योगीराज योगेश
मध्य प्रदेश में मोहन सरकार का 1 साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस दौरान बताने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास बहुत कुछ है और अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उनकी 1 साल की उपलब्धियां को लेकर गुणगान जारी हैं। विश्लेषण हो रहे हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि मोहन सरकार का एक साल कैसा रहा?
हालांकि एक साल का कार्यकाल किसी भी सरकार के लिए बहुत कम होता है, लेकिन जब हम किसी सरकार के कार्यों को परखते हैं तो निश्चित तौर पर पिछली सरकारों से उसकी तुलना की ही जाती है। ऐसे में 1.5 साल की कमलनाथ सरकार और 15 साल का शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल जनता के जेहन में है। पहले बात करते हैं कमलनाथ के डेढ़ साल के कार्यकाल की। वर्ष 2018 में चुनाव जीतने के बाद जब कमलनाथ सरकार का 1 साल पूरा हुआ तो मीडिया ने सवाल पूछा इस पर उनका जवाब था कि अभी काम करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। शपथ ग्रहण के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी में ही 6 महिने निकल गए। इसके बाद दीगर कामों में वक्त निकल गया। यानी किसानों के कर्ज माफ करने संबंधी फाइल पर हस्ताक्षर करने के अलावा कमलनाथ के पास बताने को बहुत कुछ नहीं था। इस बीच राजनीतिक घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले कि सरकार ही गिर गई। लेकिन जब तुलना करते हैं तो कमलनाथ सरकार के 1 साल के कार्यकाल की बनिस्बत मोहन सरकार बहुत आगे दिखाई पड़ती है।
अब यदि शिवराज सरकार के करीब 15 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा किया जाए तो शिवराज सरकार में कृषि को लेकर क्रांतिकारी काम हुए। मध्य प्रदेश को 6-7 बार कृषि कर्मण अवार्ड भी मिले। यानी शिवराज का कार्यकाल मध्य प्रदेश में कृषि क्रांति के रूप में जाना गया। इसके अलावा उनकी भाषण शैली और जनता से उनका कनेक्ट लाजवाब रहा। लेकिन वे प्रशासन पर मजबूत पकड़ नहीं बना पाए। ऐसे में लोगों के दिलों में स्थाई भाव से जम चुके शिवराज के बाद जब श्री यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो शुरू में वे कुछ बुझे बुझे से नजर आए, लेकिन श्री यादव चुपचाप अपने काम में लग रहे और और इस 1 साल के दौरान उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली से बता दिया कि वे अलग ही मिट्टी के बने हैं। अल्प समय में ही वे अपने दोनों पूर्व मुख्यमंत्री से बिल्कुल भी पीछे नहीं दिखे। शिवराज के आभामंडल से बाहर निकालने के बाद सवाल यह भी था कि नया क्या किया जाए ? ऐसे में उन्होंने उन पहलुओं पर फोकस किया जो शिवराज नहीं कर पाए थे यानी औद्योगिक निवेश और प्रशासन पर लगाम।
हालांकि इन्वेस्टर मीट शिवराज के समय से ही शुरू हो गई थी थीं, लेकिन श्री यादव ने इस मामले में ज़बर्दस्त सक्रियता दिखाई । निवेश के लिए उन्होंने देश, प्रदेश से लेकर विदेश तक नाप दिया। इस दौरान उन्होंने न केवल निवेश में महत्वपूर्ण इजाफा किया बल्कि पूंजीपति और उद्योगपतियों को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि मध्य प्रदेश अब औद्योगिक कल कारखाने स्थापित करने के लिए बहुत मुफीद जगह है। यही वजह है कि देश दुनिया के इन्वेस्टर्स का ध्यान अब मप्र की ओर आकृष्ट हुआ है। देश के जाने-माने औद्योगिक घराने अंबानी और अडानी से लेकर जर्मनी और ब्रिटेन के औद्योगिक घरानों ने मध्यप्रदेश में निवेश के लिए दिलचस्प दिखाई है।करीब 4 लाख करोड़ का निवेश के प्रस्ताव राज्य सरकार को अब तक मिले चुके हैं। इन निवेश प्रस्तावों को लेकर विपक्ष सरकार को लगातार कठघरे में खड़ा कर रहा है। और सवाल पूछ रहा है कि निवेश के प्रस्ताव मिलना और हकीकत में खरा उतरने में जमीन आसमान का अंतर है। कांग्रेस का आरोप यह भी है कि निवेश के बड़े-बड़े आंकड़े दिखाकर मोहन सरकार झूठी वाह-वाही लूट रही है। जितने प्रस्ताव मिले उनमें से एक दो भी जमीन पर नहीं उतरे।
यह बात सही है औद्योगिक इकाइयों को स्थापित होने में समय लगता है और अभी तो मोहन सरकार का 1 साल का ही कार्यकाल हुआ है। ताजा प्रस्तावों में से भले ही शत प्रतिशत जमीन पर न उतरे हों लेकिन यदि जिन जगहों पर इन्वेस्टर मीट हुई है उन जगहों पर यदि एक-एक कल कारखाना भी स्थापित हो गया तो यह मध्य प्रदेश के लिए एक अनोखा रिकार्ड होगा। जैसे शिवराज का कार्यकाल कृषि क्रांति के रूप में जाना गया वैसे ही मोहन सरकार का कार्यकाल प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के रूप में जाना जाएगा।
दूसरी महत्वपूर्ण बात जो शिवराज सरकार के कार्यकाल में नेगेटिव मार्किंग में दर्ज हुई। वह थी प्रशासन पर उनकी ढीली पकड़। शिवराज अफ़सरों पर अंकुश नहीं लगा पाए। इसी स्थिति को मोहन यादव ने तुरंत भांपते हुए सबसे पहले प्रशासन पर शिकंजा कसा। यही बजह रही कि गुना में बस में आग लगने की घटना पर श्री यादव ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए कलेक्टर, एसपी और परिवहन आयुक्त तक बदल दिए। अफसरों पर लगाम लगाने का यह सिलसिला अभी जारी है। यानी इस मामले में वे शिवराज पर भारी पड़े। इन सब उपलब्धियां के बीच श्री यादव बिना किसी वाद विवाद में पड़ते हुए अपने कार्य में लगे हुए हैं। उनके भाषणों में भी अब धार नजर आ रही है और पब्लिक में उनकी पैठ भी बढ़ रही है। यदि वह इसी गति से चलते रहे तो शिवराज की ही तरह मोहन यादव मध्य प्रदेश के विकास में कई कीर्तिमान बनाने में सफल होंगे।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)