TIO, कोलकाता।
बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सोमवार को 10वें दिन भी जारी रही। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के दो और जूनियर डॉक्टर अनशन में शामिल हो गए, जिन्होंने दोपहर से भूख हड़ताल शुरू की। इस दौरान न्याय और कार्यस्थल पर सुरक्षा की मांग को लेकर आमरण अनसन पर बैठे दो और डॉक्टरों की हालत बिगड़ गई। इसके अलावा, डॉक्टरों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध का हल निकालने के लिए स्वास्थ्य भवन में 12 डॉक्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों और मुख्य सचिव मनोज पंत के बीच हुई अहम बैठक बेनतीजा रही। डॉक्टरों को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार से एक स्पष्ट समयसीमा की उम्मीद थी, लेकिन प्रशासन ने कोई भी समय सीमा तय नहीं की, जिससे गतिरोध और बढ़ गया।
अधिकारियों ने बताया कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पुलस्थ आचार्य को पेट में तेज दर्द की शिकायत के बाद रविवार रात अस्पताल ले जाया गया। पुलस्थ को सीसीयू में भर्ती कराया गया है। एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि पुलस्थ के पैरमीटर खराब हो गए हैं। हमने उनका इलाज करने के लिए एख मेडिकल बोर्ड का गठन किया है।
इसके अलावा, कोलकाता मेडिकल कॉलेज की एक अन्य जूनियर डॉक्टर तनया पांजा अनशन के दौरान बेहोश हो गईं। स्वास्थ्य स्थिति काफी खराब होने के चलते उन्हें इलाज के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पहुंचने पर उन्हें सीसीयू में भर्ती करना पड़ा, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने तत्काल इलाज शुरू किया। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अंजम अधिकारी ने बताया कि पांजा को आवश्यक उपचार दिया गया है। उसके रक्त के नमूने जांच के लिए भेज गए हैं। इससे पहले, भूख हड़ताल पर बैठे तीन जूनियर डॉक्टरों को उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए कोलकाता और सिलीगुड़ी में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कौशिक चाकी ने कहा, ‘हमने राज्य सरकार से भूख हड़ताल कर रहे युवा डॉक्टरों की मदद के लिए किसी सर्वोच्च रैंकिंग वाले अधिकारी को भेजने का अनुरोध किया। हालांकि, मुख्य सचिव ने संकेत दिया कि वह कोई समय सीमा नहीं बता सकते।
हम डॉक्टरों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए चिंतित: पंत
बैठक के बाद, मुख्य सचिव पंत ने संवाददाताओं को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि जूनियर डॉक्टरों द्वारा उठाई गई 10 मांगों में से सात को पहले ही मान लिया जा चुका है। जबकि, शेष तीन पर आगे प्रशासनिक विचार की आवश्यकता है। पंत ने कहा, ‘शेष तीन मांगों के लिए, वे विशिष्ट समयसीमा का अनुरोध कर रहे थे। ये प्रशासनिक निर्णय हैं, जिन पर राज्य को विचार करने की आवश्यकता है, इसलिए हम इस समय कोई समय सीमा प्रदान नहीं कर सकते।’
पंत ने कहा कि हमने उन्हें आश्वासन दिया कि हमने उनके मुद्दों और शिकायतों पर ध्यान दिया है। हमने उनसे जूनियर डॉक्टरों को अपनी भूख हड़ताल वापस लेने के लिए मनाने का आग्रह किया, क्योंकि हम उनके स्वास्थ्य और भलाई के बारे में चिंतित हैं। स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर पंत ने कहा कि यह राज्य सरकार को तय करना है कि क्या कार्रवाई करनी है।
मुख्य सचिव ने जेपीडी को आगे की चर्चा के लिए आमंत्रित किया
पंत ने डॉक्टरों के संयुक्त मंच (जेपीडी) को राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय में आगे की चर्चा के लिए आमंत्रित किया और उनसे 15 अक्तूबर को अपने नियोजित ‘दुर्गा पूजा कार्निवल’ प्रदर्शन को रद्द करने का आग्रह किया। जेपीडी ने जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन सरकार ने चिंता व्यक्त की कि यह राज्य के वार्षिक ‘दुर्गा पूजा कार्निवल’ के साथ मेल खाएगा।
डॉक्टर्स की ये हैं मांगें
पिछले कुछ दिनों में जब दुर्गा पूजा उत्सव चल रहा था, तब बड़ी संख्या में आम लोग भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचे। जूनियर डॉक्टर, आरजी कर अस्पताल की पीड़िता के लिए न्याय और स्वास्थ्य सचिव को तत्काल हटाने की मांग कर रहे हैं। उनकी अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना, एक बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली की शुरूआत, कार्यस्थलों पर सीसीटीवी, आॅन-कॉल रूम और वॉशरूम के लिए आवश्यक प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स का गठन शामिल है।
पांच अक्तूबर से अनशन जारी
डॉक्टर्स की भूख हड़ताल की शुरूआत पांच अक्तूबर को हुई, जो दो चरणों में लगभग 50 दिनों के ‘काम बंद’ के बाद शुरू हुई। भारतीय चिकित्सा संघ (कटअ) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से स्थिति बिगड़ने से पहले हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स ने आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए पश्चिम बंगाल में 14 अक्टूबर से 48 घंटे के लिए ‘आंशिक रूप से काम बंद’ करने का आह्वान किया है। वहीं फेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (ऋअकटअ) ने भी चेतावनी दी है कि अगर प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को कोई नुकसान पहुंचाया जाता है तो वे देश भर में ‘चिकित्सा सेवाओं को पूरी तरह से बंद’ कर देंगे।
क्या है मामला?
नौ अगस्त की वो भयावह सुबह कोई नहीं भूल सकता, जब कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर की लाश मिली थी। जब मामला विवादों में आया, तो पता चला कि डॉक्टर के साथ दुष्कर्म हुआ था। यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और फिर सीबीआई को इसकी जांच सौंप दी गई। घटना के लगभग दो महीने बाद महिला डॉक्टर को इंसाफ मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कलकत्ता पुलिस ने 10 अगस्त को संजय रॉय को गिरफ्तार किया था।