TIO, नई दिल्ली/शिमला/पटना।
हिमाचल प्रदेश से दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी हो गई है, लेकिन मनाली जिले में धुंधी के पास भारी भूस्खलन से मनाली-लेह मार्ग लगभग 12 घंटे तक बंद रहा। वहीं, बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। नेपाल में मूसलाधारा बारिश से बेहाल बिहार के सीमांचल क्षेत्र के दर्जनभर जिले समेत सैकड़ों गांव पानी में डूबे हुए हैं। नदियां उफान पर हैं और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। राहत और बचाव कार्यों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीधी नजर रख रहे हैं। एनडीआरए, एसडीआरएफ और सेना को भी बचाव कार्यों में लगाया गया है। उधर, नेपाल में वर्षाजनित घटनाओं में छह लोगों की मौत हो गई है।
मनाली से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार देर रात करीब 12 बजे धुंधी में भूस्खलन हुआ। भारी मात्रा में मलबा और चट्टानें सड़क पर आ गईं। सड़क के दोनों ओर वाहनों की लाइन लग गई और पर्यटकों के साथ स्थानीय लोग रास्ते में जहां-तहां फंस गए। पुलिस ने वाहनों को रोहतांग दर्रा के रास्ते आगे भेजा। बुधवार दोपहर लगभग 12:30 बजे बीआरओ ने सड़क एकतरफा यातायात के लिए खोल दी। सिरमौर जिले में राजगढ़ के पास पैरवीपुल पर एक ट्राले के पिछले टायर सड़क से बाहर निकल जाने से नेरीपुल-सोलन मार्ग रात तीन बजे से बंद हो गया। बुधवार दोपहर तीन बजे मार्ग बहाल हो पाया। हिमाचल प्रदेश से आठ दिन की देरी से बुधवार को दक्षिण पश्चिम मानसून विदा हुआ। 27 जून से दो अक्तूबर तक प्रदेश में सामान्य से 18 फीसदी कम बारिश हुई है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून की वापसी की सामान्य तिथि 25 सितंबर है। 15 नवंबर से सर्दी का सीजन का आगाज होगा। वर्ष 2024 में मानसून सीजन में सिर्फ सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई। जून, जुलाई और अगस्त में सामान्य से कम बादल बरसे। इस साल 600.9 मिलीमीटर बारिश हुई, जो कि पिछले 124 सालों में 97वीं सबसे अधिक बारिश है। हालांकि, 1901 से 2024 तक की अवधि के लिए सबसे अधिक बारिश (1314.6 मिलीमीटर) वर्ष 1922 में दर्ज की गई थी।
कोसी-गंडक बिहार में मचा रही तबाही
नेपाल से बहकर आने वाली कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, बागमती समेत अन्य कई नदियों ने बिहार में जलप्रलय की स्थिति पैदा कर दी है। लेकिन कोसी और गंडक का कहर कुछ ज्यादा है। दरअसल, नेपाल की कुल 7 नदियां कोसी नदी में आकर मिलती हैं। इसकी वजह से यहां भयंकर तबाही भरा मंजर हो जाता है। शायद इसलिए कोसी को बिहार का शोक भी कहा जाता है। राज्य में इस वक्त सभी नदियां उफान पर हैं। इसके चलते, खासतौर पर नेपाल से सटे जिलों-पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज में बाढ़ की गंभीर स्थिति बनी हुई है।
12 जिलों में 10 लाख से अधिक आबादी प्रभावित
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, राज्य के 12 जिले बाढ़ से करीब 10 लाख लोग प्रभावित हैं। राहत और बचाव कार्यों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 16 और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की 14 टीमें लगाई हैं। इसके अलावा, पुलिस, वन विभाग और फायर ब्रिगेड की टीमें भी राहत व बचाव कार्यों में जुटी हैं। दो लाख से अधिक लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। लगभग 60 हजार लोगों को विभिन्न राहत शिविरों में रखा गया है।
नेपाल में बारिश को लेकर अलर्ट
नेपाल सरकार ने कोसी और बागमती प्रांतों के साथ ही काठमांडू में बृहस्पतिवार को भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। नेपाल में मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के चलते बुधवार को छह और लोगों की जान जाने के साथ अब तक 240 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। नेपाल में बारिश के चलते बिहार में भी भीषण बाढ़ आई है और कोहराम मचा है।