TIO, नई दिल्ली।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सिख समुदाय पर दिए बयान पर नाराजगी जताई है और तंज कसा है। पुरी ने कहा, मुझे यह आश्चर्यजनक लगता है। मैंने अपने जीवन के 62 साल से पगड़ी पहन रहा हूं। मुझे लगता है कि ज्यादा परेशान करने वाली प्रवृत्ति यह कहना है कि यह एक ऐसा बयान है जो अज्ञानता से दिया गया है या यह ‘पप्पू’ शैली है।

दरअसल, अमेरिका यात्रा के दौरान लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने वर्जीनिया में एक भाषण दिया। राहुल ने आरोप लगाया कि संघ कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को अन्य की तुलना में कमतर मानता है। भारत में राजनीति के लिए नहीं, बल्कि इसी बात की लड़ाई लड़ी जा रही है। सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में है। लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी या कड़ा पहनने का अधिकार है या नहीं या एक सिख के रूप में वो गुरुद्वारा जा सकते हैं या नहीं। हालांकि, राहुल के इस बयान पर बीजेपी ने विरोध किया।

‘भयावह और झूठ से भरा है बयान’
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (राहुल) का ये बयान भयावह और झूठ से भरा है। उन्होंने आगे कहा, उन्हें (राहुल गांधी) पता नहीं है कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह गलत है। जब सिखों के लिए अस्तित्व का खतरा था या अगर उन्हें ऐसा महसूस हुआ, मैंने खुद इसका अनुभव किया, यह 1984 के दौरान था। यह निर्दोष लोगों के खिलाफ एकतरफा नरसंहार था। मैं आश्चर्यचकित हूं कि इसमें एक पैटर्न नजर आता है। विपक्ष के नेता (राहुल गांधी) यहां आए थे और उन्होंने कहा कि सिख दोयम दर्जे के नागरिक हैं। वो (राहुल) एक विचारधारा पर हमला कर रहे हैं और नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। वे झूठ और भ्रम फैला रहे हैं।

‘मैं 62 साल से पगड़ी पहन रहा हूं’
हरदीप सिंह पुरी ने कहा, मेरे लिए यह कहना बहुत गर्व की बात है कि सिखों के लिए इतना अच्छा समय पहले कभी नहीं आया था, जो भी शिकायतें थीं, उन्हें वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूर कर दिया है। मैं अपने जीवन के 62 साल से पगड़ी पहन रहा हूं। मैंने उससे भी लंबे समय से कड़ा पहन रहा हूं। मेरे भाई-बहन जो कई साल पहले काम करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आए थे, उनमें से कुछ लोग गृह देश के साथ संपर्क में हैं। कुछ बस सोशल मीडिया या जो कुछ भी पढ़ते हैं उसके जरिए सोच बनाते हैं। अब यदि आप (राहुल) इस तरह का नैरेटिव गढ़ते हैं कि सिखों को पगड़ी पहनना मुश्किल या असुरक्षित लगता है तो उनमें से कुछ वास्तव में इस पर विश्वास कर सकते हैं, जो कि सच नहीं है।

पुरी का कहना था कि यदि यह कहा जाए कि हमारे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के इतिहास में कभी ऐसा हुआ, जब सिखों के अस्तित्व पर कोई खतरा आया हो या उन्हें ऐसा महसूस हुआ हो कि मैंने स्वयं इसका अनुभव किया है- वह साल 1984 था। मैं दंगा शब्द का उपयोग नहीं करता। यह निर्दोष लोगों के खिलाफ एकतरफा नरसंहार था, जिसमें 3000 लोग भारत में बेरहमी से मारे गए थे।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER