शशी कुमार केसवानी
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नजीते आए 6 दिन बीत गए हैं। लेकिन महायुति अब तक मुख्यमंत्री का ऐलान नहीं कर सकी है। जबकि नजीते आने के 72 घंटे बाद ही सरकार बन जाना चाहिए थी। इसकी सबसे बड़ी वजह है मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान। भाजपा जहां सबसे बड़ी पार्टी के कारण इस पद पर अपनी नजर गड़ाए बैठी है, तो वहीं कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे भी सीएम की गद्दी का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। अब वे चाह रहे हैं कि जिस तरह से उद्धव ठाकरे से बगावत कर भाजपा के साथ सरकार बनाई थी और सीएम भी बन गए थे। लेकिन तब की स्थिति अलग थी। लेकिन अबकी भाजपा अटल और आडवाणी वाली नहीं है। आज की भाजपा मोदी और शाह के कहे पर चल रही है और किसी दबाव आने की स्थिति में नहीं है।
उल्टा दबाव की राजनीति बनाकर अपनी ही सरकार बनाने में सक्षम भी रहती है। क्योंकि भाजपा के पास धन-बल और कूटनीति तीनों ही हैं। इसके अलावा उसके पास वह साधन भी हैं जो किसी अन्य दल के पास नहीं हैं। ऐसी स्थिति में शिंदे कितना भी मराठा-मराठा कर लें, लेकिन भाजपा अपनी शर्तों पर ही राजनीति करेगी और नैतिक रूप से बड़ा दल होने के नाते भाजपा का मुख्यमंत्री होना चाहिए। हालांकि दिखावे के लिए एकनाथ शिंदे अपने आपको सीएम की रेस से बाहर कर लिए हैं। पर अंदरूनी तौर पर वे अभी भी दौड़ में बने हुए हैं। अपने पक्ष में महौल बनाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहे हैं। जिसके लिए देश के दो बड़ उद्योगपतियों से भी उन्होंने चर्चा की है। एक राजनीतिक दल से भी उन्होंने इस पर चर्चा की है पर वह सार्थक होती नहीं दिख रही है।
उद्धव गुट की यह है ख्वाहिश
शिवसेना यूबीटी घटना पर पूरी नजर रखे हुए है और चाहता है कि शिंदे को छोड़कर अन्य कोई भी सीएम बन जाए उसे दिक्कत नहीं होगी। पर अपनी पार्टी की टूट का बदले का मौका वह भी नहीं छोड़ना चाहती। अंदरूनी तौर से कई भाजपा नेता शिवसेना से लगातार संपर्क में हैं। जिनकी सुबह से लेकर शाम तक और देर रात तक इस मुद्दे पर चर्चा होती रहती है। पर आने वाले दिनों में सरकार भाजपा की बनेगी। पर उसकी राह में कांटे बिछाने वाले अपने ही सहयोगी ही रहेंगे। क्योंकि मुंबई में हर आदमी को अपना राजनीतिक कद बड़ा करना है, और यह वह समय है जब अपने आपको हर नेता स्थापित करना चाह रहा है। पर राह किसी की भी आसान नहीं है। आने वाले दिनों में मुंबई की राजनीति चस्कारे लेने के लिए मजेदार रहेगी। और अखबारों की सुर्खियां भी बनी रहेगी।