TIO, तिरुवनंतपुरम।

वायनाड में भूस्खलन के कारण मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 276 पर पहुंच चुका है। अभी करीब 250 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत एवं बचाव कर्मी फिलहाल मलबे में जीवित बचे लोगों और शवों को तलाशने में जुटे हैं, जिससे यह संख्या और बढ़ सकती है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर 177 लोगों के मरने की ही पुष्टि हुई है।

भूस्खलन के कारण मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में भारी तबाही हुई है। प्रशासन के लिए अभी अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि कुल कितने लोग प्रभावित हुए हैं। मुंडक्कई में बचाव दल के एक सदस्य ने कहा, हम एक इमारत की छत पर खड़े थे। नीचे से आ रही बदबू से लगा कि वहां शव दबे हैं। इमारत पूरी तरह कीचड़ और उखड़े पेड़ों से दबी है।

एक दिन में पांच सौ फीसदी ज्यादा बारिश से आई वायनाड में तबाही
भूस्खलन से एक दिन पहले 29 जुलाई को सामान्य से कम वर्षा से वायनाड जूझ रहा था, वहीं 30 जुलाई को बहुत भारी बारिश हुई। मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार सालाना करीब औसत 2,800 मिलीमीटर बारिश हासिल करने वाले वायनाड ने करीब 20 दिनों में सालाना वर्षा का करीब 30 फीसदी हासिल कर लिया। वहीं एक दिन में ही 30 जुलाई को साल की छह फीसदी वर्षा कुछ घंटों में हो गई।

29 जुलाई को वायनाड में महज 9 एमएम वर्षा हुई जो कि उस दिन सामान्य से करीब 73 फीसदी कम थी। जबकि 30 जुलाई को एक ही दिन में 141.8 एमएम वर्षा हुई जो कि सामान्य (23.9 एमएम) से 493 फीसदी ज्यादा थी। यही भारी वर्षा वायनाड में भूस्खलन का कारण बनी।

वायनाड जिले में एक जून से 10 जुलाई के बीच महज 574.8 एमएम वर्षा हुई जो कि इस अवधि के सामान्य से 42 फीसदी कम थी। मानसून के शुरूआती एक महीने दस दिन में वायनाड में करीब 24 फीसदी वर्षा ही दर्ज की गई। 10 जुलाई से 30 जुलाई के बीच 20 दिनों में कुल 775.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

भूस्खलन में जितना क्षेत्र धंसा, उसमें तो 13 फुटबॉल मैदान बन जाएंगे
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र ने बादलों के पार देखने में हाई रिजोल्यूशन वाले काटोर्सैट-3 आॅप्टिकल उपग्रह और रिसैट उपग्रह की मदद से वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की तस्वीर ली।

भारी तबाही दशार्ने वाली तस्वीर से पता चलता है कि करीब 86,000 वर्ग मीटर जमीन धसकने से मलबा इरावानीफुझा नदी के किनारे लगभग 8 किलोमीटर तक बहा है। तबाही कितनी ज्यादा बड़ी है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जितनी जमीन धसी है, उसमें 13 फुटबॉल मैदान बन सकते हैं। सामान्य तौर पर एक फुटबॉल मैदान 6400 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनता है। अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि भूस्खलन समुद्र तल से 1550 मीटर की ऊंचाई पर शुरू हुआ था।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER