TIO, जम्मू।

नए जम्मू-कश्मीर में पहली निर्वाचित सरकार में अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा की 16 सीटें किंगमेकर की भूमिका में रहेंगी। इनमें अनुसूचित जाति की सात व अनुसूचित जनजाति की नौ सीटें हैं। पहली बार एसटी आरक्षण से इस वर्ग से जुड़े मतदाताओं में खासा उत्साह है। इन 16 सीटों पर जिन पार्टियों का भी कब्जा होगा वह निर्णायक होगा।

हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो भाजपा के खाते में छह, नेकां के खाते में सात, कांग्रेस के खाते में दो व अपनी पार्टी के पास एक विधानसभा हलका ऐसा था जहां पार्टियां बढ़त पर रहीं। आरक्षित 16 सीटों में 13 जम्मू संभाग में हैं, जबकि तीन कश्मीर में। कश्मीर में एसटी आरक्षित सीटें हैं। जबकि एससी के लिए आरक्षित सीटों में जम्मू में सबसे अधिक चार हैं। एससी के लिए आरक्षित सात में छह विधानसभा हलकों में भाजपा व एक पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी। एसटी के लिए आरक्षित नौ में सात पर नेकां, एक पर कांग्रेस व एक पर लोकसभा चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों को बढ़त हासिल हुई थी। जम्मू में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सुचेतगढ़ की सीट पर कांग्रेस को भाजपा उम्मीदवार से अधिक मत मिले थे। यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि 2014 के विधानसभा चुन्राव में सामान्य सीट होने पर यहां से भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी।

एसटी के लिए आरक्षित 13 सीटों में पांच सीटें राजोरी व पुंछ जिले में आती हैं। यहां पहाड़ी व गुज्जर मतदाता अधिक हैं और दोनों ही एसटी संवर्ग से है। दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते रहे हैं। भाजपा की ओर से पहाड़ियों को एसटी में शामिल कर उनके वोट बैंक का लाभ लेने की कोशिश की गई है। हालांकि, उससे इस प्रयास से गुज्जर समुदाय नाराज दिखता है। रणनीतिकारों का मानना है कि इन पांच सीटों पर पहाड़ी और गुज्जर समुदाय के नुमाइंदों को सभी दलों की ओर से टिकट दिया जाएगा। ऐसे में इनके बीच जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा होगी।

राजोरी व पुंछ जिले में पांच सीटों पर पहाड़ी व गुज्जर समुदाय के बीच जोरदार मुकाबला
पहाड़ी नेता और जम्मू विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. नितन शर्मा का मानना है कि राजोरी व पुंछ जिले की आठ में आरक्षित पांच सीटों पर पहाड़ी व गुज्जर समुदाय के बीच जोरदार मुकाबला होगा। एक ही समुदाय से अलग-अलग पार्टियों की ओर से प्रत्याशी खड़े किए जाने की वजह से मत विभाजन भी होगा। ऐसे में भाजपा, नेकां, पीडीपी व कांग्रेस के लिए समान मौके होंगे। यह नहीं कहा जा सकता है कि इन सभी सीटों पर किसी एक पार्टी की जीत होगी।

कश्मीर में एसटी की तीन तो एससी की एक भी सीट नहीं
परिसीमन में बहुत कुछ भौगोलिक स्थितियां बदल गई हैं। पहली बार एसटी आरक्षण मिलने की वजह से खासकर राजोरी-पुंछ जिले में समीकरण बदले हैं। पहले यहां की कोई सीट आरक्षित नहीं थी। लेकिन इस बार आरक्षण से यहां पहाड़ी व गुज्जर समुदाय में प्रभाव रखने वालों का दबदबा रहेगा। कश्मीर में भी तीन सीटें एसटी के लिए आरक्षित हुई हैं। यहां पहाड़ी व गुज्जर समुदाय के वोटर हैं। लोकसभा चुनाव में इन सभी तीन सीटों पर नेकां का कब्जा रहा है। भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनके प्रत्याशी नहीं थे। इस वजह से परिस्थितियां कुछ और थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में इन तीन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन की कोशिश होगी। घाटी में एससी की कोई सीट नहीं है।

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें
जम्मू (4)-बिश्नाह, सुचेतगढ़, मढ़, अखनूर, सांबा (01)-रामगढ़, कठुआ (01)-कठुआ, उधमपुर (01)-रामनगर

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें
रियासी (01)- गुलाबगढ़, अनंतनाग (01)-कोकरनाग, राजोरी (03)- राजोरी, थन्नामंडी व बुद्धल, पुंछ (02)-सुरनकोट व मेंढर, गांदरबल (01)- कंगन, बांदीपोरा (01)-गुरेज

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के आधार पर कब्जे में रहीं सीटें
भाजपा 06
कांग्रेस 02
नेकां 07
अपनी-पार्टी 01

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER