TIO, जम्मू/कठुआ।
जम्मू संभाग में लगातार बढ़ रहे आतंकी हमलों के बाद सुरक्षाबलों ने बड़े क्लीनिकल आॅपरेशन की तैयारी की है। संभाग के 48 स्थानों को चिह्निनत किया गया है जहां सेना, अर्धसैनिक बलों व पुलिस को तैनात किया गया है। 1990 में जब आतंकवाद अपने चरम पर था उसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती छत्रगलां से लेकर लोहाई मल्हार के बीच 80 किलोमीटर दायरे में की गई है।
सूत्रों के मुताबिक आतंकियों और उनके मददगारों के सफाए के लिए सेना की अब तक लगभग छह कंपनियां कठुआ जिले में तैनात हो चुकी हैं। कठुआ जिले के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में आतंकियों के सफाए के लिए सेना ने बड़ा आॅपरेशन शुरू किया है। सामरिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उधमपुर जिले से सटे चोचरू गला, बनी सब डिवीजन के ढग्गर और डुग्गन के पहाड़ी चोटियों पर सेना की स्थायी पोस्टें तैयार हो गई हैं। बुधवार को इन कंपनियों ने चोचरू गला समेत ढग्गर और डुग्गन के पहाड़ी चोटियों पर अपनी स्थायी पोस्टें तैयार कर लीं। बदनोता समेत डोडा में सुरक्षाबलों पर हो रहे हमलों में आतंकी जंगलों की ओट में छिपकर हमला कर रहे हैं। साथ ही पहाड़ी चोटियों का इस्तेमाल कर सेना पर हमले भी कर रहे हैं।
इसी को देखते हुए अब सेना ने इन आतंकियों को इन्हीं जंगलों को ढूंढ़कर ढेर करने के लिए आॅपरेशन तेज किया है। आतंकी हमले या मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों की अतिरिक्त टुकड़ियां मौके पर पहुंचने से पहले आतंकी फरार हो जाते हैं लेकिन अब उन्हें ऐसा करने का मौका नहीं मिलेगा। पहाड़ी चोटियों से सेना हर गतिविधि पर नजर रखेगी। साथ ही किसी भी इलाके में तत्काल पहुंचने और आतंकियों को ढेर करने के लिए भी सेना तैयार हो गई है।
खुफिया सूत्रों की मानें तो सेना ने उन ठिकानों पर फिर से अपना डेरा जमा लिया है, जहां से 1990 के दौरान आतंकवाद के चरम पर होने के बाद आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया था। जिले के दूरदराज पहाड़ी सब डिवीजन बनी एक लंबे अर्से तक आतंकियों की पनाहगार रहा। वर्ष 1992 में आतंकियों ने सबसे पहले सरथल में पुलिस चेक पोस्ट को निशाना बनाकर अपनी मौजूदगी इस इलाके में दर्ज करवाई।
इसके बाद आतंकियों की धरपकड़ के लिए सेना और स्थानीय पुलिस ने बड़े पैमाने पर आॅपरेशन शुरू कर दिया। मार्च 1995 में चिरौड़ी में एनकाउंटर तो वहीं 2001 में चलोग में दो आतंकियों का सफाया सुरक्षाबलों ने किया। इसके बाद वर्ष 2002 में गौ गला, दलौन और पगारा के बाद 2003 में द्रब्बल में तीन आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर किया। 2003 में आतंकियों ने रौल्का में एसटीएफ की पोस्ट पर रॉकेट लांचर से हमला किया। 2004 में धमान, ढग्गर के द्रबड़ी में आतंकियों की मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है। सुरक्षाबल लोआंग के इलाकों में ही 90 के दशक के बाद स्थानीय आतंकियों के साथ-साथ इनके मददगारों को भी ढेर कर चुके हैं।