TIO शहडोल

मध्य प्रदेश के शहडोल से सोमवार को दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई. जिले के मेडिकल कॉलेज की लापरवाही से मानवता शर्मसार होती दिखाई दी. यहां एक मां की मौत पर बेटों को जब शव वाहन नहीं मिला, तो वह उनके शव को लकड़ी से बांधकर बाइक पर ले गए. उन्होंने इस हालत में मां के शव के साथ करीब 80 किमी का सफर किया. बताया जा रहा है कि मां की मौत के बाद बेटे शव वाहन के लिए मेडिकल कॉलेज में भटकते रहे, लेकिन उन्हें वह नहीं मिला. उन्होंने जब प्राइवेट शव वाहन वाले से बात की तो उसने 5 हजार रुपये मांगे. पैसा नहीं होने पर बेटों को मजबूरन मां के शव को बाइक पर ले जाना पड़ा. अब ये तस्वीरें देखने दिखाने की इच्छा नहीं होती क्योंकि समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता … बतौर समाज आप मर चुके हैं …बेटे अपनी मां का शव बाइक में लेकर जा रहे हैं, किसी छोटे अस्पताल से नहीं … मेडिकल कॉलेज से क्योंकि शव वाहन नहीं है. किसी भी सरकार में मंत्री, मंत्रिमंडल क्यों हो … बीजेपी शासित प्रदेशों में वैसे भी 5 साल एक ही काम होता है … चुनाव का … सो चुनाव मंत्री ही रखे जाने चाहिये … कहीं खबर पढ़ी थी कि किसी विधायक ने जनपद सदस्यों को स्कॉर्पियो गिफ्ट की है… किसी राज्य में 50 करोड़ पकड़े जा रहे हैं, कहीं विधायकों से करोड़ों मिल रहे हैं… बस जनता के लिये किसी के पास पैसे नहीं हैं … शर्म कीजिये…
और हां चार आने का ज्ञान मत दीजियेगा बगैर जाने की मीडिया वाले क्या कर रहे थे उन्होंने मदद क्यों नहीं कि क्योंकि जनाब ऐसी 95% तस्वीरें मीडिया वाले नहीं लेते वहां मौजूद कोई शख्स मोबाइल पर लेकर देता है …

इस घटना की तस्वीरें और वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. लोग इस घटना पर तरह-तरह से कमेंट कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, मृतिका अनूपपुर के गोडारू गांव की रहने वाली थी. उसका नाम जयमंत्री यादव था. सीने में तकलीफ होने के कारण उनके बेटे सुंदर यादव ने उन्हें शहडोल के जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. यहां उनकी हालत गंभीर हो गई. ये देख डॉक्टरों ने जयमंत्री को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. यहां उपचार के दौरान रविवार देर रात उनकी मौत हो गई. इसके बाद सुंदर ने जिला अस्पताल की नर्सों पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाया और मां की मौत के लिए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया.

100 रुपए की लकड़ी की पट्टी पर ले गए शव
बताया जा रहा है कि मां की मौत के बाद बेटे उनका शव ले जाने के लिए प्रबंधन से शव वाहन की गुहार लगाते रहे, लेकिन वह नहीं मिला. इसके बाद वे निजी शव वाहन वाले के पास गए तो उसने मृतिका के बेटों से 5 हजार रुपये मांगे. इतने रुपये उनके पास नहीं थे. इसके बाद उन्होंने मदद मिलने की उम्मीद छोड़ दी और अस्पताल के बाहर से 100 की लकड़ी की एक पट्टी खरीद लाए. उन्होंने जैसे-तैसे इस पट्टी से मां का शव बांधा और बाइक पर रखकर 80 किमी दूर शहडोल से अनूपपुर जिले के गुड़ारु ले गए.

मेडिकल कॉलेज के पास 2 एंबुलेंस, लेकिन नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन
शहडोल मेडिकल कॉलेज के पास कोई शव वाहन नहीं है. इसके अलावा एम्बुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. 2 एम्बुलेंस दी गई हैं, लेकिन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के कारण मरीजों को सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इस दौरान किसी ने घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिए. अब ये वायरल हो गए हैं. लोग इन्हें देखकर तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि ये स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है. जिसकी वजह से ये हुआ है उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. कई लोगों ने इस घटना को लेकर सरकारी व्यवस्था की आलोचना भी की.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER