TIO, लंदन।

बांग्लादेश के अलावा ब्रिटेन में भी पिछले कई दिनों से हिंसा हो रही है। यहां के साउथपोर्ट में तीन बच्चियों की मौत के बाद अप्रवासियों को बड़े स्तर पर निशाना बनाया जा रहा है। इस बीच, धुर दक्षिणपंथी प्रदर्शनों का मुकाबला करने और अप्रवासियों तथा जातीय अल्पसंख्यकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बुधवार को नस्लवाद के विरोध में हजारों लोग इंग्लैंड की सड़कों पर उतर आए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बुधवार रात 11 बजे तक, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारी पुलिस बल तैनात किए जाने के बाद 100 से अधिक संख्या में नियोजित दक्षिणपंथी प्रदर्शन नहीं हो पाए। वहीं, बड़ी संख्या में नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारी लंदन, ब्रिस्टल, ब्राइटन, बर्मिंघम, लिवरपूल, हेस्टिंग्स और वाल्थमस्टो जैसे शहरों और कस्बों की सड़कों पर उमड़ पड़े।

नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कहा- प्यार करों…
नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं, जिसमें लिखा था कि फासीवाद और नस्लवाद को नष्ट करें, शरणार्थियों का स्वागत है, अति दक्षिणपंथ को रोकें और प्यार करो, नफरत नहीं। ब्राइटन में केवल कुछ ही संख्या में अति-दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारी पहुंचे, जिनकी संख्या नस्लवाद-विरोधी भीड़ से काफी कम थी। यह ब्रिटेन के लिए राहत की बात है, क्योंकि कई दिनों से देश में मुसलमानों और आम तौर पर आप्रवासी आबादी को निशाना बनाकर दक्षिणपंथी विरोध प्रदर्शन चल रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस अधिकारी घायल हो गए, दुकानों को लूट लिया गया और शरणार्थियों के होटलों पर हमला किया गया।

तेजी से निपटाए जा रहे मामले
उपद्रव के बाद 100 से अधिक दंगाइयों पर आरोप लगाए गए हैं और उनके मामलों को अदालती प्रक्रिया में तेजीसे निपटाया गया है। बुधवार को तीन लोगों को जेल भेजा गया, जिनमें से एक को तीन साल की सजा सुनाई गई।

क्यों भड़की हिंसा?
सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाई गई कि साउथपोर्ट में बच्चों की हत्या करने वाला युवक कट्टरपंथी मुस्लिम प्रवासी था। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि 17 साल का संदिग्ध चाकूबाज, जिसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है। इसके बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। अप्रवासी विरोधी और मुस्लिम विरोधी प्रदर्शनकारी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। ब्रिटेन के लिवरपूल, ब्रिस्टल, हल और बेलफास्ट में प्रदर्शन किए। इनके विरोध में नस्लवाद विरोध करने वाले भी सड़क पर आ गए और दोनों गुटों में जमकर हिंसक झड़प हुई। दोनों ने एक दूसरे पर ईंटें और बोतलें फेंकीं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER