TIO, प्रयागराज

अगर किसी को कार्डियक अरेस्ट हो जाए तो तत्काल कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) से उसकी जान बचाई जा सकती है। इसका ताजा उदाहरण मेला क्षेत्र में सामने आया है। यहां तीन लोगों को समय रहते सीपीआर देकर जीवनदान दिया गया है। इसमें आह्वान अखाड़े के महंत अजय गिरि, महंत ननकू गिरि व एक अन्य महिला शामिल है। मकर संक्रांति के पर्व पर अमृत स्नान के लिए निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान आह्वान अखाड़े के महंत अजय गिरि रथ पर बैठे-बैठे अचानक अचेत हो गए।

इस दौरान किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, कि वह क्या करें। तभी वहां से होकर गुजर रहे केंद्रीय अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग में तैनात लैब टेक्नीशियन अजय शुक्ला ने तुरंत महंत अजय गिरि को रथ पर ही सीपीआर देना शुरू किया। इससे उन्हें होश आ गया। इसके बाद उन्हें एंबुलेंस से केंद्रीय अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। दूसरा मामला केंद्रीय चिकित्सालय का है, जहां बृहस्पतिवार की शाम महिला संध्या देवी (66) को अचेत अवस्था में लाया गया।

उनका शुगर लेवल बहुत कम था। इसके अलावा आॅक्सीजन लेवल भी 43 हो गया था। ऐसे में डॉ. आशुतोष यादव और उनकी टीम ने तुरंत सीपीआर देकर महिला की जान बचाई। तीसरा मामला मेला के सेक्टर दो स्थित केंद्रीय चिकित्सालय का है, जहां शुक्रवार को महंत ननकू गिरि (35) को आईसीयू वार्ड की देखभाल कर रहे डॉ. सिद्धार्थ पांडेय ने सीपीआर देकर जान बचाई। जब उन्हें अस्पताल लाया गया, तो उनकी पल्स और हार्ट बीट का कुछ पता नहीं चल रहा था। इसके बाद उन्हें करीब 12 मिनट तक सीपीआर देकर जान बचाई गई।

सीपीआर की जानकारी होना सभी के लिए जरूरी है। इससे कार्डियक अरेस्ट के मरीज के दिल की धड़कन को फिर से शुरू किया जा सकता है। इसके बाद मरीज को तुरंत बेहतर उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। – डॉ. वैशाली सिंह, आईसीयू इंचार्ज, सेक्टर 24 उपकेंद्रीय चिकित्सालय।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER