटेज जल चुके थे।
30 फीट ऊंची लपटें उठीं, रह रहकर धमाकों से दहला मेला
श्रीकरपात्र धाम-वाराणसी और गीता प्रेस गोरखपुर के शिविर में हुई अग्नि दुर्घटना के दौरान 30 फीट ऊंची लपटें उठीं। घटना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चंद मिनटों में ही पांच हजार स्क्वॉयर फीट एरिया वाला पूरा शिविर चौतरफा आग से घिर चुका था।
भीतर मौजूद श्रद्धालु चीखते-पुकारते बाहर भागे। उधर, एक के बाद एक कॉटेजों में रखे 13 एलपीजी सिलिंडर फटने से धमाके होने पर राहगीरों में भगदड़ मच गई। शिविर में शाम चार बजे के करीब सबसे पहले पश्चिम दिशा की ओर से धुआं उठा। कुछ देर बाद एक कॉटेज से होते हुए आग ने अगल-बगल के सभी कॉटेजों को चपेट में ले लिया।
30-30 फीट ऊंची उठने लगीं लपटें
आग फिर पूर्व की ओर स्थित कॉटेजों की ओर बढ़ने लगी। बमुश्किल सात से आठ मिनट बीते होंगे कि आग ने शिविर के पूर्व की ओर स्थित सभी कॉटेजों को चपेट में ले लिया। हाल यह था कि पांच हजार स्क्वॉयर मीटर एरिया में बना यह शिविर 15 मिनट के भीतर पूरी तरह से आग की चपेट में आ चुका था। एक साथ कई कॉटेजों के धू-धूकर जलने से हालात यह हुए कि 30-30 फीट ऊंची लपटें उठने लगीं।
सिलिंडर फटने के साथ ही होने लगे धमाके
चौतरफा आग से वहां कोहराम मच गया। शिविर के अंदर मौजूद लोग चीखते-पुकारते हुए बाहर की ओर भागे। तब तक शिविर के बाहर भारी भीड़ जमा हो चुकी थी। इसी दौरान कॉटेजों में रखे सिलिंडर फटने लगे। रह-रहकर सिलिंडर फटने के साथ ही धमाके होने लगे। धमाके इतने जबरदस्त थे कि कई किमी दूर तक इनकी गूंज सुनाई दी। उधर, धमाकों से राहगीरों में भगदड़ जैसी स्थिति मच गई। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह स्थिति नियंत्रित की और लोगों को हटाकर मार्ग खाली कराया।
एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग बुझी
धमाके होते देख एकबारगी तो पुलिस व फायरकर्मियों को भी कदम पीछे की ओर खींचने पड़े। हालांकि करीब 25 मिनट बाद धमाके बंद होने के बाद एक बार फिर पूरी ताकत से फायरकर्मियों ने बचाव कार्य शुरू किया। तब जाकर करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद शाम पांच बजे के करीब आग बुझाई जा सकी। हालांकि, सुलग रहे बांस-फूस को पूरी तरह ठंडा करने में दो घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। अंधेरा होने की वजह से बचाव कार्य में मोबाइल लाइट सिस्टम का भी सहारा लेना पड़ा। आग बुझाए जाने के बाद मौके से कुछ अधजले सिलिंडर भी बरामद हुए। फायरकर्मियों ने फायर मिस्ट (मोटा पाइप) से उस पर करीब 10 मिनट तक पानी की बौछार कर उसे ठंडा किया।
हवा का साथ पाकर विकराल हुई आग
अग्नि दुर्घटना के दौरान आग के कुछ ही मिनटों में पूरे शिविर में फैलने और विकराल रूप धरने का एक कारण तेज हवा भी रही। दरअसल, सिलिंडर फटने पर तेज धमाके के साथ आग के गोले भी ऊपर की ओर उठ रहे थे। इसी दौरान हवा की चपेट में आने से यह एक साथ कई- कई कॉटेजों तक पहुंच जा रही थी और यही वजह थी इतने बड़े शिविर में आग को फैलने में 15 मिनट से भी कम का वक्त लगा। तेज हवा के चलते राहत कार्य में भी खलल पड़ा।
जहां लगी आग, कुछ देर बाद वहीं से गुजरने वाले थे सीएम
सेक्टर 19 में जिस शिविर में आग लगी, उसके सामने स्थित मार्ग से ही कुछ देर बाद सीएम योगी गुजरने वाले थे। दरअसल, अफसरों संग बैठक करने व प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद सीएम संत-महात्माओं से मिलने अखाड़ों में पहुंचे थे। घटना के दौरान वह संतों से मिल ही रहे थे कि तभी घटना की सूचना आ गई। इस पर अफसर घटनास्थल की ओर भागे।
शिविर में थे 50 से ज्यादा सिलिंडर
चर्चा है कि घटना के वक्त शिविर में 50 से ज्यादा सिलिंडर रखे हुए थे। गनीमत रही कि इनमें से कुछ ही आग की चपेट में आए। दरअसल शिविर में एक हजार से ज्यादा लोग रहने के लिए आए हैं और उनके खाने-पीने का इंतजाम भी वहीं किया गया है। शिविर में ही रसोईघर भी है। राहत की बात रही कि आग रसोईघर तक नहीं पहुंच सकी।
गीता प्रेस के एक करोड़ से अधिक के धर्मग्रंथ सुरक्षित
महाकुंभ मेले में हुई आगजनी के वाद गीता प्रेस के ट्रस्टी बदहवास नजर आए। हादसे के बाद वह शिविर में लोगों के कुशलक्षेम पूछते रहे। आगजनी में एक करोड़ से अधिक के धर्मग्रंथ जलने से बच गए हैं। सप्ताह भर पहले ही गोरखपुर से धर्मग्रंथों की खेप महाकुंभ के शिविर में पहुंची थी। हादसे में गीता प्रेस के कर्मचारियों के मोबाइल भी जलने की सूचना है।
रविवार को सेक्टर 19 में गीता प्रेस के शिविर की झोपड़ियां राख हो गईं लेकिन कुछ दूर पर स्थित शिविर में रखे एक करोड़ से अधिक के धर्मग्रंथ पूरी तरह से सुरक्षित बच गए। हादसे के बाद गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका पूरी तरह से बदहवास नजर आए। उनके मुंह से बार-बार यही निकल रहा था कि हे भगवान ये सब कैसे हो गया? भगवान सबकी रक्षा करें।
गीता प्रेस के लाल मणि तिवारी ने बताया कि आग के कारणों का अभी पता नहीं चल सका है। घटना के बाद हम स्थानीय कर्मचारियों से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं। महाकुंभ के लिए अभी एक करोड़ के धर्मग्रंथ भेजे गए थे जो पूरी तरह से सुरक्षित हैं। महाकुंभ में नौ कर्मचारियों को तैनात किया गया था।
साधु-संतों ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ
गीता प्रेस के शिविर में आग लगने के बाद महाकुंभ मेले के साधु-संतों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। साधु- संतों की टोली ने गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका से मुलाकात कर सांत्वना दी। साधु-संतों ने कहा कि आप लोग परेशान न हों, हम लोग हरसंभव मदद के लिए तैयार हैं।
गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने मीडिया से बात करते हुए कहा- हमारे लगभग 180 कॉटेज बने हुए थे। हमने बहुत सावधानी से बनाया था। सभी को मना किया गया था कि किसी प्रकार का अग्नि का कोई काम ना करें। जहां हमने सीमा बनाई, उसके पार सकुर्लेटिव एरिया घोषित किया गया था। पता नहीं प्रशासन ने वह जगह किसे दी… उस तरफ से अग्नि की कोई चीज हमारी तरफ आई और आग फैल गई।