TIO, नई दिल्ली।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की आज बैठक होनी है। बीजेपी सीईसी की पिछली बैठक में जम्मू कश्मीर चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए गए थे। अब हरियाणा की बारी है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उनम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया 5 सितंबर से शुरू हो रही है और इस बैठक में हरियाणा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा देगी।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी इस बार हरियाणा चुनाव में अलग ही रणनीति के साथ उतरने की तैयारी में है। इसकी झलक उम्मीदवारों की लिस्ट में भी देखने को मिलेगी। पार्टी का फोकस गैर जाट जातियों की गोलबंदी पर है और टिकट बंटवारे में भी इसका ध्यान रखा जाएगा। पार्टी इस बार टिकट फाइनल करते समय जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखेगी। कांग्रेस जातीय जनगणना जैसी मांगों के जरिये ओबीसी वोटबैंक को अपने पाले में करने की कोशिशों में जुटी है। हरियाणा में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ओबीसी वर्ग से आने वाले नायब सैनी को सीएम बनाने के बाद अब बीजेपी के टिकट बंटवारे में भी ओबीसी का दबदबा देखने को मिल सकता है।
इन नेता पुत्र-पुत्रियों को मिल सकता है टिकट
बीजेपी राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ मुखर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में भी परिवारवाद का जिक्र किया था और कहा था कि हम चाहते हैं कि एक लाख ऐसे युवा राजनीति में आएं जिनके परिवार या रिश्तेदार में कभी कोई राजनीति में न रहा हो। हरियाणा में भी बीजेपी की राजनीति का मजबूत आधार परिवारवाद रहा है।
बीजेपी हुड्डा परिवार को लेकर कांग्रेस और चौटाला फैमिली को लेकर इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) को घेरती रही है। हरियाणा चुनाव में किसी नेता पुत्र-पुत्री को टिकट देने से परहेज करती आई बीजेपी इस बार जीत की संभावना, लोकप्रियता और जातिगत समीकरण, इन तीन मानकों पर ही टिकट बांटेगी। इस बार कुलदीप बिश्नोई के बेटे और आदमपुर से मौजूदा विधायक भव्य बिश्नोई, किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी और केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत की बेटी आरती को टिकट मिल सकता हैं।
लोकसभा चुनाव में हारे चेहरों को टिकट से परहेज नहीं
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 10 में से पांच सीटों पर हार मिली थी। अमूमन पार्टी किसी चुनाव में हारे चेहरे पर दूसरे चुनाव में दांव नहीं लगाती लेकिन इस बार हरियाणा चुनाव की कठिन पिच पर उतरने को तैयार बीजेपी लोकसभा चुनाव में हारे चेहरों पर भी दांव लगा सकती है। हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अशोक तंवर और अरविंद शर्मा जैसे दिग्गजों को भी हार का सामना करना पड़ा था।
खिलाड़ियों को उतारने पर फोकस
महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया की अगुवाई में पहलवानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था। पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बृजभूषण बीजेपी के सांसद भी थे। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बृजभूषण की जगह उनके बेटे को टिकट दिया था। अब चर्चा है कि पहलवानों के आंदोलन की वजह से हरियाणा में नुकसान की संभावनाओं को कम से कम करने के लिए पार्टी कई खिलाड़ियों को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
मंत्रियों के भी कट सकते हैं टिकट
हरियाणा में पिछले 10 साल से बीजेपी की सरकार है। मौजूदा सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी के फैक्टर को निष्क्रिय करने की कवायद के तहत बीजेपी ने चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले सरकार का चेहरा बदल दिया था। अब पार्टी कई विधायकों के टिकट काट सकती है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो करीब 30 फीसदी विधायकों के टिकट काटने की तैयारी है। चर्चा है कि पार्टी कई मौजूदा मंत्रियों के टिकट भी काट सकती है। इनमें प्रमुख नाम भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह का भी है। संदीप पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे।
गैर जाट जातियों की गोलबंदी पर ध्यान
बीजेपी का फोकस गैर जाट जातियों की गोलबंदी पर है। ऐसा कांग्रेस के पक्ष में जाट मतदाताओं की संभावित एकजुटता की काट के लिए किया जा रहा है। बीजेपी ने जाट के खिलाफ 36 बिरादरियों को जोड़ने की रणनीति के तहत पंजाबी-गुर्जर-ओबीसी और यादव को अपनी तरफ करने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। बीजेपी का फोकस दलित मतदाताओं पर भी है। पार्टी दलित स्वाभिमान सम्मान सम्मेलनों के जरिये दलित मतदाताओं को अपने पाले में कोशिश में है। हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दोनों सुरक्षित सीटों पर मात मिली थी।