TIO भोपाल

बालीवुड में संघर्षरत सैकड़ों ऐसे लेखक, शायर और संगीत निर्देशक हैं जो अपनी कहानियाँ, गीत और अपना संगीत अपनी जरूरियात पूरी करने के लिए अपनी रचनाएँ बडेÞ नामों को बेचने पर मजबूर हो जाते हैं क्योकि उनके नाम से उन रचनाओं को कोई पूछता भी नहीं है। यह एक कटु सत्य और घोर विडंबना है। ऐसे ही एक लेखक की व्यथा बयान करता नाटक है ” चौथी सिगरेट ”

जिसका लेखन योगेश त्रिपाठी ने किया और राजीव वर्मा ने अपने शानदार निर्देशन में शहीद भवन मे मंचित किया। नाटक में राजीव वर्मा का कसा हुआ निर्देशन और डिसीपिलीन अलग नजर आ रहा था। साथ ही साथ उनका सालों का तर्जुबा और कलाकारों पर की गई मेहनत अलग ही नजर आ रही थी।

श्रोताओं को भी समझ में आ रहा था कि किस बारीकी से इस पर मेहनत की गई है। अगर इस तरह के लगातार नाटक होते रहेंगे तो लोगों का नाटकों में रूझान बढ़ेगा।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER