शशी कुमार केसवानी
भोपाल । मध्यप्रदेश को नया प्रशासनिक मुखिया मिल गया है। लेकिन जैसा अनुमान था वैसा ही हुआ। हम पहले भी इस बारे में लिख चुके हैं कि मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव निर्णय पीएमओ से ही होगा। इस बात को लेकर प्रदेशभर में अनुमान और चर्चाएं ऐसी चल रही थी कि जैसे फैसला मप्र सरकार को ही करना है। पर हमारा अनुमान पहले दिन से यही था कि अंतिम निर्णय दिल्ली से ही होगा और हुआ भी वहीं। हालांकि मुख्यमंत्री मोहन यादव की गलती से गफलत जरूर पैदा हो गई थी। साथ ही प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी की जिस तरह से भद्द पिटी है, वह आम लोगों की नजर में हंसी-ठिठोली वाली बातें बन गई है। प्रदेश सरकार को इस तरह के निर्णय लेने से पहले केन्द्र से पूर्ण रूप से सहमति ले लेनी चाहिए अन्यथा आने वाले दिनों में कई निर्णय ऐसे ही उल्टे पड़ते जाएंगे। क्योंकि लंबे समय से बड़े निर्णय पीएमओ से ही होते हैं।
बता दें मध्यप्रदेश के नए मुख्य सचिव अनुराग जैन हो गए हैं। आदेश सोमवार देर रात जारी किया गया। वज आज सीएस का पदभार ग्रहण करेंगे। अनुराग जैन एमपी कैडर के सबसे वरिष्ठ अफसर हैं। उनके मुख्य सचिव बनने के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, उनका नाम मुख्य सचिव की दौड़ में तो था लेकिन प्रबल दावेदार अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा थे। प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि राजौरा का नाम लगभग फाइनल हो चुका था। उनका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय भेज दिया गया था लेकिन 29 सितंबर तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला। 30 सितंबर की सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव झारखंड के लिए रवाना होने वाले थे। उससे पहले तक दिल्ली से कोई मैसेज नहीं आया तो ऐसा माना जा रहा था कि डॉ. राजौरा ही अगले मुख्य सचिव होंगे। अधिकारियों ने उन्हें बधाई भी दे दी थी। लेकिन दिल्ली से आए एक कॉल ने समीकरण बदल दिए और राजौरा की जगह अनुराग जैन सीएस बन गए।
डॉ. राजौरा का नाम इस वजह से सीएस की दौड़ में शामिल था
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते बाद ही 1990 बैच के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्ति की गई थी। इसी के बाद माना गया कि वे ही मप्र के अगले मुख्य सचिव के लिए प्रबल दावेदार हैं क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ होने वाले अपर मुख्य सचिव स्तर के वे पहले अफसर थे। फरवरी के बाद मुख्यमंत्री की दिल्ली में दो बार अनुराग जैन से मुलाकात हुई, लेकिन उन्हें मुख्य सचिव बनाने को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई। ऐसे में डॉ. राजौरा को मुख्य सचिव बनाए जाने का रास्ता साफ होता दिखाई दिया क्योंकि वीरा राणा को दूसरी बार एक्सटेंशन देने के लिए सरकार ने केंद्र को कोई पत्र नहीं लिखा था।
डॉ. राजौरा का आदेश निकलने से पहले आ गया दिल्ली का संदेश
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि डॉ. राजौरा को मुख्य सचिव बनाने का आदेश दोपहर बाद जारी होना था। मुख्यमंत्री झारखंड रवाना हो गए। बताया जाता है कि दोपहर करीब साढ़े 12 बजे पीएमओ से मुख्यमंत्री कार्यालय के पास कॉल पहुंचा और बताया कि अनुराग जैन मप्र के नए मुख्य सचिव होंगे। इसके बाद दोपहर 2 बजे सामान्य प्रशासन विभाग ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को जैन की सेवाएं मध्यप्रदेश को लौटाने के लिए पत्र भेजा।
इसी साल फरवरी में अनुराग जैन का नाम प्रस्तावित किया गया था
मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव दिसंबर 2023 के आखिरी हफ्ते में दिल्ली गए थे, तब अनुराग जैन ने उनसे मुलाकात कर मुख्य सचिव बनने की सहमति दी थी। यानी वे प्रतिनियुक्ति से मध्यप्रदेश वापस लौटना चाहते थे। इधर, मध्यप्रदेश की तत्कालीन मुख्य सचिव वीरा राणा 31 मार्च 2024 को रिटायर हो रही थीं। अनुराग जैन के सहमति देने के बाद फरवरी में राज्य सरकार ने नए मुख्य सचिव के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया और उनकी प्रतिनियुक्ति से वापसी के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जैन की सेवाएं मध्यप्रदेश को नहीं लौटाई गईं। ऐसे में वीरा राणा को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया। पिछले दिनों दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अनुराग जैन से मुलाकात की थी। इसके बाद उनका नाम एक बार फिर प्रदेश के मुख्य सचिव पद के लिए चर्चा में आया था।
नए सीएस का आदेश जारी होने में इतनी देरी क्यों?
नए मुख्य सचिव अनुराग जैन का आदेश सोमवार देर रात जारी हुआ। ये आदेश जारी करने में इतनी देरी क्यों हुई, इसके जवाब में नाम न बताने की शर्त पर मप्र के पूर्व मुख्य सचिव कहते हैं कि राज्य का मुख्य सचिव बनाने की एक प्रक्रिया होती है। सभी को पहले से पता होता है कि मौजूदा मुख्य सचिव कब रिटायर होने वाले हैं। नया मुख्य सचिव कौन बनने वाला है, उसे लेकर भी प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी की जाती है। यदि मप्र में ही पदस्थ किसी अपर मुख्य सचिव को मुख्य सचिव बनाना है तो उसके लिए केंद्र सरकार से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। यदि केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ मप्र कैडर के किसी अधिकारी को मुख्य सचिव बनाना है तो उसकी एक प्रक्रिया होती है। इसे पूरा करने में वक्त लगता है। राज्य सरकार, केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखकर केंद्र में पदस्थ अफसर की सेवाएं वापस मांगती है। 30 सितंबर देर शाम को उन्हें केंद्र सरकार ने रिलीव किया और देर रात को राज्य सरकार ने उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किए।
मोदी 3.0 में अहम मंत्रालय की कमान मिली थी
10 साल पहले पीएमओ में संयुक्त सचिव रहे अनुराग जैन को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सबसे अहम मंत्रालय रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे की कमान सौंपी गई थी। जैन वित्त प्रबंधन के अच्छे जानकार माने जाते हैं। यही वजह है कि 2019 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद कमलनाथ सरकार ने उन्हें वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन मई 2020 में वे फिर प्रतिनियुक्ति पर केंद्र चले गए। अनुराग जैन ने दिसंबर 2013 से फरवरी 2014 तक भारतीय निर्यात-आयात बैंक के कार्यवाहक अध्यक्ष और कार्यवाहक प्रबंध निदेशक के रूप में भी काम किया है। उनकी मध्यप्रदेश में पब्लिक सर्विसेज डिलीवरी एक्ट को लागू कराने में अहम भूमिका रही है। पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान में भी उनका अहम रोल रहा है।