TIO, चंडीगढ़।
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू के बाद पंजाब में धमकाने, अगवा करने और फिरौती के लिए फोन आने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। जहां इंटरव्यू के 9 माह पहले तक यह संख्या 300 थी तो वहीं इंटरव्यू के बाद दिसंबर 2023 तक यह संख्या बढ़ कर 324 पहुंच गई है। यह आंकड़ा पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने हलफनामे के माध्यम से पेश किया है।
लॉरेंस के इंटरव्यू को लेकर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि लॉरेंस बिश्नोई के इस इंटरव्यू में गैंगस्टर का महिमा मंडन किया गया है, इससे अपराध बढ़ सकता है। ऐसे में हाईकोर्ट ने डीजीपी से जानकारी मांगी थी। डीजीपी गौरव यादव ने जो आंकड़े हाईकोर्ट को दिए हैं, उससे यह साफ हो जाता है कि हाईकोर्ट का अंदेशा बिलकुल सही था।
किस जिले में कितना अपराध बढ़ा
लॉरेंस के जेल में हुए इंटरव्यू के बाद से पंजाब में फिरौती और गवाहों को धमकाने और अगवा करने के मामले बढ़े हैं। इंटरव्यू से पहले 9 महीनों में यानी की 1 जून 2022 से 28 फरवरी 2023 के बीच पंजाब में धमकाने, अगवा करने और फिरौती के कॉल्स आने को लेकर 300 एफआईआर दर्ज की गईं थीं। इनमें से सबसे ज्यादा कॉल्स लुधियाना में 35, बठिंडा में 28, तरनतारन में 17, मोगा में 13, मोहाली में 13, जालंधर में 26, अमृतसर में 29, फाजिल्का में 13 और होशियारपुर में 11 एफआईआर दर्ज की गईं थीं।
मार्च 2023 में लॉरेंस बिश्नोई के जेल से हुए इंटरव्यू के बाद दिसंबर 2023 तक ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हो गई। 1 मार्च 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक 324 एफआईआर दर्ज हुईं थीं। इनमें से लुधियाना में 26, बठिंडा में 34, तरनतारन में 17, मोगा में 23, जालंधर में 21, अमृतसर में 34, बटाला में 20 और होशियारपुर में 19 एफआईआर दर्ज की गईं थीं।
डीजीपी गौरव यादव ने बताई अपनी उपलब्धियां
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि अर्श डल्ला, हरविंदर सिंह रिंदा, लखबीर सिंह उर्फ लंडा और सतिंदर सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ जैसे गैंगस्टर और संगठित अपराध में शामिल इन लोगों को केंद्र सरकार साल 2023-24 में आतंकी घोषित कर चुकी है। इनकी धरपकड़ की कोशिशें जारी हैं। हाल ही में सचिन थापन उर्फ सचिन बिश्नोई, विक्रमजीत सिंह बराड़ उर्फ विक्की, मनदीप सिंह और मनप्रीत उर्फ पीटा को केंद्रीय एजेंसियों की मदद से अजरबैजान, यूएई और फिलीपींस से गिरफ्तार कर भारत लाया गया है।
हथियारों के महिमा मंडन पर एक्शन
सोशल मीडिया के ऐसे 203 अकाउंट ब्लॉक कर दिए गए हैं, जिनमें हथियारों का प्रदर्शन, अपराध का महिमा मंडन किया जा रहा था और अपराधों की जिम्मेदारी ली जा रही थी। सोशल मीडिया पर हथियारों, हिंसा और अपराध को प्रमोट करने के मामले में इसी साल 201 एफआईआर दर्ज की गईं हैं।