TIO, नई दिल्ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सभी राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में लगे हुए हैं। पिछले कुछ दिनों की अटकलों के बाद अब विनेश फोगाट और राहुल गांधी की मुलाकात की खबर आई है। भारतीय पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से मुलाकात की है। दोनों पहलवानों और राहुल गांधी के मुलाकात की तस्वीर सामने आई है, जिसके बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि विनेश फोगाट कांग्रेस के टिकट पर हरियाणा विधानसभा चुनाव में एंट्री ले सकती हैं। पिछले काफी दिनों से अटकलें थीं कि विनेश फोगाट, कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकती हैं। अब मुलाकात की तस्वीर सामने आने के बाद इस बात की संभावना बढ़ती दिख रही है।
क्या सच साबित होंगी अटकलें?
राहुल गांधी से मुलाकात से पहले ही राजनीतिक हलकों में चचार्एं थीं कि अगर विनेश फोगाट सक्रिय राजनीति में प्रवेश करती हैं, तो वह कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं। हाल ही में विनेश ने जींद, रोहतक, और शंभू बॉर्डर पर खाप पंचायतों और किसानों से मुलाकात की, जहां उन्हें खाप पंचायत द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, “जब मैं मुश्किल में थी, तब किसानों ने मेरा साथ दिया।”
कांग्रेस ने भी विनेश को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कदम उठाए हैं। जब विनेश ने अपने रिटायरमेंट ऐलान किया, तो कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा उनके साथ नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी मांग रखी कि विनेश को राज्यसभा भेजा जाए, हालांकि उम्र की वजह से यह मुमकिन नहीं था। विनेश के चाचा महावीर फोगाट और चचेरी बहन बाबिता फोगाट ने कांग्रेस की इस पहल की आलोचना की थी।
विनेश के राजनीति में आने से क्या होगा?
विनेश फोगाट का संभावित राजनीतिक प्रवेश हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। उनके खाप पंचायतों और किसानों के साथ मजबूत रिश्ते उन्हें चुनाव में बड़ा समर्थन दिला सकते हैं। हालांकि, अभी तक विनेश ने राजनीति में प्रवेश का औपचारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन काफी वक्त से राजनीतिक पार्टियां उन्हें अपनी तरफ खींचने की कोशिश में लगी हुई हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में विनेश फोगाट की भूमिका हरियाणा की सियासत में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।
हरियाणा में कब होगा चुनाव?
हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होगा। वहीं, मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। बता दें कि इससे पहले यह तारीख क्रमश: 1 और 4 अक्टूबर थी लेकिन चुनाव आयोग ने इसमें बदलाव कर दिया। आयोग ने इसके पीछे की वजह बताते हुए सफाई दी कि बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं दोनों का सम्मान करने के लिए यह फैसला लिया गया है। बिश्नोई समाज ने आसोज अमावस्या उत्सव में भाग लेने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है। ये उस दिन अपने गुरु जम्बेश्वर की स्मृति में उत्सव मनाते हैं। राजस्थान की नोखा तहसील में पिछले करीब 490 साल से तो यह मेला लगातार आयोजित होता रहा है।