TIO, नई दिल्ली।

लोकसभा चुनाव में शुरू में घोषित मतदान प्रतिशत और अंतिम आंकड़ों के बीच असामान्य रूप से बड़े अंतर के विश्लेषण को खारिज करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि चुनावों को बदनाम करने के लिए झूठा अभियान चलाया जा रहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि चुनावी डाटा और नतीजे पूरी तरह से चुनावी कानून के तहत वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार हैं।

दरअसल कांग्रेस ने शनिवार को ‘वोट फॉर डेमोक्रेसी’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी के बारे में सवाल उठाए हैं और चुनाव आयोग से चिंताओं को दूर करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि शुरूआत में घोषित मतदान प्रतिशत के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच असामान्य रूप से बड़ा अंतर है, खासकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में।

सोशल मीडिया पर पोस्ट में चुनाव आयोग ने कहा, मानव जाति के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े चुनावों को बदनाम करने के लिए कुछ झूठा अभियान चलाया जा रहा है। ये चुनाव सबसे पारदर्शी तरीके से कराए गए हैं। चुनाव के हर चरण में उम्मीदवारों व हितधारकों को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि मतदान के दिन शाम 7 बजे के लगभग मतदान के आंकड़ों की तुलना करने के निराधार प्रयास किए गए हैं। उस समय कई मतदान केंद्रों पर मतदान बंद हो रहा होगा या मतदाता कतार में इंतजार कर रहे होंगे। मतदान के दिन के एक दिन बाद कुल मतदान की जानकारी उपलब्ध होगी।

इस आधार पर दायर नहीं की गई कोई चुनाव याचिका
इसमें कहा गया है कि किसी उम्मीदवार की ओर से चुनावी परिणाम को चुनौती देने का उचित तरीका चुनाव याचिका है, लेकिन इस आधार पर कोई चुनाव याचिका दायर नहीं की गई है। चुनाव याचिका नतीजों की घोषणा के 45 दिनों के भीतर दायर की जा सकती है। चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 के संसदीय चुनावों में 138 ईपी की तुलना में 2024 में 79 सीटों पर ही याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER