TIO, नई दिल्ली,

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के शोर के बीच पहले चरण की 43 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है। झारखंड चुनाव के साथ ही बिहार और पंजाब की चार-चार विधानसभा सीटों समेत राजस्थान, मध्य प्रदेश से लेकर असम तक, 11 राज्यों की 31 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। उपचुनाव केरल की वायनाड लोकसभा सीट के लिए भी हो रहा है। राहुल गांधी के इस्तीफे से रिक्त हुई वायनाड लोकसभा सीट से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनाव मैदान में हैं। झारखंड के विधानसभा चुनाव से लेकर बिहार, पंजाब और वायनाड उपचुनाव तक, किसका क्या दांव पर है?

हेमंत के चेहरे पर पहला चुनाव
झारखंड राज्य के गठन के बाद से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की चुनावी रणनीति से लेकर प्रचार अभियान तक, दिशोम गुरु यानि शिबू सोरेन ही धुरी रहे हैं। इस बार के चुनाव में पहली बार ऐसा है कि पार्टी की रणनीति से लेकर प्रचार अभियान और फैसलों तक, पूरी कमान हेमंत सोरेन के हाथ हैं। उम्मीदवारी का सवाल हो या गठबंधन का, जेएमएम की डिसाइडिंग सीट पर हेमंत सोरेन ही नजर आए हैं। हेमंत के साथ ही उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी चुनाव प्रचार में खासी एक्टिव नजर आ रही हैं जो सियासत और सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए रखने के लिए पहचान रखती थीं।

हेमंत तो पहले भी सीएम रहे हैं लेकिन यह पहला ही मौका है जब वे जेएमएम के चुनाव अभियान का सेंटर पॉइंट बने हैं। यह चुनाव स्वास्थ्य कारणों से शिबू सोरेन की सियासत से दूरी के बीच हेमंत के लिए सर्वाइवल का सवाल बन गया है। यह चुनाव हेमंत के लिए एग्जिस्टेंस का सवाल भी माना जा रहा है। यह सवाल इसलिए भी गहरा हो गया है क्योंकि चंपाई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम जैसे कद्दावर नेता चुनाव के पहले ही हेमंत और जेएमएम का साथ छोड़कर विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में जा चुके हैं।

पीके की पहली चुनावी परीक्षा
बिहार की चार विधानसभा सीटों- तरारी, रामगढ़, इमामगंज और बेलागंज सीट के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। 2025 के बिहार चुनाव से पहले हो रहे ये उपचुनाव सियासी दलों के लिए लिट्मस टेस्ट की तरह देखे जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) गठबंधन के साथ ही विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की अगुवाई वाले गठबंधन के लिहाज से भी अहम माने जा रहे इन उपचुनावों में चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (पीके) की पार्टी जनसुराज ने भी उम्मीदवार उतारे हैं।

बिहार की सियासत में नई-नवेली पीके की जनसुराज पार्टी के लिए यह पहली चुनावी परीक्षा है। पीके खुद भी कह चुके हैं कि अगर हम ये सभी सीटें जीतते हैं तो 2025 के चुनाव नतीजे 2024 में ही खुद-ब-खुद तय हो जाएंगे। पीके जातीय राजनीति का मकड़जाल तोड़ने के लिए नई राजनीति की बात करते हैं, आबादी के मुताबिक भागीदारी देने की बात कह रहे हैं और पलायन, रोजगार जैसे मुद्दों पर भी फोकस कर रहे हैं। नीतीश कुमार और लालू यादव जैसे सियासत के माहिर नेताओं के बीच पीके कितनी जगह बना पाते हैं, इस लिहाज से भी चार सीटों का ये उपचुनाव महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

प्रियंका का चुनावी आगाज
प्रियंका गांधी को सियासत में वैसे तो कुछ साल हो गए हैं लेकिन अब तक वह चुनावी राजनीति से दूर ही थीं। लोकसभा चुनाव में रायबरेली या अमेठी सीट से प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने की चर्चा थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। प्रियंका गांधी ने चुनाव मैदान में उतरने की जगह प्रचार अभियान पर फोकस किया। अब वह दक्षिण भारत के केरल की वायनाड लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव से चुनावी सफर का आगाज कर रही हैं। राहुल गांधी के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर प्रियंका गांधी के चुनावी आगाज को बड़ी जीत के साथ यादगार बनाने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER