TIO, वॉशिंगटन।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान से दो टूक कहा कि भारत के खिलाफ सीमापार से चलाए जा रहे आतंकवाद की सजा उसे निश्चित रूप से भुगतनी होगी। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच हल किया जाने वाला मुद्दा अब सिर्फ पाकिस्तान की ओर से अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना और आतंकवाद को समर्थन देना बंद करना है।

महासभा के 79वें सत्र में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हमने इसी मंच से कुछ अनोखी बातें सुनी। मैं भारत की स्थिति साफ कर देना चाहता हूं। भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सीमापार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी। उसे इसके नतीजे भी भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान के कर्मों का ही फल है कि उसके समाज को बुराइयां निगल रही हैं।

जयशंकर ने कहा कि कई देश इसलिए पिछड़ जाते हैं, क्योंकि हालात उनके नियंत्रण में नहीं होते, पर कुछ देश अपनी इच्छा से विनाशकारी परिणाम चुनते हैं। हमारा पड़ोसी पाकिस्तान इसका सटीक उदाहरण है। हम देख रहे हैं पाकिस्तान ने दूसरे देशों के लिए जो परेशानियां पैदा करनी चाही, वही उसकी समाज को खत्म कर रही है। वह इसका आरोप दूसरों पर नहीं मढ़ सकता है।

चीन को भी सख्त संदेश
जयशंकर ने सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकियों की घोषणा के रास्ते में अड़ंगा डालने पर भी चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आतंक उन सभी चीजों के उलट है, जिनके लिए दुनिया खड़ी है। आतंकवाद के सभी रूपों का सख्ती से विरोध किया जाना चाहिए। वैश्विक आतंकियों की घोषणा में राजनीतिक कारणों से बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।

उनकी जीडीपी का पैमाना कट्टरपंथ और आतंक का निर्यात
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जीडीपी को केवल कट्टरपंथ और आतंकवाद के निर्यात के संदर्भ में ही मापा जा सकता है। पाकिस्तान जो बुराइयां दूसरे देशों पर थोपना चाहता है, वह उसके ही समाज को निगल रही हैं। इसके लिए दुनिया को दोष नहीं दे सकता, यह उसके कर्मों का फल है। दूसरों की जमीन का लालच करने वाले इस निष्क्रिय देश को बेनकाब किया जाना चाहिए, विरोध किया जाना चाहिए।

पाकिस्तान ने क्या कहा था?
इससे पहले पाकिस्तान ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का राग अलापा था। बार-बार मुंह की खाने के बावूजद अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर पर बेतुका बयान देने से बाज नहीं आया। इस बार तो उसने यहां तक कह डाला कि भारत को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को पलटना चाहिए और मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए उसके साथ बातचीत करनी चाहिए।

अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि फलस्तीन के लोगों की तरह जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भी अपनी आजादी और खुद फैसला लेने के अधिकार के लिए एक सदी तक संघर्ष किया है। अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए शरीफ ने कहा कि स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत को अगस्त 2019 के फैसले को वापस लेना चाहिए।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER