TIO, नई दिल्ली।

उत्तर प्रदेश का हाथरस एक बार फिर चर्चा में है। हाथरस में सत्संग आयोजन के दौरान मची भगदड़ में अब तक 121 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं जिनमें 108 महिलाएं और सात बच्चे शामिल हैं। इस सत्संग का आयोजन नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि और भोले बाबा ने कराया था। यह हादसा हाथरस के सिकंदराराउ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में हुआ था। नारायण साकार हरि की लोकप्रियता इस हद तक है कि दावा किया जा रहा है कि उनका सत्संग सुनने के लिए लगभग ढाई लाख लोगों की भीड़ उमड़ी थी। लेकिन ये नारायण साकार हरि कौन हैं, जिनका सत्संग स्थल मंगलवार को श्मशान घाट में तब्दील हो गया।

नारायण साकार कैसे बना भोले बाबा?
नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वह मूल रूप से कासगंज जिले के बहादुर नगर का रहने वाला है। वह बचपन से ही अपने पिता के साथ खेती करते था। लेकिन इसके बाद वह पुलिस विभाग में भर्ती हो गया। पुलिस विभाग में लगभग 18 सालों तक नौकरी करने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया। कहा जाता है कि सूरजपाल का शुरूआत से ही अध्यात्म की तरफ झुकाव था। लेकिन 1990 के दशक में पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ने के बाद वह पूरी तरह से इस ओर मुड़ गए। उन्होंने तभी से सत्संग कराना शुरू कर दिया।

खुद को मानते हैं हरि का शिष्य
सूरजपाल के तीन भाइयों में से एक की आकस्मिक मौत हो गई थी, जिसके बाद उसने बहादुर नगर में अपने भाई के नाम पर एक ट्रस्ट शुरू किया। इनका आश्रम भी बहादुर नगर में ही है। वह मानव मंगल मिलन सद्भावना समागन के नाम से सत्संग का आयोजन करते रहे हैं। वह खुद को हरि का शिष्य बताते हैं। इस वजह से उन्होंने अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि कर दिया। वह अपने प्रवचन में अक्सर कहते रहे हैं कि साकार हरि पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं।

क्यों पहनते हैं सफेद सूट और नीली टाई?
पुलिस विभाग से वीआरएस लेने के बाद नारायण हरि को सत्संग के समय हमेशा सफेद सूट और नीली टाई पहने देखा जा सकता है। वह अनुसूचित जाति समाज से आते हैं। इस वजह से वह प्रतीक के तौर पर इन विशेष रंगों को पहने दिखाई देते हैं। उनकी पत्नी अक्सर उनके साथ सत्संग के दौरान मंच पर बैठी नजर आती है। उनकी पत्नी को माताश्री कहा जाता है। नारायण हरि उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। बहादुर नगर में आश्रम खोलने के बाद गरीब और वंचित वर्ग के लोगों में उसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। आज के समय में उनके लाखों अनुयायी हैं। वह सुरक्षा के लिए वॉलिंटेयर्स को रखते हैं, जो उनके सत्संग की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करते हैं।

कोरोना काल में भी हुई थी लापरवाही
कोरोना के दौरान 2022 में सत्संगी बाबा ने उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद में सत्संग का आयोजन किया था। जिला प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर उस समय सिर्फ पचास लोगों के सत्संग में शामिल होने की अनुमति थी। लेकिन उस समय नियमों की धज्जियां उधेड़ते हुए पचास हजार लोग सत्संग में शामिल हुए थे।

क्या हुआ था?
हाथरस में मंगलवार को मानव मंगल मिलन सद्भावना समागन नाम से नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग हुआ था। सत्संग खत्म होते ही जैसे बाबा की गाड़ी भीड़ के बीच से निकली, लोग उनकी तरफ दौड़े। इस भगदड़ में लोग एक के ऊपर एक गिरने लगे। बारिश की वजह से कीचड़ ने भी इस स्थिति को और बदतर कर दिया।

चश्मदीद के अनुसार, फुलराई मैदान में खुले में सत्संग आयोजित हो रहा था। इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से 50,000 से ज्यादा अनुयायी शामिल हुए थे। जैसे ही सत्संग समाप्त होने लगा, भक्त आगे बढ़कर बाबाजी के पास इकट्ठा हो गए। उनका आशीर्वाद और उनके पैरों की पवित्र धूल लेने लगे। ये लोग एक गड्ढे से होकर गुजर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुरूआत में धक्का लगा और कुछ लोग गिर गए। उसके बाद जो गिरा, वो उठ नहीं पाया और भीड़ ऊपर से गुजरती चली गई। देखते ही देखते बड़ा हादसा हो गया। बाबा फिलहाल फरार हैं।

Shashi Kumar Keswani

Editor in Chief, THE INFORMATIVE OBSERVER